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नई दिल्ली। डीजीएफटी ने 5 मार्च 2012 से कपास के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से आगामी आदेशों तक प्रतिबंध को अधिसूचित कर दिया है। चार मार्च 2012 तक कपास के 94.75 लाख गट्ठरों का निर्यात किया जा चुका है। फरवरी 2012 में भारत का कपास निर्यात 91 लाख गट्ठर तक पहुंचा, जबकि निर्यात के लिए कपास के 120 लाख गट्ठरों का पंजीकरण किया गया है। छह मार्च 2012 तक बाजार में कपास आवक 245 लाख गट्ठर तक पहुंच चुकी है, बाजार में कपास आगमन के करीब 50 प्रतिशत का कपास निर्यात के लिए पंजीकरण हो चुका है।
बाजारों में कपास की मात्र 25 प्रतिशत आवक और कपास सीजन से करीब सात माह पहले का परिदृश्य घरेलू उद्योगों के लिए कपास की कमी, कपास के घरेलू मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि और वर्ष 2012 में कपास भंडारों को पूर्ण करने में टैक्सटाइल मिलों की असमर्थता जैसी कमियों की ओर संकेत करता है। टैक्सटाइल नीति के अंतर्गत मूल्य श्रृंखला के प्रतिस्पर्द्धी हितों को संतुलित करने का प्रयास किया गया है। अप्रैल 2010 में अनौपचारिक मंत्री समूह ने ये तय किया कि 50 लाख गट्ठरों को बनाये रखना चाहिए और इससे ज्यादा के कपास भंडार का निर्यात करना चाहिए।
भारतीय कपास निगम यह सलाह दे चुका है कि किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों के होने पर भारत की सभी मंडियों में खरीद की जाएगी, टैक्सटाइल मिलों ने देश भर में खरीद अभियानों की शुरूआत भी कर दी है।