स्वतंत्र आवाज़
word map

निशंक ने गंगा प्राधिकरण की बैठक में रखीं समस्याएं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने राष्ट्रीय गंगा प्राधिकरण की द्वितीय बैठक में कहा है कि वे गंगा की अविरलता और अनवरत प्रवाह के पक्षधर हैं और ऐसी बड़ी परियोजनाओं का विरोध करते हैं, जिनमें गंगा अपना वास्तविक रूप त्याग कर किसी टनल में समाहित हो जाए। उन्होंने कहा कि लेकिन रन आफ द रीवर श्रेणी में छोटी परियोजनाएं जो नदी की मूल स्वरूप एवं प्रवाह को प्रभावित न करें उन पर विचार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने बड़ी परियोजनाएं न बना पाने की एवज में केन्द्र से दो हजार मेगावाट निशुल्क बिजली की मांग की।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के देश के पर्यावरण संरक्षण में दिये जा रहे योगदान को देखते हुए प्रदेश को पांच हजार करोड़ रुपये ग्रीन बोनस भी दिया जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि निशुल्क बिजली और ग्रीन बोनस की मांग कोई याचना नहीं है बल्कि यह उत्तराखण्ड की जनता का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास होगा तभी वहां पर पलायन रूकेगा और यह राष्ट्र हित में भी है। मुख्यमंत्री ने गंगा सहित सभी नदियों को स्वच्छ रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नदियों के किनारे बसे गांवों को लिफ्ट योजनाओं के तहत पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए तभी नदियों के किनारे प्रदूषण पर रोक लग पायेगी। मुख्यमंत्री ने बैठक में उत्तरकाशी से गंगोत्री तक के क्षेत्र को ईको सेंस्टिव जोन घोषित करने की बात का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार को विश्वास में लिए बिना इस प्रकार का कोई भी फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण की इस द्वितीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतवर्ष की सबसे बड़ी नदी गंगा भारतीय सभ्यता के प्रतीक के रुप में राष्ट्र के करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी है। गंगा नदी में प्रवाहित होने वाले सीवेज को शून्य किये जाने की आवश्यक है। राज्य की सभी नदियों के किनारे स्थित नगरों एवं बस्तियों से प्रवाहित होने वाले सीवेज को शोधनोपरान्त ही गंगा में प्रवाहित किया जाए जिसके लिये भारत सरकार को वर्ष 2020 तक के लिए 2644.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिसमें से अब तक 20.43 करोड़ रुपये की धनराशि माह सितम्बर, 2010 तक प्राप्त हो सकी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में रोकी गई लोहारी नागपाला, पालामनेरी एवं भैंरोघाटी विद्युत परियोजनाओं के बन्द होने पर राज्य को 2000 मेगावाट विद्युत की निःशुल्क आपूर्ति से निरन्तर होने वाले नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए और बन्द परियोजनाओं से जो रोजगार सृजित होता उसकी एवज में वैकल्पिक रोजगार के लिए केन्द्र को सहायता देनी चाहिए। उन्होंने गंगा, पर्यावरण और लोगों के समुचित समन्वय पर बल दिये जाने की आवश्यकता बताई। प्रदेश की 12 हजार वन पंचायतों के द्वारा पूर्व में जल संरक्षण का कार्य किये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण पर भी बल दिया। इसके पश्चात डॉ निशंक ने केन्द्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री कमलनाथ से भेंट की। कमलनाथ ने निशंक को सड़कों एवं पुलों की मरम्मत के लिए 800 करोड़ रुपये की सहायता देने पर सहमति व्यक्त करते हुए यह धनराशि यथाशीघ्र अवमुक्त किये जाने का आश्वासन दिया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]