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उर्दू में भी आरटीआई मांगें-सूचना आयुक्त

अन्नूर सोशल केयर ने दिया आरटीआई प्रशिक्षण

आरटीआई पर उर्दू में किताब 'हक़ इत्तेलाआत'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 5 October 2015 02:05:52 AM

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लखनऊ। अन्नूर सोशल केयर फाउंडेशन की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का एक दशक पूरा होने पर अल-क़ुरआन इंसटीट्यूट के कांफ्रेंस हाल में आरटीआई मुद्दे पर एक सेमिनार हुआ, जिसमें कार्यक्रम के संयोजक नजीबुर्रहमान मलमली ने फरमाया कि सेमिनार और ट्रेनिंग प्रोग्राम के आयोजन का उद्देश्य अल्पसंख्यकों और विशेष कर मुसलमानों में सूचना का अधिकार एक्ट के बारे में जागरूकता पैदा करना एवं उन्हें प्रदेश एवं केंद्र सरकार की योजनाओं से अवगत कराना है, ताकि वह इस एक्ट का प्रयोग करके अपने हक़ को हासिल कर सकें। इस मौके पर अन्नूर फाउंडेशन की किताब 'हक़ इत्तेलाआत' (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान, आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग, नजीबुर्रहमान मलमली नदवी और मौलाना शाह फखरे आलम नदवी ने विमोचन भी किया।
'हक़ इत्तेलाआत' किताब आरटीआई एक्ट आने के एक दशक बाद पहली बार उर्दू भाषा में लांच की गई, जिसकी तरतीब और पेशकश आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग ने की है और इसको पब्लिश करने का काम अन्नूर फाउंडेशन के महासचिव नजीब मलमली नदवी ने किया है। सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने किताब पर खुशी का इज़हार किया और कहा कि यह किताब हर मकतब और मदरसों के तालबे इल्मों को दी जानी चाहिए। सूचना आयुक्त हाफिज़ उस्मान ने कहा कि मदरसों में ट्रेनिंग कराकर सूचना के अधिकार कानून का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मदरसों के लोगों को चाहिए कि वे सूचना का अधिकार कानून जानें और इसका इस्तेमाल करें।
सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि उन्हें सूचना आयोग में दो साल हो गए हैं, लेकिन उनके सामने एक भी ऐप्लीकेशन उर्दू ज़बान में नहीं आई। कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने टेक्निकल अंदाज़ इख्तियार करने का तरीका बताया। आरटीआई कार्यकर्ता संजय आजाद का कहना था कि उनके अलावा अन्य सूचना आयुक्त सूचना नहीं दिला पाते और बिना सूचना दिलाए ही मामलों को निस्तारित कर देते हैं। सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट का नाम लेकर कई कार्यकर्ताओं ने कड़े शब्दों में उनकी आलोचना की, लेकिन सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने अन्य आयुक्त से संबधित किसी भी सवाल का जवाब देने से गुरेज़ किया। हाफिज़ उस्मान ने अन्नूर फाउंडेशन के जिम्मेदारों की सराहना करते हुए यह सलाह दी कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन मदरसों और मकतबों मे भी किया जाना चाहिए। उन्होंने लीडरशीप डेवलपमेंट पर भी जोर दिया। मुरादाबाद के आरटीआई एक्टीविस्ट एंड रिर्सचर ट्रेनर सलीम बेग ने आरटीआई के दस साल के अनुभव का जिक्र करते हुए अनेक आरटीआई से मिलने वाली कामयाबियों पर विस्तार से रौशनी डालकर प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया।
आरटीआई एक्टीविस्ट सलीम बेग ने प्रतिभागियों को आरटीआई एक्ट से संबंधित वृहद ट्रेनिंग दी, जिसमें सूचना मांगने, प्रथम अपील दायर करने, दूसरी अपील दायर करने और आपत्तियां भेजने से संबंधित जानकारी देते हुए प्रतिभागियों से ट्रेनिंग के दौरान आरटीआई आवेदन लिखवाए और इन आवेदनों को अपने अनुभव के आधार पर एक्ट के अनुरूप परिवर्तित भी कराया। ट्रेनिंग कार्यक्रम की अध्यक्षता मानव अधिकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने की। प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए संजय शर्मा ने कहा कि सभी प्रतिभागियों को न केवल स्वयं आरटीआई दायर करनी चाहिए, बल्कि उन्हें अन्य लोगों को भी आरटीआई दायर करने के लिए प्रेरित करना है, तभी इस ट्रेनिंग की सार्थकता साबित होगी। कार्यक्रम में आरटीआई कार्यकर्ताओं में रामस्वरूप यादव, तौसीफ शमशाद, अशोक कुमार एडवोकेट, डॉ शमीम अहमद, तनवीर अहमद सिद्दीकी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मुरादाबाद, सुल्तानपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, बरेली, बहराइच, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ जैसे विभन्न जनपदों के कार्यकर्ताओं और मदरसे से जुडे़ हुए लोग आए। अल-कुरआन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष मसउद अहमद, सामाजिक महिला कार्यकर्ता निकहत खान की उपस्थिति उल्लेखनीय है।

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