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Sunday 21 April 2013 09:20:15 AM
नई दिल्ली। इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायण मूर्ति ने एक लेख में देश के सेक्यूलरों से जानना चाहा है कि यदि बीजेपी हिंदुओ के हित की बात करने से सांप्रदायिक हो जाती है तो फिर मुसलमानों के हित की बात करने वाली कांग्रेस या दूसरी पार्टियां धर्मनिरपेक्ष कैसे हुईं? भारत में सांप्रदायिकता या सेक्यूलरिज्म की आड़ में सिर्फ हिंदुओं और हिंदूवादियों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है?
उन्होंने मीडिया को भी कहा कि भारत की मीडिया नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसी साजिश के तहत अभियान चलाती है और सवाल किया कि क्या भारत में 2002 के पहले और 2002 के बाद दंगे नहीं भड़के? फिर मीडिया 2002 को ही बार बार क्यों उछालती रहती है?
उन्होंने कहा कि आसाम दंगों पर कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाई की? कुछ नहीं की, फिर क्या आसाम के मुख्यमंत्री ने माफ़ी मांगी? क्या आसाम के मुख्यमंत्री ने दंगो की जिम्मेदारी ली? नहीं, फिर वही कांग्रेस और वही मीडिया नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगो के लिए जिम्मेदार क्यों ठहराती है? और उनसे बार-बार माफ़ी की मांग क्यों की जाती है?
लेकिन, भारत की मीडिया के दोगलेपन की हद देखिए कि किसी मीडिया ने उनके इस लेख का जिक्र नही किया, लेकिन अगर यही नारायण मूर्ति, मोदी या हिंदुत्व के खिलाफ लिखे होते, तो अब तक मीडिया उस उस लेख का दुनियाभर में प्रचार कर देता।