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महिलाओं के अर्थपूर्ण जीवन के लि‍ए अवसरों की जरूरत

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नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने गांव में रहने वाली महिलाओं का जीवन स्‍वस्‍थ, संतोषजनक और अर्थपूर्ण बनाने के लिए अभि‍नव खोजों और अवसर प्रदान करने की जरूरत पर बल दि‍या है। कृषि में महिलाओं के बारे में एक वैश्विक सम्‍मेलन के समापन समारोह को आज संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि, 'कृषि महिलाओं को अधिकार संपन्‍न बनाने में महत्‍वपूर्ण योगदान दे सकती है। विश्‍व स्‍तर पर, कृषि में आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी का 43 प्रतिशत महिलाएं हैं। भारत में खेती का 60 प्रतिशत काम महिलाएं करती हैं। महिलाएं कृषि से संबंधित गतिविधियों जैसे पशुपालन और मत्स्य पालन में काफी योगदान देती हैं। इसके अलावा महिलाएं घर के कामकाज की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी अपने कंधों पर लेती हैं। इसके कारण उन्‍हें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। हमें गांव के स्‍तर पर अभि‍नव खोजों और अवसरों के बारे में सोचने की जरूरत है जिससे न केवल महिलाओं और उनके परिवारों की बहुत सी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा बल्कि उनका जीवन स्‍वस्‍थ, संतोषजनक और अर्थपूर्ण होगा'।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि वृहद और सूक्ष्‍म सुधारों और स्‍त्री-पुरुष आधारि‍त नीतियों के बावजूद लाभ पूरी तरह नहीं दिया जा सका। उन्‍होंने कहा कि कार्यक्रम तैयार करने, उन्‍हें लागू करने और निगरानी के दौरान स्‍त्री-पुरुष संवेदनशीलता पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि खाद्यान उत्‍पादन के प्रत्‍येक चरण में महिलाओं की तादाद काफी है। हमें महिलाओं के बीच उद्यमशीलता विकसित करने की दिशा में काम करना चाहिए। कृषि की तरफ ही ध्‍यान देना काफी नहीं होगा, अर्थव्‍यवस्‍था के अन्‍य क्षेत्रों की तरफ भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए। प्रौद्योगि‍की और सेवा क्षेत्र का कृषि के साथ तालमेल विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें बीज बोने से लेकर उत्‍पाद की बिक्री शामिल है।
सम्‍मेलन को संबोधि‍त करते हुए कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने बताया कि वि‍भि‍न्‍न एजेंसि‍यों की ओर से संग्रह कि‍ए गए आंकड़ों के स्‍त्री-पुरुष संबंधी वि‍श्‍लेषण से इस बात की पुष्‍टि हुई है कि कृषि ‍क्षेत्र में महि‍लाओं की भागीदारी बढ़ी है। उन्‍होंने कहा कि ‍इन अध्‍ययनों ने इस बात के भी संकेत दि‍ए हैं कि‍ फसल की रोपाई और फसल कटाई के बाद की गति‍वि‍धि‍यों के साथ ही पशुधन प्रबंधन जैसी कृषि ‍से जुड़ी वि‍भि‍न्‍न गति‍वि‍धि‍यों में भी महि‍लाओं का प्रमुख योगदान है। हालांकि ‍कृषि‍ क्षेत्र में उनकी अभि‍न्‍न भूमि‍का के बावजूद यह वस्‍तुत: पीड़ा पहुंचाने वाली बात ही है कि ‍केवल 11 प्रति‍शत महि‍लाओं की पहुंच भूमि‍ के मालि‍काना हक तक है, वह भी अधि‍कांश लघु और सीमांत कि‍सानों के रूप में। यह न केवल भारत की सच्‍चाई है बल्‍कि ‍बहुत से वि‍कासशील देशों का एक सामान्‍य लक्षण है। उन्‍होंने कहा कि ‍उनके वि‍चार से वि‍भि‍न्‍न सरकारों की ओर से सकारात्‍मक प्रयासों ls यह सुनि‍श्‍चत करना जरूरी है कि भूमि के मालि‍काना हक तक महि‍लाओं की अधि‍काधि‍क पहुंच सुनि‍श्‍चि‍त हो सके।
स्‍त्री पुरुष-समानता पर आधारि‍त अनुसंधान के बारे में शरद पवार ने कहा कि ‍भारतीय कृषि ‍अनुसंधान परि‍षद ने राष्‍ट्रीय कृषि‍ अनुसंधान प्रणाली में महि‍ला को एक घटक के रूप में शामि‍ल कर लि‍या है। कृषि ‍वि‍श्‍ववि‍द्यालयों और कृषि ‍वि‍ज्ञान केंद्रों की ओर से शि‍क्षा और वि‍स्‍तार संबंधी अग्रणी कार्यक्रमों में महि‍लाओं को मुख्‍यधारा में लाने की दि‍शा में सक्रि‍य भूमि‍का नि‍भाई जा रही है। इससे कृषि‍ के क्षेत्र में महि‍लाओं के लि‍ए अधि‍काधि‍क संभावनाएं बढ़ेंगी। इस उद्देश्‍य की पूर्ति‍ के लि‍ए वि‍भि‍न्‍न प्रकार के रोजगारों के लि‍ए कौशल वि‍कास करने के लिए व्‍यवसायि‍क प्रशि‍क्षण दि‍ए जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि ‍इन प्रयासों के बल पर भारत की कृषि ‍परंपरा में नि‍श्‍चि‍त तौर पर बदलाव होंगे।

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