Saturday 5 January 2019 02:14:10 PM
दिनेश शर्मा
स्वंतत्र आवाज़ डॉट कॉम आज दस वर्ष का हो गया है। पांच जनवरी 2008 को यह हिंदी दैनिक समाचार पोर्टल अस्तित्व में आया था और आपके उत्साहवर्धन से आज इसने अपनी उम्र के दस वर्ष पूरे किए। उपेक्षापूर्ण असहयोग, संघर्षमय और अत्यंत कठिनतम स्थितियां यूं तो पेशेवर पत्रकारिता की सच्ची कहानी है और इसमें किसी अलौकिक सुख की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए, तथापि यह भी किसी सुख से कम नहीं है, जब आप दूसरों से सुनते हैं और महसूस भी करते हैं कि स्वंतत्र आवाज़ डॉट कॉम समाचार पोर्टल की विषय सामग्री की गुणवत्ता औरों से बेहतर है और यहां पेशेवर पत्रकारिता है, बस इसी से हमें संघर्ष का सामना करने की हिम्मत मिलती है।
स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम का दस वर्ष का यह कालखंड बयान नहीं किया जा सकता है, क्योंकि रोज ही न जाने कितने गतिरोध हमारे सामने आए हैं और आते रहेंगे, मगर यह उनसे बेपरवाह होकर हंसते हुए आगे बढ़ता जा रहा है। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम के लिए 2018 की जनवरी भयानक संकट बनकर आई, जब हमारे सर्वर से हमारा पूरा नौ वर्ष पुराना सारा डाटा ही उड़ा दिया गया और डाटा के बिना पूरे जनवरीभर स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम बंद रहा। हमारे पास कुछ डाटा सेव था और कुछ लिंक गूगल पर भी सेव थे, इसलिए हमें थोड़ी मदद मिली और हम उन्हें रीलोड कर सके, तथापि हमारा बहुत सारा डाटा चला गया है। वास्तव में हमारे लिए इससे ज्यादा मुश्किल समय कभी नहीं रहा। इसके पीछे कौन थे, यह अभी तक पता नहीं चल सका है। अतीत से सबक लेकर आगे देखना ही भला होता है, इसलिए जैसे भी हो सका हम आपके सामने उन्हीं तेवरों के साथ खड़े हैं और असहज व्यवस्था का सामना कर रहे हैं।
बहुत से मित्र हमसे प्रश्न करते हैं और हमें परामर्श देते हैं कि जिसमें कोई लाभ नहीं है, उसे चलाना कोई बुद्धिमानी नहीं है, ऐसी पत्रकारिता से क्या लाभ, मगर हम उन्हें क्या बताएं जो स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम को प्यार करते हैं, इसके लिए दुआएं करते हैं और इसे अनवरत चलते देखना चाहते हैं। जी हां! कुछ तो सच है जिसमें यह सच्चाई भी उभरकर सामने आती है कि भूखे रहकर भजन भी संभव नहीं है अर्थात ऐसे कार्य में आर्थिक पक्ष का सुदृढ़ रहना बहुत आवश्यक है, लेकिन पेशेवर पत्रकारिता के साथ आज कितने लोग खड़े हैं? अब तो यह मार्ग और भी कठिन हो चला है। किनके कारण कठिन है, यह सभी जानते हैं। सरकार की भी कोई वेब मीडिया नीति नहीं है और जो है भी उसका केवल बड़े समाचार पत्र समूह ही लाभ उठाते हैं। ऐसे अनगिनत दौर आए हैं, जब भारी आर्थिक दबाव के सामने हमारी हिम्मत ने जवाब दिया है, मगर कमेंट बॉक्स में आपके उत्साहजनक शब्दों और कुछ शुभचिंतकों ने हमारे मनोबल को संभाला और हमें हमारे पत्रकारिता धर्म से विचलित नहीं होने दिया।
पत्रकारिता में आज जो ऐलिमेंट घुसपैंठ कर चुका है, उसने उसका मूल चरित्र छीन लिया है, यही ऐलिमेंट पत्रकारिता का सम्मान गिराने के लिए जिम्मेदार है, हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है। अनेक मीडिया समूहों ने पत्रकारिता को बाज़ार और ऐसा ग्लैमरस मीडिया बना दिया है, जिसमें पत्रकारिता का वास्तविक गरिमामय और सम्मानजनक पक्ष तेजहीन होता जा रहा है। माना कि आज प्रौद्योगिकी का युग है, जिसकी आवश्यकता भी है, मगर आज जब सूचना तंत्र की विश्वसनीयता भी उतनी ही खरी होनी चाहिए थी, वह उन हाथों में खेल रहा है, जो बदनाम हैं और जिन्होंने पत्रकारिता को धन अर्जन करने, सत्ता के गलियारों में पहुंच स्थापित करने या अपने सिंडीकेट को बचाने या फलने-फूलने का जरिया बना लिया है। पत्रकारिता कोई खिलौना नहीं है, जैसाकि आज उसके साथ खेला जा रहा है और उसे फाइव स्टार लिबास पहनाकर उसकी परिभाषा को बदला जा रहा है। पत्रकारिता में वेब मीडिया का आगमन हुआ तो उसमें भी सोशल मीडिया के नाम पर उससे खेला जा रहा है, जिसके दुष्परिणाम सामने हैं। सोशल मीडिया का भटकाव बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है अब तो यहां पर झूंठ और अफवाहों का ही बोलबाला है। हर कोई समाचार साइट खोले बैठा है और न्यू मीडिया को बेच रहा है।
यह सही है कि संसाधनों के बिना कोई भी गाड़ी नहीं चलती है, लेकिन पत्रकारिता अनैतिक संसाधन का जरिया नहीं बन सकती है, जबकि आमतौर पर ऐसा ही हो रहा है, जिसके दुष्परिणाम सामने हैं। समाज से लेकर सरकार तक की हमपर नज़र है और आज हमें भी हिकारत से देखा जा रहा है, अब तो हमें सीधे मुंह पर बिकाऊ मीडिया और डिजायनर पत्रकार तक कहा जाने लगा है, इसलिए हमें सोचना होगा कि हम जिस पेशे में हैं, उसके प्रति कुछ तो ईमानदार रहें और कठपुतली बनकर ऐसा न होने दें कि हमसे भी जनसामान्य का विश्वास उठ जाए। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम के सामने आर्थिक विषम स्थितियों के बावजूद उसने पत्रकारिता के धर्म को नहीं छोड़ा है। हम जैसे भी हैं, जिस अवस्था में भी हैं, देश-समाज और पत्रकारिता के पेशे के मूल चरित्र के सामने समझौते नहीं करेंगे। आप ही हमारी ताकत हैं, हिम्मत हैं, मार्गदर्शक हैं, इसके लिए आप सभी का कोटि-कोटि धन्यवाद!