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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि नौशेरा युद्ध के नायक ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, स्वतंत्र भारत के सर्वाधिक प्रेरणादायक सैन्य अधिकारियों में से एक हैं। उन्होंने सेना की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को निभाते हुए असाधारण साहस, कर्तव्य के प्रति समर्पण, मात्रभूमि के प्रति अगाध प्रेम का प्रदर्शन किया था।
सेना द्वारा आयोजित उनके जन्मशती समारोह में बोलते हुए अंसारी ने कहा कि ब्रिगेडियर उस्मान ने देश के विभाजन के दौरान लोगों के दिल और दिमाग जीत लिये थे। उस समय वे मुल्तान के गैरिजन कमांडर के रूप में 50 हजार हिंदू और सिख शरणार्थियों की जिम्मेदारी निभा रहे थे। वे हमेशा शांत रहते थे और धार्मिक रूप से गांधीजी के सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए गांधीजी से उपहार में दिये गये चरखे पर कातते हुए खुशी का अनुभव करते थे। जब वे वर्दी नहीं पहनते थे, तो गांधीजी की रचनाओं को पढ़ा करते थे।
हामिद अंसारी ने कहा कि ब्रिगेडियर उस्मान का समर्पण और प्रतिबद्धता प्रशंसनीय थी। सन् 1947 में 27 दिसंबर को जब झांगर का पतन हुआ, तो उन्होंने यह शपथ ली थी कि जब तक वे झांगर को पुन: जीत नहीं लेंगे, चारपाई पर नहीं सोएंगे। उन्होंने अपने वचन का अनुपालन किया और 1947-48 की सर्दियों के महीने में वे चटाई पर सोए। घमासान युद्ध के बाद जब 50 पैराशूट ब्रिगेड ने 18 मार्च, 1948 को झांगर पर दोबारा जीत हासिल की, तभी उन्होंने अपना वचन तोड़ा। इससे पहले उन्होंने नौ सेना की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के बहादुरी के कारनामे भारतीय सेना को आने वाले वर्षों में प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने लोगों से ब्रिगेडियर उस्मान को हमेशा याद रखने का आह्वान किया, जो 1947-48 में जम्मू-कश्मीर ऑपरेशन के दौरान श्रेष्ठ बलिदान देने वाले वरिष्ठ सैनिक अधिकारी थे। एक युद्धनायक के रूप में उनका नाम हमेशा भारत और भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।