स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत प्राप्त विशेष अधिकारों (क्षमादान, सजा कटौती) के अंतर्गत उम्र कैद के सिद्ध दोषी 10 बंदियों को रिहा करने के आदेश गृह विभाग को जारी किए हैं। सजा माफी विषय पर शासन की समिति की संस्तुतियों के आधार पर 14 वर्ष से अधिक की अवधि की सजा काट चुके इन सभी कैदियों के कारावास की अवधि में संतोषजनक आचरण उनकी वृद्धावस्था और अशक्तता के दृष्टिगत उनकी शेष अवधि की सजा को परिवर्तित करके उन्हें मुक्त करने का निर्णय लिया गया।
सजा माफी, रिहाई के लिए गठित समिति की संस्तुतियों से पूर्व राज्यपाल ने राज्य के प्रमुख पांच कारागारों का भ्रमण करके सिद्ध दोष बंदियों से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए थे। राज्यपाल के निर्देशों के क्रम में अन्य सिद्ध दोषियों की क्षमा याचना संबंधी प्रार्थना पत्रों पर भी राज्य सरकार के गृह विभाग में समीक्षा की जा रही है। रिहा किए जा रहे बंदियों में जगदीश उर्फ जयदत्त पुत्र परमानंद, ख्यालीराम पुत्र परमानंद, बलविदर सिंह पुत्र सुरेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह पुत्र सुरेंद्र, कमला देवी पत्नी गिरीश राम, दर्शन लाल पुत्र बचन लाल, श्रीनिवास पुत्र इतवारी, नवाब पुत्र अख्तर, रणजीत सिंह पुत्र जीत सिंह, महेश चंद्र पुनेठा पुत्र रामदत्त पुनेठा हैं।