स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 4 June 2020 11:02:56 AM
नई दिल्ली। कोलकाता बंदरगाह का नया नाम श्यामाप्रसाद मुखर्जी बंदरगाह होगा। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने इसकी अनुमति दे दी है। कोलकाता बंदरगाह ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने 25 फरवरी 2020 को एक बैठक में प्रस्ताव पारितकर विधिवेत्ता, शिक्षक, विचारक और जनसाधारण के विख्यात नेता तथा बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम को मंजूरी दी थी। बारह जनवरी 2020 को कोलकाता बंदरगाह की 150वीं जयंती के उद्घाटन समारोह पर पश्चिम बंगाल की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए घोषणा की गई थी कि कोलकाता बंदरगाह का नाम बदलकर उसे नया नाम श्यामाप्रसाद मुखर्जी दिया जाएगा, जिन्हें पश्चिम बंगाल का सबसे योग्य पुत्र और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अग्रणी, बंगाल के विकास का स्वप्नदृष्टा, औद्योगिकरण का प्रेरणा स्रोत और एक राष्ट्र एक कानून का प्रचंड समर्थक माना जाता था।
कोलकाता बंदरगाह पहला प्रमुख बंदरगाह होने के साथ-साथ नदी के किनारे स्थित देश का पहला बंदरगाह है। वर्ष 1870 के कानून V के अनुसार कलकत्ता बंदरगाह के सुधार के लिए आयुक्तों की नियुक्ति पर 17 अक्तूबर 1870 को यह एक ट्रस्ट द्वारा संचालित हुआ। इसकी विशेषता है कि यह पहली अनुसूची भाग 1-भारतीय बंदरगाह कानून 1908 में क्रम संख्या 1 पर है और प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून 1963 द्वारा संचालित है। कोलकाता बंदरगाह ने अपनी यात्रा के 150 वर्ष तय किए हैं। यह व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक विकास के लिए भारत का मुख्य द्वार है। यह आजादी के लिए भारत के संघर्ष, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध तथा देश में विशेषकर पूर्वी भारत में हो रहे सामाजिक और आर्थिक बदलाव का गवाह भी रहा है।
भारत में प्रमुख बंदरगाहों के नाम शहर अथवा उस कस्बे के नाम पर हैं, जहां वे स्थित हैं, हालाकि विशेष मामलों में अथवा जाने-माने नेताओं के योगदान पर गौर करने के कारण कुछ बंदरगाहों का पहले भी महान राष्ट्रीय नेताओं के नाम पर नया नाम दिया गया है। न्हेवा शेवा बंदरगाह को सरकार ने 1988 में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह ट्रस्ट नाम दिया। तूतीकोरन बंदरगाह ट्रस्ट का नाम बदलकर वर्ष 2011 में वी.ओ. चिदम्बरनार बंदरगाह ट्रस्ट कर दिया गया और एन्नौर बंदरगाह लिमिटेड को जाने माने स्वाधीनता सेनानी और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के कामराजार के सम्मान में कामराजार बंदरगाह लिमिटेड नाम दिया गया। हाल में 2017 में कांडला बंदरगाह का नाम बदलकर दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया था। इसके अलावा अनेक हवाईअड्डों के नाम भारत के महान नेताओं के नाम पर रखे गए हैं।