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यातायात में रेलवे की हि‍स्‍सेदारी काफी घटी

गैर-किराया राजस्‍व बढ़ाने हेतु विभिन्‍न कदम उठाए

रेलमंत्री ने माल ढुलाई योजना का किया विस्तार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 3 March 2017 03:43:05 AM

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नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कल नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय रेल संग्रहालय में कुछ प्रमुख माल ढुलाई कदमों का आगाज किया, जिनमें प्रमुख उपभोक्‍ताओं के लिए ‘दीर्घकालिक अनुबंधों’ की नीति, भारतीय रेलवे की माल ढुलाई और यात्री व्‍यवसाय कार्य योजना 2017-18, वायर के तहत डबल स्टैक ड्वार्फ कंटेनर ट्रेन का पुष्टि परीक्षण-एक नया वितरण मॉडल, राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रो-रो यानी रोल ऑन-रोल ऑफ सेवा का प्रदर्शन परिचालन-सड़कों पर भीड़-भाड़ कम करने और पर्यावरण में सुधार के लिए ‘हरित परिवहन’ हेतु भारतीय रेलवे की एक पॉयलट परियोजना शामिल है। रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि विगत वर्षों के दौरान देश के कुल यातायात में रेलवे की हि‍स्‍सेदारी काफी घट गई है, रेलवे अपना दो तिहाई राजस्‍व केवल माल ढुलाई और मुख्‍यत: आठ जिंसों की ढुलाई से अर्जित करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर छाई सुस्‍ती से परिवहन क्षेत्र ही सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुआ है, इससे रेलवे की माल ढुलाई आमदनी प्रभावित हुई है।
रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे ने अपनी कुल माल ढुलाई में बढ़ोतरी करने की दिशा में अच्‍छा प्रदर्शन किया है। रेलमंत्री समस्‍त हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा कर अपनी माल ढुलाई नीतियों में निरंतर परिवर्तन करने के साथ-साथ उन्‍हें तर्कसंगत भी बनाते रहे हैं, ताकि और ज्‍यादा माल ढुलाई को रेलवे की ओर आकर्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इन बदलावों के लिए भारतीय रेलवे ने यातायात संबंधी नीतियां बनाने हेतु बाजार उन्‍मुख अवधारणा अपनाई है। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई नीति में किए गए ये उल्‍लेखनीय सुधार बजट में की गई घोषणाओं के अनुरूप ही हैं। रेलमंत्री ने इन बदलावों के प्रति सकारात्‍मक नजरिया अपनाने के साथ-साथ अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए हितधारकों का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि माल ढुलाई में बेहतरी होने पर सभी विजेता साबित होंगे, चाहे वह रेलवे हो अथवा उपभोक्‍ता या समस्‍त परितंत्र।
सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि प्रधानमंत्री के व्‍यापक विकास एजेंडे को ध्‍यान में रखते हुए ही रेलवे अपने कदम उठा रही है। उन्‍होंने कहा कि डबल स्टैक ड्वार्फ कंटेनर ट्रेन की अवधारणा एक अच्‍छा आइडिया है, क्‍योंकि इससे समय की बचत होगी और इसके साथ ही यह किफायती भी होगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह प्रदूषण, जन स्‍वास्‍थ्‍य और त्‍वरित परिवहन के दृष्टिकोण से रो-रो यानी रोल ऑन-रोल ऑफ सेवाओं की अवधारणा भी अत्‍यंत उपयोगी है। उन्‍होंने कहा कि हाल ही में रेल मंत्रालय ने गैर-किराया राजस्‍व के साथ-साथ ईंधन की लागत बचाने की दिशा में भी विभिन्‍न कदम उठाए हैं। सुरेश प्रभु ने कहा कि हमने ऊर्जा के मोर्चे पर अगले 10 वर्ष में 41,000 करोड़ रुपए की बचत करने का लक्ष्‍य रखा है, इसके साथ ही रेलवे ने विस्‍तारीकरण और क्षमता वृद्धि की व्‍यापक योजना शुरू की है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने कहा कि माल ढुलाई के और ज्‍यादा हिस्‍से को रेलवे की तरफ आकर्षित करना एक बड़ चुनौती है, इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए सभी हितधारकों को आपस में मि‍लकर काम करने की जरूरत है। रेलवे बोर्ड के सदस्‍य यातायात मोहम्‍मद जमशेद ने भारतीय रेलवे की व्‍यवसाय योजना 2017-18 की संक्षिप्‍त रूपरेखा पेश की। उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आरके कुलश्रेष्‍ठ और वरिष्‍ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रमुख माल ढुलाई कदमों की मुख्‍य विशेषताओं में रोल-ऑन रोल-ऑफ (रो-रो) वर्ष 2016-17 के रेल बजट में रेलमंत्री ने यह घोषणा की है कि या तो कंटेनरीकरण अथवा नए वितरण मॉडलों के जरिए माल ढुलाई के बास्‍केट को बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना विकसित एवं क्रियांवित की जाएगी। रोल-ऑन रोल-ऑफ इसी तरह का एक नया वितरण मॉडल है, जो मल्‍टी मोडल परिवहन सेवाएं उपलब्‍ध करा सकता है।
रो-रो सेवाओं का शुभारंभ कोंकण रेलवे पर हुआ था और बाद में ईसीआर एवं एनएफआर में भी इसे पिछले वर्ष सफलतापूर्वक शुरू किया गया था। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हरित परिवहन के लिए पॉयलट परियोजना इसी तरह की अगली ऐसी सेवा है, जिसका शुभारंभ भारतीय रेलवे में किया गया है। एनसीआर में 127 प्रवेश या निकासी स्‍थल हैं। इस क्षेत्र में अवस्थित 9 प्रमुख प्रवेश या निकासी स्‍थलों से 75 प्रतिशत हल्‍के वाणिज्यिक वाहन और भारी ट्रक गुजरते हैं। प्रतिदिन लगभग 66,000 ट्रक दिल्‍ली में प्रवेश करते हैं। इनमें से लगभग 38 प्रतिशत अथवा 25,000 ट्रकों की गिनती भारी ट्रकों में होती है। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत अर्थात 15,000 ट्रक दिल्‍ली आगमन के लिए निर्दिष्‍ट नहीं होते हैं। इस मॉडल के तहत ट्रकों की आवाजाही दिन के समय भी हो सकती है, जिन पर पहले प्रात: 7 बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक पाबंदी लगी हुई थी। प्रवेश स्‍थलों पर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें छोटी हो जाएंगी, जिससे समय की बचत होगी और इसके साथ ही रो-रो सेवा के परिचालन के दौरान ट्रक ड्राइवरों को पर्याप्त आराम भी मिल सकेगा।
रो-रो मॉडल से पूरे एनसीआर में स्‍वास्थ्‍य के लिए हानिकारक वायु प्रदूषण में काफी कमी आएगी। रो-रो सेवाओं से इन भारी और हल्‍के वाणिज्यिक वाहनों को दिल्‍ली की सीमा में प्रवेश करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। रोल-ऑन रोल-ऑफ सेवाओं के तहत इन वाणिज्यिक वाहनों को दिल्‍ली के बाहर स्थित रेलवे टर्मिनलों या पीएफटी पर रेलवे के फ्लैट वैगनों में लादा जाएगा और फिर उसके बाद शहर से होते हुए उन्‍हें दिल्‍ली की सीमा से बाहर वैगनों से नीचे उतार दिया जाएगा। इसका उद्देश्‍य दिल्‍ली में भीड़-भाड़ कम करना है। ट्रक ऑपरेटरों को लाभ के तहत पारगमन समय में 8-10 घंटे की बचत होने की आशा है, क्‍योंकि दिन के समय किसी भी वाणिज्यिक वाहन को एनसीआर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। पर्यावरण मुआवजा शुल्‍क की बचत लगभग 1400-2600 रुपए, दिल्‍ली में प्रवेश करने के लिए टोल टेक्‍स की बचत लगभग 500-900 रुपए, ईंधन की बचत होगी और इसके साथ ही आने-जाने में कम समय लगेगा। समुदाय को लाभ-वायु एवं ध्‍वनि प्रदूषण में कमी, दिल्‍ली की सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी, सड़क दुर्घटनाओं में कमी, परिवहन से निकलने वाले कार्बन उत्‍सर्जन में कमी इस लिहाज से परिवहन के समस्‍त साधनों में रेलवे का प्रदर्शन सबसे अच्‍छा है।
रेलवे को लाभ-अतिरिक्‍त यातायात, एक नया मॉडल, जिसमें सड़कों पर आवाजाही के साथ अनुकूलता की परिकल्‍पना की गई है। इसके साथ ही हरित परिवहन के जरिए प्रमुख महानगरों में प्रदूषण घटाने के राष्‍ट्रीय प्रयासों में भारतीय रेलवे की भागीदारी सुनिश्चित होगी। भारतीय रेलवे अपने हर परिचालन के दौरान प्रमाणित कार्बन क्रेडिट भी अर्जित करेगी। परीक्षण परिचालन में एनसीआर में गढ़ी हरसरु से मुरादनगर तक प्रथम पॉयलट परियोजना को 2 मार्च 2017 को पटेल नगर से झंडी दिखाकर रवाना किया जा रहा है। दीर्घकालिक शुल्‍क (टैरिफ) अनुबंध या समझौतों के तहत रेल बजट 2016-17 में रेलमंत्री की घोषणा पर अमल करते हुए पूर्व निर्धारित मूल्य वृद्धि सिद्धांत का उपयोग करके रेलवे के प्रमुख माल ढुलाई उपभोक्‍ताओं के साथ दीर्घकालिक शुल्‍क समझौते या अनुबंध करने की नीति का शुभारंभ करने का निर्णय लिया गया है।
पूर्व निर्धारित मूल्य वृद्धि सिद्धांत के अनुसार उपभोक्‍ताओं की ओर से दीर्घकालिक सकल माल ढुलाई राजस्‍व संबंधी प्रतिबद्धताएं हासिल करना। नीति की मुख्‍य बातें ये हैं-यातायात की न्यूनतम गारंटी मात्रा मुहैया कराने की प्रतिबद्धता के बदले में सकल माल ढुलाई राजस्‍व में वृद्धिपरक विकास के आधार पर न्‍यूनतम गारंटी मात्रा से जुड़ी छूट मिलेगी। सकल माल ढुलाई राजस्‍व में वृद्धिपरक विकास के अनुसार 1.5 प्रतिशत से लेकर 35 प्रतिशत तक डिस्‍काउंट। लाभार्थी-प्रमुख उपभोक्‍ता जैसे कि सीमेंट, उर्वरक, इस्‍पात उद्योग इत्‍यादि। लाभ-उपभोक्‍ताओं के लिए दीर्घकालिक शुल्‍क, माल भाड़ा दरों में स्थिरता एवं निश्चितता। रेल बजट 2016-17 में रेलमंत्री ने घोषणा की है कि माल ढुलाई के बास्‍केट के विस्‍तारीकरण और या तो कंटेनरीकरण अथवा नए वितरण मॉडलों के जरिए यातायात को फि‍र से हासिल करने के लिए एक कार्य योजना विकसित एवं क्रियांवित की जाएगी। डबल स्टैक ड्वार्फ कंटेनर ट्रेन कुछ इसी तरह का अभिनव वितरण मॉडल है।
डबल स्टैक ड्वार्फ कंटेनरों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे ज्‍यादा वहन क्षमता के साथ अधिकतम प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए वायर के नीचे 6 फीट 4 इंच की ऊंचाई पर अपना परिचालन कर सकेंगे। प्रति इकाई ढुलाई लागत घट जाएगी। कम भार मात्रा अनुपात वाली जिंसों के लिए लाभप्रद। आर‍ंभिक वर्ष में लगभग 3 मिलियन टन का अतिरिक्‍त यातायात आकर्षित करने की संभावना। भारतीय रेलवे की व्‍यवसाय योजना 2017-18-रेल यात्रियों की यात्रा को और सुखद बनाने के साथ-साथ भारतीय रेलवे के माल ढुलाई व्‍यवसाय को हमारे उपभोक्‍ताओं की जरूरतों के और अनुरूप बनाने के हमारे अथक प्रयासों के तहत ही व्‍यवसाय योजना 2017-18 शुरू की गई है।
व्‍यवसाय योजना 2017-18 की मुख्‍य बातें-माल ढुलाई खंड-विभिन्‍न कदमों जैसे कि हितधारकों के साथ भागीदारी के जरिए रेलवे के माल गोदामों को बेहतर करते हुए वितरण प्रणाली का उन्‍नयन करना। यात्री खंड-कैशलेस, पेपरलेस टिकटिंग, ‘आधार’ पर आधारित टिकटिंग और मई 2017 तक एक एकीकृत टिकटिंग एप को अपनाते हुए टिकट व्‍यवस्‍था में बदलाव लाना। नए व्‍यावसायिक अवसर-डाक विभाग के साथ नई भागीदारी के जरिये पार्सल व्‍यवसाय को बढ़ाना, ताकि पार्सल यातायात में सम्‍पूर्ण सोल्‍यूशन मुहैया कराया जा सके। इसके साथ ही बेहतर बुकिंग व्‍यवस्‍था के लिए आईटी से लाभ उठाना। वर्ष 2017-18 में 408 ‘ए-1’ और ‘ए’ श्रेणी के स्‍टेशनों पर रेल डिस्‍प्‍ले नेटवर्क के फैलाव में वृद्धि करके रेलवे की हार्ड और सॉफ्ट परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के जरिए गैर-किराया राजस्व में बढ़ोतरी करना।

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