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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने बुधवार को कहा कि 187 देशों के मजबूत समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुने जाने के बाद भारत परिषद की स्थायी सदस्यता के सशक्त दावेदार के रूप में उभरा है। प्रमुख संपादकों के साथ हुई बातचीत में कृष्णा ने कहा कि इतने देशों का समर्थन मिलना काफी सुखद है। भारत को कुल 192 सदस्यों में से 187 का समर्थन मिला जबकि न्यूनतम दो तिहाई बहुमत या 128 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। ये देश भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी समिति का सदस्य बनते देखना चाहते हैं।विदेश मंत्री ने कहा कि इस निर्णायक मतदान से साबित हुआ है कि सुरक्षा परिषद को नया रूप देने के लिए भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने की भारत की मांग का अधिकांश देश समर्थन करते हैं। भारत एक जनवरी 2011 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बन जाएगा। इस पद के लिए मंगलवार को चुने गए अन्य देश जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, कोलंबिया और पुर्तगाल हैं। परिषद के वीटो शक्ति प्राप्त पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन हैं।कृष्णा ने कहा कि अस्थायी सदस्य चुने जाने से भारत को नई जिम्मेदारियां निभानी हैं लेकिन भारत इससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारी संभालने में सक्षम है, इससे भारत को अपने क्षेत्र और विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद मिलेगी। संपादकों से बातचीत में विदेश सचिव निरुपमा राव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।कृष्णा ने उन खबरों को खारिज किया जिनमें कहा गया था कि अमेरिका ने स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के बदले में भारत को जम्मू-कश्मीर का मसला सुलझाने की शर्त रखी है। कृष्णा ने कहा कि यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नवंबर में होने वाली भारत यात्रा से पहले लगाई जा रही अटकलें और अफवाहें हैं। उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिका के समर्थन की मांग करेगा और बाराक ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बातचीत में यह मुद्दा उठ सकता है।