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कन्नौज में गाए जा रहे हैं अखिलेश के गीत

संध्या तिवारी

संध्या तिवारी

अखिलेश यादव/akhilesh yadav

कन्नौज। आज कन्नौज पहले से ज्यादा महक रहा है। यूं तो पूरी दुनिया जानती है कि कन्नौज में दाखिल होते ही महसूस हो जाता है कि आप कन्नौज में आ गए हैं, मगर इस समय एक खास महक कन्नौज को अपने आगोश में लिए हुए है और वह है, यहां के लोकसभा सांसद अखिलेश यादव का देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का अचानक मुख्यमंत्री बनना। कन्नौज ने कभी नहीं सोचा होगा कि वह  जिस नौजवान को लोकसभा में भेजता आ रहा है, वह सीधे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाएगा। अखिलेश यादव की ताजपोशी का जश्न कन्नौज की गलियों, जीटी रोड, क्षेत्र के कस्बों और गावों में अनवरत जारी है। यहां हर किसी का दावा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन्हें भलि-भाति जानते और पहचानते हैं, इसमें कोई दो राय भी नहीं हैं। अखिलेश यादव का यहां की जनता से संवाद इतना सशक्त माना जाता है, कि यहां हर कोई अखिलेश यादव को जानता है और अखिलेश यादव उन्हें नाम से जानते-पहचानते हैं।
अखिलेश यादव ने एक सांसद के रूप में कन्नौज में अपनी गहरी पैंठ बनाई हुई है, वे यहां के निवासियों के दुख-सुख में साथ रहे हैं, उन्होंने यहां विकास कार्य कराए हैं, इसलिए उन्हें यहां के लोग विकास पुरूष भी कहते हैं। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनते ही इस पूरे क्षेत्र में एक हवा चल पड़ी है, जिसमें यहां के और ज्यादा विकास की चर्चाएं हो रही हैं और यहां हर कोई ‌अखिलेश यादव में अपना सुनहरा भविष्य सुनिश्चित कर रहा है। इत्र की महक को और ज्यादा हवा देते हुए कन्नौज का इतिहास नए रूप में आगे बढ़ने की तैयारी में है। राजा जयचंद्र की इस नगरी में अब तक जो विकास हुए हैं और जो नए उद्यम विकसित हुए हैं, उनको आगे बढ़ाने अवसर कन्नौज के सामने आ गया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कन्नौज को तहसील से जिला बनाया था और अब आगे यह नगर महानगर रूप लेते देखा जा सकेगा। कन्नौज वासियों के लिए यह परम सौभाग्य की बात है कि उनके घर-घर पहुंचा एक युवा आज उनके सपनों को पूरा करने के लिए खड़ा है।
पंद्रह मार्च को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण में पहुंचने के लिए यहां के घर-घर में निमंत्रण पहुंचे। यहां के लोग भी इत्र में नहाकर लखनऊ में अखिलेश यादव का शपथ ग्रहण देखने गए। जब से वे कन्नौज लौटकर आए हैं, तब से शपथ ग्रहण और अपने नेता में खोए हुए हैं। अखिलेश यादव के स्‍थानीय खास लोगों से संपर्क के लिए विशिष्ट दिखने वाले लोग यहां आते नज़र आ रहे हैं और वे जानना चाहते हैं कि कन्नौज में अखिलेश यादव किनके सबसे ज्यादा करीब हैं। यहां उनके करीबियों की संख्या कोई कम नहीं है, लेकिन खास करीबियों के दावे बढ़-चढ़कर हो रहे हैं।
सुना जा रहा है कि कन्नौज से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए आ रही हैं। मुख्यमंत्री बन जाने के कारण अखिलेश यादव को लोकसभा सीट छोड़नी होगी और यह संभावना काफी मजबूत है कि डिंपल यादव ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। यह होड़ भी लग चुकी है कि डिंपल यादव को रिकार्ड मतों से जिता के लोकसभा में भेजा जाएगा, यहां पर उनके नामांकन कराने की आवश्यकता है, उन्हें अपने चुनाव प्रचार में आने की जरूरत नहीं है। अखिलेश यादव के समर्थकों का कहना है कि डिंपल यादव को लोकसभा में भेजने का इससे अच्छा अवसर कोई और नहीं होगा। ध्यान रहे कि डिंपल यादव इसी लोकसभा का फिरोजाबाद से चुनाव लड़ चुकी हैं जिसमें उन्हें सिनेस्टार और कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने त्रिकोणात्मक मुकाबले में पराजित कर दिया था।
कन्नौज नगर के घर-घर में चर्चा शुरू हो गई है कि यहां डिंपल यादव आ रही हैं, इसलिए यहां की राजनैतिक स्थिति विशिष्टता की ओर बढ़ रही है और यह पूरा क्षेत्र नए राजनैतिक समीकरणों को जन्म देने में लगा है। कन्नौज में जन सुविधाओं को बढ़ाने में एक सांसद के रूप में अखिलेश यादव ने जो भी कोशिशें की हैं, वे राजनैतिक और प्रशासनिक उपेक्षाओं की शिकार हुई हैं, खासतौर से मायावती के पांच साल के कार्यकाल में हर काम में खूब अड़ंगेबाजी हुई है। ऐसा लगता था कि मायावती ने कसम खा ली थी कि यहां अखिलेश यादव को चलने नहीं देना है। लोकसभा चुनाव में उन्हें हरवाने के लिए मायावती सरकार ने क्या-क्या नहीं किया। फिरोजाबाद में भी डिंपल को हराने के लिए मायावती की पूरी सरकारी मशीनरी लगी हुई थी। कन्नौज में बिजली, स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक वितरण प्रणाली सब कुछ राजनैतिक बदले की भेंट चढ़ा हुआ था।
अखिलेश यादव जबसे मुख्यमंत्री हुए हैं तब से कम से कम बिजली व्यवस्‍था तो दुरूस्त हो गई है। कन्नौज में इत्र उद्योग, विश्व स्तर का है और इसे चलाने के लिए बिजली की कितनी आवश्यकता होगी यहां यह बताने की जरूरत नहीं है। इस उद्योग को सरकार ने कितनी बिजली दी है यह अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि यहां छोटे-छोटे उद्यमियों ने अपने उद्यम को बचाए रखने के लिए कई-कई जनरेटर सेट लगाए हुए हैं। अब यहां पर मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, स्कूल, डिग्री कॉलेज, सड़कों की व्यवस्‍था ठीक हो रही है।

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