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वर्धा विवि में 'साकेत संकुल' का लोकार्पण

हिंदी भाषा भारत की पहचान अभिव्यक्ति संस्कृति प्रवृत्ति व शक्ति

गांधीजी के सपनों के अनुरूप बनी है नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-निशंक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 22 August 2020 04:19:22 PM

'saket-sankul' houses in mahatma gandhi international hindi university

नई दिल्ली/ वर्धा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अध्यापकों को शोध एवं अध्यापन के लिए गुणवत्तापूर्ण वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के परिसर में 'साकेत-संकुल' के 57 अध्यापकीय आवासों को लोकार्पित किया। शिक्षा मंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा शिक्षा के क्षेत्र में आगे भी नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। रमेश पोखरियाल ने कहा कि ‘साकेत संकुल’ में प्रवेश करने वाले शिक्षकों के मन में महात्मा गांधी वास करेंगे और जिस तरह की शिक्षा का सपना महात्मा गांधी ने देखा था, उसे यहां के शिक्षक अपने कुलपति के नेतृत्व में पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि यहां से निकलने वाले शिक्षार्थी राष्ट्र निर्माण के लिए काम करेंगे और पूरी दुनिया में मानवता का प्रचार करेंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि गांधीजी जब अल्मोड़ा गए थे तो हिमालय के आखिरी छोर तक वे नई तालीम ले गए थे, वहीं रहकर उन्होंने अनासक्ति योग लिखा था, उसमें उनका जोर शिक्षा, संस्कृति, संस्कार और आत्मनिर्भरता पर था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी गांधीजी के सपनों के अनुरूप शिक्षा का प्रावधान किया गया है, वे प्रावधान आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक होंगे। रमेश पोखरियाल ने कहा कि गांधीजी ने हर उस चीज को पकड़ा था, जो मानवता पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा कि यह भारत की ताकत रही है कि वह पूरी वसुधा को कुटुंब मानता है और सर्वे भवंतु सुखिन: की कामना करता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को माँ कहने वाला हिंदुस्तान ही है, जो मानवता का संरक्षण कर सकता है, शुभ, शांति और प्रगति पूरी दुनिया की जरूरत है, उसके लिए गांधीजी के सपनों को साकार करना ही होगा। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा शिक्षण पर जोर दिया गया है, प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से उसके नतीजे उत्साहजनक निकलेंगे। रमेश पोखरियाल ने कहा कि आज जब कई भाषाएं और बोलियां लुप्त हो रही हैं, उन्हें हर हाल में बचाना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अभीष्ट है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था जिस देश की भाषा नहीं, वह गूंगा होता है, बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि भाषा के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता इसलिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण और सभी भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित करने में हिंदी की भूमिका बड़ी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषा शिक्षण के अलावा ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान पर भी जोर दिया गया है, गांधीजी जिस तरह की तालीम चाहते थे उसे मूर्त करने का संकल्प भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है, इसके लिए कौशल पर जोर दिया गया है। रमेश पोखरियाल ने गांधीजी के सपनों के अनुरूप और हिंदी भाषा शिक्षण के क्षेत्र में वर्धा के कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल के नेतृत्व में जो काम कर रहा है, उसकी चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी भारत की पहचान है, वह अभिव्यक्ति है, संस्कृति है, प्रवृत्ति है, शक्ति है। उन्होंने कहा कि हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं और बोलियों से शब्द लेकर बहुत समृद्ध हुई है, हिंदी में जितने शब्द और शब्दकोश हैं, उतने किसी भाषा में नहीं हैं। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में वर्धा के सांसद रामदास टाडस भी उपस्थित थे।
रमेश पोखरियाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की आधारशिला बनेगी, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारत आगे बढ़ेगा और जो भारतीय प्रतिभाएं विदेशों में चली जाती हैं, वे अपने ही देश के विकास में योगदान करेंगी। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की ऐतिहासिक शिक्षा नीति है, जो शिक्षा, संस्कार, राष्ट्र निर्माण का यत्न है, पहली बार शिक्षा नीति में हिंदी और भारतीय भाषाओं में शिक्षा और पारस्परिक संबंध कायम करने, अनुवाद के जरिए ज्ञान की सामग्री सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि गांधीजी के 150वें और विनोबाजी के 125वें जन्मवर्ष में हिंदी विश्वविद्यालय से जो अपेक्षाएं और आकांक्षाएं केंद्रीय शिक्षा मंत्री को हैं, उन्हें वह पूरा करने का पूरा प्रयास करेगा। गौरतलब है कि महात्मा गांधी के भाषाई विजन को साकार करने और शिक्षा एवं अनुसंधान से हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध करने के उद्देश्य से आवासीय केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूपमें इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।

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