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उत्तराखंड में भारी टैक्‍स लगाने की तैयारी

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देहरादून। उत्तराखंड की वित्त मंत्री डॉ इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि राज्य में टैक्स रैवन्यू को हर हाल में 30 प्रतिशत से आगे बढ़ाना है। विधान भवन में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में वित्तीय संसाधनों में वृद्धि की संभावनाएं व्यापक हैं, जिसके लिये सफल कार्ययोजना, वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता है। विकल्प के रूप में वैट कर, प्रवेश शुल्क, प्रोफेशन, वाटर, वन उपज, रॉयल्टी, ट्रांजिट, मिनरल्स, ट्रांसपोर्ट, वाटर सैक्टर, पावर सैक्टर में टैक्स महत्वपूर्ण हो सकते हैं, वाणिज्य कर में वृद्धि भी महत्वपूर्ण संसाधन हो सकता है, राज्य में वित्तीय संसाधनों में व्यापक रूप से बढ़ोत्तरी की जा सकती है और राजकोषीय घाटा कम किया जा सकता है, चार्टर्ड एकाउंटेंट आडिट, शोध, अल्प बचत, सावधि जमा योजना और सेवाएं महत्वपूर्ण हैं, क्रेशर्स पर वाणिज्य कर, टेंट हाउस, होटल, वैडिंग प्वाइंट्स पर भी बिना किसी दबाव एवं उत्पीड़न के कर प्रस्तावित किया जा सकता है, उन्होंने जड़ीबूटी एवं लीसा पर भी कर वसूलने के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत करने और विभिन्न मदों में वर्ष 2002 से 2007 तक टैक्सेसन की स्थिति और 2008 से 2012 तक की स्थिति प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इंदिरा हृदयेश ने अधिकारियों से राज्य की ऋण ग्रस्तता, ब्याज, देनदारियों को कम करने के सकारात्मक उपाय सुझाने को कहा और राज्य की ऋण ग्रस्तता को हर हाल में 38 से 25 प्रतिशत तक लाने और किये जा रहे खर्चों से संपन्न कार्यों की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने कहा कि विभिन्न निर्माण संबंधी विभागों में प्लान बनाते समय डुप्लीकेसी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। विभिन्न विभाग जिनके एक समान कार्य हैं, उनका एकीकरण, नये पदों के सृजन, वेतन के मद में भुगतान पर, इस प्रकार की स्थिति पर नियंत्रण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि योजनाओं एवं कार्यों के लिए पूर्ण धनराशि यथा समयान्तर्गत उपलब्ध न किये जाने पर कार्य निश्चित अवधि के उपरान्त भी चलते रहते हैं और लागत में वृद्धि होती रहती है, हमें ऐसी स्थिति से बचना होगा, ऐसे कार्य भी लाभकारी नहीं होते, जैस अस्पताल बना दिया और डाक्टर नहीं है, स्कूल बना पर अध्यापक की व्यवस्था नहीं हो सकी इत्यादि।
वित्त मंत्री ने वाणिज्य कर संबंधी फार्म को ऑन लाइन करने के निर्देश देते हुए कहा कि फार्म का मूल्य अधिक लिये जाने की शिकायतें मिल रही हैं, बाहरी निवेशकों को सुविधाएं, रियायतों, प्रोत्साहन पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मनोरंजन, लग्जरी (प्रसाधन) रीवर राफ्टिंग पर कर से भी प्राप्तियां हो सकती हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक पेंशनों, छात्रवृत्तियों का भुगतान बैंकों के माध्यम से कराने की व्यवस्था और बैंक शाखाएं खोलने की कार्रवाई के भी निर्देश दिए। पावर सैक्टर से टैक्स प्राप्त करने के लिये पावर मानीटरिंग पर उन्होंने विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों की वित्तीय संसाधन जुटाने एवं बढ़ाने के उपायों पर विचार विमर्श एवं निर्देश हेतु बैठक बुलायी जाए तथा जिलास्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विभिन्न संगठनों, प्रतिष्ठानों, व्यक्तियों आदि की बैठक बुलाकर टैक्स देने के लिये सहर्ष लोग तैयार हों, ऐसा वातावरण सृजित किया जाए, इससे बिना हैरसमेंट के टैक्स वसूली हो सकेगी।
वित्त मंत्री ने बैंकों के ऋण जमा अनुपात को 52 प्रतिशत से आगे बढ़ाने के उपाय करने के भी निर्देश दिये। बैठक में बताया कि कुल खर्च 2002-03 में 254.48 प्रतिशत के लेबल 5984.99 करोड़ से 2010-11 में 15230.86 करोड़ हुआ। कुल प्राप्तियां 242.04 प्रतिशत लेबल 6106.97 करोड़ से बढ़कर 2010-11 में 14781.16 करोड़ हुई। देनदारियां 2002-03 में 359.82 प्रतिशत के स्तर 6002.62 करोड़ रूपए से 2010-11 में 21598.4 करोड़ रूपए रहीं। प्लान खर्च 275.15 प्रतिशत के स्तर 1449 करोड़ रूपए से 2010-11 में बढ़कर 3987 करोड़ रूपए हो गया। इसी प्रकार नान प्लान मद में अत्यधिक वृद्धि हुई।
बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार से ग्रांट का प्रतिशत 27, टैक्स रैवन्यू प्राप्तियां 30 प्रतिशत, सेंट्रल टैक्स 17 प्रतिशत, ऋण लेकर प्र्राप्तियों का प्रतिशत 21 है। वर्ष 2010-11 में प्लान मद से रैवन्यू एक्सपैंडीचर 11621.07 करोड़ है। सैलरी एक्सपैंडीचर में केंट्रोल करने की आवश्यकता है। इस मद में व्यय की गति तेजी से बढ़ी है जिस पर नियंत्रण आवश्यक प्रतीत होता है, प्लान लागू करने के लिये ऋण लेकर व्यवस्था से ही ऋण ग्रस्तता बढ़ रही है, जिस पर नियंत्रण अनिवार्य है। राज्य की वित्तीय स्थिति में कमी के लिये अटल खाद्यान्य योजना में सब्सीडी पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की योजना से 350 करोड़ का भार बढ़ा है। गन्ना मूल्य भुगतान, प्री पावर व रॉयल्टी, इलैक्ट्रीसिटी ड्यूटी न उपलब्ध होने से 300 करोड़ की और ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन डिफाल्ट से भी प्राप्तियों में कमी आयी है। नॉन प्लान खर्च में कमी लाने के लिये केवल अत्यन्त आवश्यक नियुक्तियां ही की जानी होंगी, नये पद सृजन पर रोक लगानी होगी, एक समान विभागों का एकीकरण, आय के नये संसाधनों में बढ़ोत्तरी आदि महत्वपूर्ण हैं।
बैठक में आलोक कुमार जैन अपर मुख्य सचिव, राधा रतूडी सचिव वित्त, हेमलता ढौंडियाल सचिव वित्त, एमसी जोशी अपर सचिव वित्त, कुंवर सिंह अपर सचिव वित्त, अर्जुन सिंह अपर सचिव वित्त, रमेश चंद्र अग्रवाल अपर सचिव वित्त, शरद चंद्र पांडेय निदेशक कोषागार/अपर सचिव वित्त, कुमकुम गुप्ता एडीशनल कमिश्नर वाणिज्य कर मुख्यालय, यूएस बिष्ट ए‌डीशनल कमिश्नर वाणिज्य कर कुमायूं, एनएन थपलियाल सलाहकार वित्त, एलएन पंत बजट अधिकारी, सीएस सेमवाल सलाहकार कर, नवीन चंद्र जोशी डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य कर मुख्यालय, प्रदीप कुमार गोयल निदेशक लेखा एवं हकदारी, एसएस पोखरिया उपायुक्त मनोरंजन कर, अरविंद मिश्र संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय बचत, अनिल वर्मा रिचर्स आफीसर बजट, एएस चौहान अपर निदेशक एवं संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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