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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि आंतरिक सुरक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। उन्होंने सुरक्षा एवं विकास से जुड़े प्रत्येक कार्य में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की साझेदारी एवं परस्पर सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हम सबको इसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को यहां आयोजित आंतरिक सुरक्षा विषयक मुख्यमंत्रियों की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था और विकास पर ध्यान देते हुए पारदर्शी एवं जवाबदेह सरकार चलाना हमारी प्राथमिकता है, सबके प्रति न्याय करने एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण भी उनकी सरकार की प्रतिबद्धता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार अभिनव कदम उठा रही है, जिसमें केंद्र सरकार के सहयोग की भी आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि विगत में मानव संसाधनों की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है फिर भी प्रदेश में पुलिस जनसंख्या अनुपात राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। मुख्यमंत्री ने बताया कि भविष्य में प्रदेश के पुलिस बल में और अधिक वृद्धि होगी, जिनकी आवासीय व्यवस्था के लिए वित्त आयोग के माध्यम से अगले 5 वर्षों में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये की सहायता भारत सरकार से अपेक्षित है। उत्तर प्रदेश के वृहद पुलिस बल के क्षमता विकास एवं उसकी आधारभूत सुविधाओं की आवश्यकताओं के सापेक्ष केंद्र सरकार की उपलब्ध करायी जा रही धनराशि अत्यंत कम है। वर्तमान में प्रतिवर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदेश को सुलभ करायी गयी है, जोकि प्रदेश पुलिस के 8 हजार करोड़ रुपये के आंतरिक सुरक्षा बजट के सापेक्ष बहुत ही अल्प है। उन्होंने प्रदेश के पुलिस बजट का कम से कम 10 प्रतिशत धनराशि अर्थात 800 करोड़ रुपये आधुनिकीकरण योजना में प्रदेश को उपलब्ध कराये जाने की मांग रखी।
मुख्यमंत्री ने पुलिस आधुनिकीकरण योजना को अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ाये जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत कारागारों एवं न्यायालयों के मध्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्थाएं, आपदा प्रबंधन के लिए अग्निशमन सेवाओं के सुदृढ़ीकरण आदि को भी शामिल किया जाना उपयुक्त होगा। यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश का सर्वाधिक बड़ा राज्य है, जिसकी अपनी विविधताएं एवं विषमताएं हैं। विभिन्न जातियों एवं धर्मों के लोगों के बीच आपसी सौहार्द कायम रखना, आम नागरिकों को सुरक्षित जन-जीवन प्रदान करना और कानून-व्यवस्था बनाये रखने से लेकर आतंकवाद जैसे आंतरिक सुरक्षा के जटिल पहलुओं से निपटना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, साथ ही प्रदेश की 550 किलोमीटर खुली नेपाल सीमा भी आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भारत-पाक एवं भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी चौकसी के फलस्वरूप भारत-नेपाल की खुली अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादी एवं राष्ट्र-विरोधी तत्वों की गतिविधियों की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा पर विशेष पुलिस व्यवस्थाओं की आवश्यकता है, जिसमें पर्याप्त इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट्स की स्थापना और सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा के समानान्तर सड़कों के निर्माण के पहलू महत्वपूर्ण हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि पुलिस की कार्य-पद्धति में अग्रेतर सुधार की दृष्टि से भी ठोस कदम उठाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि भीड़ नियंत्रण के लिए नॉन लीथल वीपंस प्रयोग में लाये जा रहे हैं और इसमें आगे भी बढ़ोत्तरी की जानी है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से पर्याप्त मात्रा में नॉन लीथल वेपंस सुलभ कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि क्रय प्रक्रियाओं को भी सरल बनाना होगा, ताकि अपेक्षित उपकरण शीघ्रातिशीघ्र उपयोग के लिए बलों को उपलब्ध हो सकें। यादव ने पुलिस जांच को और अधिक वैज्ञानिक तरीके से संपादित करने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब्स की व्यापक आवश्यकता बताते हुए कहा कि इसके लिए 750 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने साइबर क्राइम में दिन-प्रतिदिन हो रही बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त करते हुए ऐसे अपराधों की जांच के लिए प्रदेश में स्टेट ऑफ द आर्टस साइबर क्राइम यूनिट्स की स्थापना की आवश्यकता बताई और विशिष्ट प्रशिक्षण दिये जाने आदि मे केंद्र सरकार से पूर्ण सहयोग की अपेक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेगासिटी पुलिसिंग की दिशा में भारत सरकार की विशेष योजनाएं प्रचलित हैं, जिनका लाभ राज्य को अभी तक नहीं मिल पाया है। उन्होंने अनुरोध किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ने वाले प्रदेश के क्षेत्रों यानि की गौतमबुद्ध नगर और गाज़ियाबाद की पुलिस को अन्य मेगासिटीज़ की तरह आधुनिक उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध कराये जाएं। प्रदेश में आतंकवाद का सामना करने के लिए आतंकवाद निरोधक दस्ता अर्थात एटीएस गठित है, जिसे और सुदृढ़ किया जा रहा है। एटीएस से देश-प्रदेश की शीर्ष इकाइयों से आवश्यक समन्वय रखा जा रहा है। प्रदेश में अभिसूचना संगठन मल्टी-एजेंसी सेंटर से सुचारू रूप से जुड़ा है और अभिसूचना कार्मिकों के विशेष प्रशिक्षण और अभिसूचना संकलन के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरणों की आपूर्ति के लिये भी उन्होंने केंद्र सरकार के सहयोग की अपेक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण एवं उनकी जांच के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई कार्यरत है किंतु जाली मुद्रा के परीक्षण के लिए उत्तर भारत में कोई संस्थान नहीं है, जिससे जांच में विलंब एवं अभियोगों के सफल निस्तारण में कठिनाई होती है। ऐसी दशा में लखनऊ या कानपुर में एक लैबोरेटरी की स्थापना करने पर केंद्र सरकार विचार करने का अनुरोध किया। अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम को तेजी से लागू किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप समस्त थाने एवं विभिन्न पुलिस कार्यालय कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ जाएंगे, इसके लिए समय-समय पर नई-नई प्रणालियां लागू करने के कारण कोई भी सिस्टम अभी तक पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो पाया है। अतः इस सिस्टम को पूर्णता तक पहुंचाया जाए। उन्होंने दोषी व्यक्तियों को दंडित किये जाने में हो रहे विलंब से भी कानून-व्यवस्था पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव की चर्चा करते हुए केंद्र सरकार से फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाने की मांग की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वर्ष 2013 में इलाहाबाद में महाकुंभ का आयोजन होना है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं का आगमन होगा। इस आयोजन के दृष्टिगत सुरक्षा एवं कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से भी सहयोग अपेक्षित होगा, जिसमें अभिसूचनाएं जनशक्ति और सुरक्षा उपकरणों के पहलू महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था इसी आयोजन के लिए ही नहीं अपितु सुरक्षा के दृष्टिकोण से भविष्य में भी निरंतर रूप से बनाये रखी जानी होगी। उन्होंने कुंभ मेले के आयोजन में आने वाले व्यय में केंद्र सरकार से भी समुचित भागीदारी की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि देश की आंतरिक सुरक्षा और प्रदेश की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार से जिन बिंदुओं पर प्रदेश सरकार की अपेक्षा है, उन पर केंद्र सरकार अवश्य ही प्रभावी पहल करेगी।