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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने देश की महिलाओं से आगे कदम बढ़ाने और विशेष रूप से विकास प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया है। उन्होंने सामाजिक प्रगति के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के बढ़ते हुए योगदान की सराहना की, लेकिन घटते हुए बाल लिंग अनुपात पर चिंता जाहिर की, जो फिलहाल 914 है। राष्ट्रपति राजधानी में विज्ञान भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह को संबोधित कर रहीं थी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान में भारी योगदान करने वाली 6 महिलाओं को स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए।
हिपनो पदमा कमलाकर (आंध्र प्रदेश) को देवी अहिल्या बाई होल्कर पुरस्कार प्रदान किया गया। कमलाकर समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर हैं और देश की पहली महिला सम्मोहक (हिपनेटिस्ट) और मनोचिकित्सक परामर्शदाता हैं। उन्होंने पूरे देश में 1500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। कंवलजीत कौर (चंडीगढ़) को नेत्रहीन लड़कियों में आशा जगाने, मार्ग दर्शन करने और परामर्श देने के लिए कन्नागी पुरस्कार प्रदान किया गया है। जगमती मलिक (हरियाणा) को सर्वशिक्षा अभियान, मनरेगा, बालिका भ्रूण-हत्या, संपूर्ण स्वच्छता और सूचना के अधिकार सहित विभिन्न मुद्दों पर स्वयं सेवी दलों के गठन द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए माता जीजा बाई पुरस्कार दिया गया। द्रोपदी घिमिरे को विकलांग बच्चों के लिए कार्य करने हेतु रानी गैदिनलियू जेलिंग पुरस्कार प्रदान किया गया। संध्या पांडे (छत्तीसगढ़) को 1999 में अपनी नेत्र ज्योति खोने के पश्चात जिंदगी की कठोर विपत्तियों का मजबूती से सामना करने के लिए रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार दिया गया। राखी गुप्ता भंडारी (नई दिल्ली) को महिला सरपंचों को सार्वजनिक कार्यालयों में उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करके महिलाओं को मुख्य धारा में लाने में विशिष्ट योगदान के लिए रानी रूद्रम्मा देवी पुरस्कार दिया गया है।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने इस अवसर पर महिलाओं के कल्याण के लिए चल रही विभिन्न योजनाओं की प्रगति पर संतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा कि किशोरियों के लिए सबला योजना अच्छे परिणाम दे रही है और यह तथाकथित अबला (कमजोर) महिला को अब सबला (मजबूत) बना रही है। उन्होंने कहा कि 56 सरकारी विभागों में स्त्री-पुरुष समानता आधारित बजट प्रकोष्ठ स्थापित किए हैं। उन्होंने विशेष रूप अर्द्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इन योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों से अनुरोध किया। लीला गंगाधरन, सचिव और सुधीर कुमार अतिरिक्त सचिव, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय, अनेक पदाधिकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और महिला कार्यकर्ता भी इस अवसर पर उपस्थित थे।