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नई दिल्ली। कृषि उत्पादन के उच्चतम स्तर और इस वर्ष के पर्याप्त खाद्य भंडारों को देखते हुए अगले वित्तीय वर्ष में मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण रूप से कमी आने की संभावना है। संसद में वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी जानकारी दी। हालांकि समीक्षा में रिकार्ड खाद्य उत्पादन के बावजूद योजान्वित लक्ष्यों से कम विकास दर के मामले पर चिंता भी व्यक्त की गई है। वर्तमान पंचवर्षीय योजना के दौरान इसके 4 प्रतिशत की तुलना में 3.28 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। समीक्षा के मुताबिक वर्ष 2011-12 के दौरान में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.5 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करने का अनुमान लगाया गया है। 2011-12 में कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों का सकल घरेलू उत्पाद में 13.9 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि क्षेत्र में हुए उच्च उत्पादन से केंद्रीय भंडार में खाद्यानों की स्थिति में वृद्धि दर्ज की गई है। एक फरवरी, 2012 को 31.8 मिलियन टन चावल और 23.4 मिलियन गेहूं के साथ कुल खाद्यान भंडार 55.2 मिलियन टन था। वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत जरूरतों को पूरा करने के लिए यह पर्याप्त है। समीक्षा में कहा गया कि दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2011-12 के दौरान खाद्यानों का उत्पादन 250.42 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है। खाद्यानों की खेती के क्षेत्र में कमी आने पर चिंता जताते हुए समीक्षा में अनुसंधान और विकास में पर्याप्त निवेश के माध्यम से इस क्षेत्र में तेजी से सुधार लाने का आह्वान किया गया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे खासतौर पर भंडारण, संचार, सड़क और बाजार जैसी जरूरतों का समाधान करने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
समीक्षा के मुताबिक अगले वित्तीय वर्ष के परिणाम भी बेहतर रहने की संभावना है, लेकिन खाद्य की तेजी से बढ़ते मांग स्तरों को पूरा करने के लिए किसी नीति विकल्प पर विचार करने की जरूरत है। इन विकल्पों में कृषि से संबंधित आवश्यक वस्तुओं के एक निश्चित सीमा तक नियमित आयात और गुणवत्ता पर घरेलू उत्पादन और खपत जरूरतों के मुताबिक वार्षिक रूप से निर्णय किया जाना चाहिए। मंडी प्रशासन में सुधार और राज्यों के बीच व्यापार में बहुआयामी लेवी में कमी के साथ-साथ मल्टीब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से कृषि, बुनियादी सुविधाओं में सुधार जैसे उपायों से देश में कृषि संबंधित वस्तु प्रबंधन में सुधार में मदद मिलेगी।