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Friday 16 November 2018 01:23:16 PM
मुंबई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि बदलते तकनीकी आर्थिक परिदृश्य के मद्देनज़र सहकारी क्षेत्र के कानूनों में बदलाव किया जाना चाहिए। वे मुंबई में ‘सहकार भारती’ के कार्यक्रम में ‘सहकारिता’ विषय पर लक्ष्मणराव ईनामदार स्मृति व्याख्यान दे रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जागरुकता की कमी, मानसून की अनिश्चितता, बाज़ार तक पहुंच का अभाव और भंडारण सुविधाओं की कमी ने कृषि को अलाभकारी बना दिया है, इस कारण लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए सहकारी क्षेत्र को प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए और आय बढ़ाने के लिए किसानों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकारी मॉडल के आधार पर जापान, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देश आम लोगों को किफायती स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करते हैं, इसलिए आम लोगों की बेहतरी के लिए हमें ऐसे प्रारूपों को अपनाने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इसके लिए सरकार के विभागों और शोध संस्थानों को सहकारी समितियों का समर्थन करना चाहिए और उन्हें बागवानी, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, ग्रामीण परिवहन, खाद्य प्रसंस्करण आदि अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अतिरिक्त आय का सृजन किया जा सके। वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकारी समितियों को किसानों को शिक्षित करना चाहिए, ताकि वे रसायनिक खादों और कीटनाशकों का उचित प्रयोग करें, इससे कृषि लागत में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक खाद और जल के किफायती उपयोग के संबंध में भी शिक्षित किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि भारत खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है, लेकिन कृषि क्षेत्र संरचनात्मक अवरोधों को सामना कर रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, जन-धन, ई-नाम, मुद्रा योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सहकारी समितियों को मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहकारी समितियों, कृषि शोध संस्थानों, किसान विकास केंद्रों और किसान समूहों को समन्वय के साथ काम करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सहकारिता आंदोलन का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। उन्होंने कहा कि देश में 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं, इनके सदस्यों की संख्या 25 करोड़ से अधिक है। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सहकारी क्षेत्र पूरी दुनिया में एक सफल मॉडल रहा है, सिंगापुर, डेनमार्क, जापान और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में सहकारी सहमितियां सफल रही है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर के खुदरा बाजार का 55 प्रतिशत और डेनमार्क का 36 प्रतिशत सहकारी समितियों के जिम्मे है। महाराष्ट्र के राज्यपाल चौधरी विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े और गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।