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सैफई महोत्सव है एक सांस्कृतिक दिशा

सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता

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Sunday 30 December 2012 06:50:49 AM

Saifai Festival

सैफई (इटावा)। राममनोहर लोहिया का मानना था कि लोकतंत्र की पहचान लोकभाषा, लोकभूषा और लोक भोजन से होती है। रूढ़िवादिता के कट्टर विरोधी होते हुए भी वे परंपरा की अच्छाइयों को अपनाने के कायल थे। वे मानते थे कि भारत की लोक परंपराएं समृद्ध हैं। इन्हें बनाए रखा जाना चाहिए। रामायण मेला उनकी एक उदात्त कल्पना थी। प्रारंभ से ही चौधरी चरण सिंह एवं डाक्टर लोहिया के विचारों से प्रभावित मुलायम सिंह यादव ने अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता दी है और आंचलिक प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से सैफई महोत्सव की नींव डाली। एक तरह से यह सांस्कृतिक क्रांति की प्रदेश में अभूतपूर्व पहल है, जिसे वर्ष प्रतिवर्ष नई ऊचाइयां मिल रही हैं। इस महोत्सव का उद्देश्य गांव की माटी से लगाव को जीवित रखना है।
सैफई महोत्सव की आलोचनाओं के बीच समाजवादी पार्टी का कहना है कि इसमें दो राय नहीं हैं कि कला संस्कृति में उत्तर प्रदेश की जमीन बहुत उर्वर है। यहां विविध कलाओं के उच्च प्रतिमान स्थापित हुए हैं। कला घरानों की अपनी परंपरा और ख्याति रही है, जिसकी देश में ही नहीं विदेशों तक में मान्यता है। इस कला को संजोए रखने के लिए समाजवादी पार्टी और सरकार ने बहुत प्रयास किए हैं। उसने सैफई महोत्सव एक मिसाल बताया है, जहां हजारों लोग प्रतिदिन इसके कार्यक्रमों को देखने-सुनने को आते हैं। मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, प्रोफेसर रामगोपाल यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित समाजवादी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति इस महोत्सव में चार चांद लगाती है, इसीलिए एक पखवाड़े तक चले महोत्सव में लाखों लोगों की उपस्थिति रही।
ग्रामीण अंचल की प्राचीनकला और लोक संस्कृति को बनाए रखने के लिए सैफई (इटावा) में रणवीर सिंह स्मृति, सैफई महोत्सव समिति की ओर से रणवीर सिंह स्मृति सैफई महोत्सव 14 दिसंबर से 28 दिसंबर तक आयोजित किया गया। इस महोत्सव में प्रदर्शनी, आकर्षक स्टाल, व्यापार मेला एवं खेल के अलावा अन्य आकर्षक कार्यक्रम भी हुए। आयोजन समिति के अध्यक्ष और सांसद धर्मेंद्र यादव तथा संयोजक तेज प्रताप सिंह यादव, ब्लाक प्रमुख सैफई हैं। सैफई महोत्सव का उद्घाटन 14 दिसंबर शुक्रवार को प्रख्यात साहित्यकार जेएनयू के प्रोफेसर केदारनाथ सिंह ने किया। इसमें मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उपस्थित थे। इस दिन हनुमानजी की मूर्ति स्थापना एवं हवन पूजन, लोकधारा, मास्टर चंदगी राम स्टेडियम में 12 बजे रंगारंग उद्घाटन समारोह के पश्चात सायं 7 बजे देवी जागरण हुआ।
सैफई महोत्सव में 15 दिसंबर को फाग गायन, महफिल-ए-कव्वाली, पार्श्व गायक मोहित चौहान नाइट 16 दिसंबरको फाग गायन तथा टीवी कलाकारों का गीत संगीत एवं हास्य कार्यक्रम, 17 दिसंबर को इरफान मलिक-अली हसन पाकिस्तान का कार्यक्रम, 18 दिसंबर को सुप्रसिद्ध गायक कैलाश खेर एवं श्यामक डाबर की रंगारंग प्रस्तुति, 19 दिसंबर को ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का कार्यक्रम, चौधरी चरण सिंह पीजी कालेज में नाटक, 21 दिसंबर को मुलायम सिंह यादव एवं ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार की मौजूदगी में चंदगीराम स्टेडियम में कुश्ती दंगल तथा मिलन सिंह नाइट, 21 दिसंबर को विंटेज कार रैली, बच्चो की इनामी सांस्कृतिक प्रतिस्पर्द्धा तथा लोक गायकों का कार्यक्रम वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव की उपस्थिति में हुआ। तेईस दिसंबर को चौधरी चरण सिंह जयंती मनाई गई। महाविद्यालय के प्रांगण में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण मुलायम सिंह यादव ने किया।
चौबीस दिसंबर को सैफई महोत्सव में मुलायम सिंह यादव की उपस्थिति में कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें गोपाल दास नीरज, मुनव्वर राणा, संपत सरल, मदनमोहन समर, कुंअर बेचैन, सोम ठाकुर, डॉ सरिता शर्मा, डॉ सूर्य कुमार पाण्डेय, डॉ कीर्ति कालेज, डॉ सुनील जोगी, डॉ सुमन दुबे, डॉ कलीम केसर, प्रमोद तिवारी, सुरेंद्र सुकुमार, रमेश मुस्कान तथा कमलेश शर्मा जैसे सशक्त काव्य हस्ताक्षरों की मौजूदगी रही। इसका संचालन पूर्व सॉसद उदय प्रताप सिंह यादव ने किया। पच्चीस दिसंबर को साइकिल मैराथन, गीत संगीत तथा अंतिम दिन 28 दिसंबर को सैफई महोत्सव का समापन संगीत संध्या एवं फिल्मी कलाकारों की प्रस्तुतियों से हुआ। इस मौके पर 15-16 दिसंबर के बालीबाल टूर्नामेंट तथा 25 से 27 दिसंबर तक बैडमिंटन टूर्नामेंट भी हुए। इन सभी कार्यक्रमो में देश के जाने-माने कलाकारों ने भाग लिया और अपनी कला का प्रदर्शन किया।

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