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औषधियों के लिए मूल्‍य नीति

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नई दिल्ली। राष्‍ट्रीय औषधि मूल्‍य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा औषधि (मूल्‍य नियंत्रण) आदेश, 1995 (डीपीसीओ 1995) के प्रावधानों के अनुसार खुदरा विक्रेता के 16 प्रतिशत लाभ को ध्‍यान में रखते हुए अनु‍सूचित औषधियों के मूल्‍यों का निर्धारण किया जाता है। इनके अंतर्गत 74 बल्‍क औषधियां हैं। कोई भी व्‍यक्ति किसी भी अनुसूचित औषधि को अधिसूचित/ अनुमोदित मूल्‍य से अधिक दाम पर उपभोक्‍ता को नहीं बेच सकता है, जो औषधियां औषधि (मूल्‍य नियंत्रण) आदेश, 1995 के अधीन नहीं आती हैं, यानि गैर-अनुसूचित औषधियां हैं, उनके मामले में विनिर्माता एनपीपीए/ सरकार से अनुमोदन लिए बिना ही स्‍वयं मूल्‍य निर्धारित करते है। ऐसे मूल्‍य आमतौर पर विभिन्‍न कारकों यानि फार्ममूलेशन में प्रयुक्‍त बल्‍क औषधियों की लागत, एक्‍सीपिएंटों की लागत, अनुसंधान और विकास की लागत, उपयोगिताओं/ पैकिंग साम्रगी की लागत, व्‍यापार लाभांश, गुणवत्ता आश्‍वासन लागत, आयाति‍त सामग्री की पहुंच लागत आदि के आधार पर निर्धारित किए जाते है। डीपीसीओ 1995 के अंतर्गत ब्रांड और बिना ब्रांड वाली औषधियों में कोई अंतर नहीं किया जाता है।

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