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भोपाल।पत्रकारिता सदैव मिशन है, यह कभी प्रोफेशन नही बन सकती, रोटी कभी राष्ट्र से बड़ी नहीं हो सकती, मीडिया के हर दौर में लोकतंत्र की पहरेदारी का कार्य अनवरत जारी रहा है। यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार एवं सांसद प्रभात झा का, जो भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार संजय द्विवेदी की पुस्तक ‘मीडिया: नया दौर नई चुनौतियां’ के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। पत्रकारिता पर पूरे मंथन के साथ प्रभात झा कहते हैं कि खबर की कभी मौत नहीं हो सकती, खबर की कोई विचारधारा नहीं होती, न्यूज में व्यूज नहीं होना चाहिए, इन्फॉरमेशन केवल सोर्स है न्यूज नहीं, इन्फॉरमेशन का कन्फरमेशन ही न्यूज है, पत्रकारिता में अपग्रेड होने के लिए अपडेट होना आवश्यक है, संवेदनात्मक विषय पर सनसनी फैलाना गलत है, शब्द आराधना है, ब्रह्म है, ओम है, उपासना है और जो लोग शब्दों से मजाक करते हैं, उनकी पत्रकारिता बहुत कम समय तक रहती है।
प्रभात झा ने कार्यक्रम में मौजूद मीडिया कर्मियों और विभिन्न क्षेत्रों से आए महानुभावों के बीच अपने अनुभवों को व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारिता में अवसर है, चुनौती है, खतरे भी हैं। गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण मिथक तोड़ना सिद्धांतो के खिलाफ है, जीवटता और जीवन-मूल्य को पत्रकारिता में धारण करना पड़ेगा, यह किसी पुस्तक में नहीं मिलेगा। विज्ञापन कभी खबर नहीं बन सकता और खबर कभी विज्ञापन नहीं हो सकती, पत्रकार को यह समझना चाहिए कि कहां फायर करना है और कहां मिसफायर। उन्होंने कहा कि नए दौर में सबसे बड़ी बात पारदर्शिता है, आज के दौर में आप कुछ भी करिए, मीडिया उसे जान ही लेगा, मीडिया का जितना महत्व बढ़ता जा रहा है, उसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ती जा रही है, ऐसी स्थिति में मालिक को पत्रकार मत बनने दीजिए, लोकाधिकार का दुरुपयोग करने से मीडिया अविश्वसनीय हो जाएगा। प्रभात झा अपनी बात कहने के अवसर का भरपूर उपयोग किया जिसका मीडिया कर्मियों ने बड़े गौर से संज्ञान लिया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और इंडिया टीवी के कार्यकारी संपादक रविकांत मित्तल ने पुस्तक के लेखक संजय द्विवेदी के के लेखन शैली और तथ्यों के इस्तेमाल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके लेख शोधपरक होते हैं, यह किताब भी मीडिया की वर्तमान स्थिति पर गंभीर प्रकाश डालती है। उन्होंने संजय द्विवेदी को एक ऐसा लेखक बताया, जिनके लेखन में उत्तेजना नहीं बल्कि संयम है, वे एक जिम्मेदार मीडिया विश्वेषक हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीके कुठियाला ने कहा कि पत्रकारिता का ध्येय सत्यम शिवम सुंदरम् होना चाहिए जिसमें कल्याणकारी सत्य ही प्रकाशित और प्रसारित होना चाहिए। उन्होंने भी संजय द्विवेदी के लेखन की मौलिकता की प्रशंसा की।
लोकार्पण समारोह का उद्घाटन कार्यक्रम के अतिथियों ने माँ सरस्वती और माखनलाल चतुर्वेदी के चित्र के सामने दीप-प्रज्वलन से किया। अतिथियों का सम्मान शाल-श्रीफल देकर किया गया। छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति के गीत गाकर वातावरण को सरस बना दिया। कार्यक्रम का संचालन एनी अंकिता और गौरव मिश्रा ने किया और आभार प्रदर्शन हेमंत पाणिग्रही ने किया। दीपक तिवारी, शिव अनुराग पटैरया, बृजेश राजपूत, नरेंद्र जैन, रमेश शर्मा, डॉ मंजुला शर्मा, भारत शास्त्री, मनोज शर्मा, विजय मनोहर तिवारी, जीके छिब्बर, डॉ हितेश वाजपेय़ी, रामभुवन सिंह कुशवाह, विजय बोंद्रिया, अरुण तिवारी, सौरभ मालवीय, ओमप्रकाश गौड़, हितेश शुक्ल, दीपक शर्मा, डॉ श्रीकांत सिहं, डॉ पवित्र श्रीवास्तव, डॉ अविनाश वाजपेयी, पुष्पेंद्रपाल सिंह, रजिस्ट्रार सुधीर त्रिवेदी, हर्ष सुहालका, सरमन नगेले, विनय त्रिपाठी, दीपेंद्र सिहं बधेल, राजेश पाठक, मीता उज्जैन, डॉ मोनिका वर्मा, डॉ रंजन सिंह, डॉ राखी तिवारी, साधना सिंह, नीलिमा भार्गव, आकृति श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारिता के विद्यार्थी इस अवसर पर उपस्थित थे।