स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 6 December 2013 07:29:34 AM
जोहानिसबर्ग/ नई दिल्ली। अश्वेत क्रांति के महानायक नेल्सन मंडेला आज दुनिया में नहीं रहे। विश्व प्रसिद्ध नोबेल शांति पुरस्कार और भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न सहित दुनिया के ऐसे ही करीब ढाई सौ शीर्ष विश्व सम्मान से सम्मानित, रंगभेद के विरूद्ध विश्व क्रांति के सत्ताईस वर्ष जेल में बिताने वाले, मानवता के उत्थान के लिए असहनीय अत्याचारों से डटकर लोहा लेने वाले महापुरूष, दक्षिण अफ्रीका के मान्य राष्ट्रपिता और वहां के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का जीवन विश्व समुदाय के सामने अनुकरणीय, आदर्श और संर्घषशील लोकनायक के रूप में सदैव याद किया जाएगा। इस धीरवीर ने मानवता के लिए अपना युवाकाल दुनिया के उन लोगों के कल्याण के प्रति समर्पित किया, जो सदियों से मनुष्य होने के अहसास से भी दूर थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार के हजारों रिहाई प्रस्तावों को ठुकरा दिया। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, भारतीय संसद, दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों और सभी क्षेत्रों के महानुभावों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलियां अर्पित की हैं।
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि किसी कवि ने कहा है कि 'यहां और वहां, कभी कभार, ईश्वर मानवों के बीच महामानव की रचना करते हैं।' नेल्सन मंडेला मानवों के बीच एक ऐसे ही महामानव थे। उन्होंने न सिर्फ विश्व की अंतरात्मा का प्रतिनिधित्व किया, अपितु वे दमन और अन्याय के विरुद्ध अपनी जनता को विजय दिलाने के बाद बुराइयों के प्रति संघर्षरत लोगों के लिए आशा की किरण भी बने रहे। उन्होंने कहा कि नेल्सन मंडेला ने बहुत कठिनाइयों का सामना किया, ताकि दूसरों को सम्मान, समानता और अवसर उपलब्ध हो सकें। वे भेदभाव और अमानवीय बहिष्कार के विरुद्ध लड़ते रहे, लेकिन इन कटु भेदों से ऊपर उठकर उन्होंने एक छिन्न-भिन्न राष्ट्र के जख्मों पर मरहम लगाया और सामंजस्य स्थापित किया, उनके जीवन और कार्यों ने उन्हें विश्व का नागरिक बना दिया। विशेषकर भारत में उनके प्रति विशेष प्रेम और सम्मान है, उनका मिशन रंगभेद के विरुद्ध सैद्धांतिक संघर्ष की महान प्रेरणा और नैतिक संरक्षण था, इस मिशन ने बेहतर विश्व की हमारी अपनी आशा को भी परिलक्षित किया और हम उस समय बेहद गौरवान्वित हुए, जब उन्होंने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मंडेला का निधन भारत और विश्व के लिए भी उतनी ही बड़ी क्षति है, जितनी दक्षिण अफ्रीका के लिए। आज हम दक्षिण अफ्रीका और विश्व के साथ इस क्षति का शोक मना रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि उनका जीवन और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
भारत के उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति एवं मानवीय भावनाओं और मूल्यों का उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व करने वाली हमारे दौर की महान विभूति नेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि मंडेला तानाशाही और अन्याय के विरुद्ध अपनी जनता के स्वाधीनता और सम्मान प्राप्ति के संघर्ष का जीवंत प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान मंडेला के साहस, दृढ़ता और बलिदान ने लाखों लोगों को प्रेरित किया, वहीं दूसरी ओर शांति, क्षमा और सुलह के उनके संदेश ने उन्हें एकजुट किया और उसके बाद शांति और प्रगति की राह पर विविधताओं वाले अपने राष्ट्र का नेतृत्व किया। एम हामिद अंसारी ने कहा कि मंडेला के निधन से दक्षिण अफ्रीका की जनता ने अपने राष्ट्रपिता और विश्व ने एक राजनेता को खो दिया है, जिनका जीवन और साहस तथा अच्छाई का संदेश आने वाले वर्षों में दुनिया को निरंतर प्रेरित करेगा और उसका मार्गदर्शन करता रहेगा। भारत सरकार ने नेल्सन आर मंडेला के देहांत पर उनके सम्मान में 6 से 10 दिसंबर तक पांच दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। राजकीय शोक के दौरान देश भर में राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा और किसी तरह के सरकारी समारोह आयोजित नहीं किये जाएंगे।
भारत के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री तथा भारतीय रंगभेद विरोधी आंदोलन के पूर्व अध्यक्ष आनंद शर्मा ने नेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि 'दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के दौर के समापन के बाद के प्रथम राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन से हम सभी को गहरा दुख पहुंचा है, उनके निधन से विश्व ने स्वाधीनता और मानव गरिमा का महान प्रतीक खो दिया है, वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने दुनिया भर में भेदभाव और दमन के शिकार लाखों लोगों में आशा, साहस और हिम्मत का प्रसार किया, उन्होंने रंगभेद के अभिशाप के विरुद्ध दक्षिण अफ्रीकी जनता के साहसपूर्ण संघर्ष का नेतृत्व किया और नृशंस रंगभेदी शासन का तख्ता पलट सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा कि मंडेला में अपने उद्देश्य के प्रति अपार दृढ़ता, अपने साहस के प्रति अटूट विश्वास और अथाह नम्रता थी, कई वर्षों तक कालकोठरी में बंद रहने सहित दशकों की कैद के बावजूद वे अपने विकट संघर्ष के प्रति दृढ़निश्चय के साथ संकल्पबद्ध रहे, गैर-रंगभेदी लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति होने के नाते उन्होंने सच्चाई और सुलह के मार्ग का अनुसरण करते हुए दशकों की रंगभेदी तानाशाही और हिंसा से आहत लोगों के जख्मों पर मरहम लगाया, उनके निधन ने विश्व को बेहद दुख से भर दिया है और ये दिन एक युग के अंत का प्रतीक है।
नेल्सन मंडेला का पांच दिसंबर बृहस्पतिवार की रात निधन हुआ। वे 95 वर्ष के थे और फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित थे। मंडेला लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि देश के पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन रोलिहलाला मंडेला का बृहस्पतिवार रात स्थानीय समय रात आठ बजकर 50 मिनट पर निधन हो गया है, वह अब आराम कर रहे हैं, शांति में हैं, हमारे देश ने अपना महान सपूत को खो दिया है, हमारे देश के लोगों ने अपना पिता खोया है। जैकब जूमा ने कहा कि मंडेला ने स्वतंत्रता के लिए अथक संघर्ष के कारण दुनियाभर में सम्मान हासिल किया, उन्होंने विनम्रता, दया और मानवता के कारण दुनिया का प्यार हासिल किया। मंडेला को आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का पितामह माना जाता है। गोरी सरकार का विरोध करने के आरोप में उन्हें 27 वर्ष तक जेल में रहना पड़ा।