स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। संस्कृति, आवास तथा शहरी गरीबी उपशमन मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल प्राधिकरण के पास किसी भी ऐतिहासिक स्थल को, राष्ट्रीय महत्व का ऐतिहासिक स्मारक या स्थल घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, ऐतिहासिक स्थल, पुरातत्व स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत घोषित किए गए राष्ट्रीय महत्व के 3677 ऐतिहासिक स्मारकों या स्थलों की देखभाल करता है।
उन्होंने बताया इन स्थलों के लिए विरासत अधिनियम, ऐतिहासिक स्मारक, पुरातत्व स्थल एवं अवशेष विरासत उपनियम तथा सक्षम प्राधिकरण के अन्य कार्यों का निर्देशन अधिनियम-2011 की धारा 22 के अंतर्गत तैयार किए गए है। कुमारी सैलजा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
नए संग्रहालयों का निर्माण
कुमारी सैलजा ने बताया कि क्षेत्रीय एवं स्थानीय संग्रहालयों के संवर्धन एवं मजबूती के लिए वित्तीय सहायता की एक योजना सरकार ने वर्ष 1992-93 में लागू की थी। इस योजना को वर्ष 2008 में संशोधित किया गया और नए संग्रहालयों की स्थापना करने के लिए वित्तीय सहायता हेतु एक प्रावधान इसमें शामिल किया गया। इस योजना के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान धनराशि आवंटित की गई है, तथापि राज्य-वार नए संग्रहालयों के निर्माण के लिए कोई विशिष्ट आवंटन नहीं किया गया है। अभी तक राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने क्रमश: जयपुर, सिरोंज और ऋषिकेश में नए संग्रहालयों की स्थापना के लिए संशोधित योजना के अंतर्गत आवेदन किया है।
इन प्रस्तावों की वर्तमान स्थिति इस प्रकार है-राजस्थान: टाउन हाल संग्रहालय जयपुर: राजस्थान सरकार को बरान में नए संग्रहालयों की स्थापना सहित तीन संग्रहालयों के लिए डीपीआर तैयार करने हेतु प्रारंभिक राशि के रूप में एक करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए। राजस्थान सरकार ने पूर्व प्रस्तावित बरान संग्रहालय के स्थान पर विधान सभा भवन, टाउन हाल, जयपुर में संग्रहालय निर्माण करने के लिए अनुरोध किया था। इसे सरकार की स्वीकृति प्राप्त हो गई है, चूंकि टाउन हाल संग्रहालय परियोजना के लिए 45 करोड़ रूपए की लागत की आवश्यकता है, अत: उन्हें मैचिंग राशि के संबंध में विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
मध्य प्रदेश: स्थानीय पुरातत्व संग्रहालय सिरोंज: मध्य प्रदेश सरकार को आवश्यक संरक्षण संबंधी कार्य करने तथा उनकी प्राथमिकता के आधार पर 3 संग्रहालयों हेतु डीपीआर तैयार करने के लिए प्रांरभिक राशि के रूप में एक करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें सिरोंज, विदिशा में एक संग्रहालय निर्माण शामिल है। उत्तराखंड: हिमालयी संग्रहालय, ऋषिकेश: प्रारंभिक कार्य करने तथा डीपीआर तैयार करने के लिए प्रांरभिक राशि के रूप में 30 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं।