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Wednesday 27 July 2022 04:40:38 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों का हमेशा चाक-चौबंद रहने का आह्वान करते हुए भारत की मजबूती और आत्मनिर्भरता केलिए आयुध के क्षेत्र में नवोन्मेष किए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहाकि भावी चुनौतियों का सामना करने के सम्बंध में उन्नत आयुध नए युग के युद्ध की वास्तविकता है एवं क्षेत्रीय व वैश्विक अनिवार्यताओं और रक्षा चुनौतियों को देखते हुए भारत केलिए ये अत्यंत जरूरी हैं। रक्षामंत्री ने यह विमर्श आज नई दिल्ली में ‘मेक इन इंडिया अपॉरट्यूनिटीज एंड चैलेंजेस’ विषयक सैन्य आयुध (एमो-इंडिया) के दूसरे सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए किया। रक्षामंत्री ने कहाकि किसी राष्ट्र का वैज्ञानिक और प्रौद्योगकीय के साथ-साथ आर्थिक विकास उस राष्ट्र के हथियारों और आयुधों की क्षमता में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहाकि आयुध का विकास न केवल सुरक्षा केलिए जरूरी है, बल्कि देश के सामाजिक और आर्थिक प्रगति केलिए भी जरूरी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत को विश्वशक्ति बनाने और रक्षा उत्पादन में अग्रणी देश बनने केलिए जरूरी हैकि हम स्वदेशी डिजाइन, आयुध का विकास और उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ें। राजनाथ सिंह ने कहाकि सरकार यह बात भली-भांति जानती हैकि रक्षा सेक्टर को मजबूत बनाने और आयुध के क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने केलिए निजी सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है, इस दिशा में कई बाधाएं थीं, जो पहले अड़चनें पैदा करती थीं, इन सबको अब हटा दिया गया है। उन्होंने कहाकि बोलीकर्ताओं की भागीदारी की सीमा तय करने से लेकर वित्तीय योग्यता के मानक या ऋण चुकता करने की क्षमता के आकलन तक को ध्यान में रखते हुए सरकार ने काफी छूट दे दी है। राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक एवं निजी सेक्टरों, अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों, स्टार्ट-अप, अकादमिक जगत और वैयक्तिक नवोन्मेषकों का आह्वान कियाकि वे नए रास्ते खोजें, जिनसे ऐसी बुनियाद तैयार हो सके, जो हमारे सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा कर सके तथा उनकी तैयारी को बढ़ा सके। रक्षामंत्री ने आयुध की सटीकता के महत्व पर जोर देते हुए कहाकि भावी युद्धों में यह प्रमुख भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहाकि आयुध हमेशा प्रगति करते रहते हैं, नये-नये रूप लेते रहते हैं, इसलिए यह बहुत जरूरी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि सटीकता आधारित आयुध की ‘मुनथो ढालो’ बेस पर तैनाती ने 1999 के करगिल युद्ध में भारत की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहाकि वर्ष 2019 में बालाकोट के आतंकवादी ठिकानों पर आयुधों के सटीक वार ने इस अभियान में हमारी सफलता को सुनिश्चित बनाया था। उन्होंने कहाकि आधुनिक युद्ध के मैदानों में आयुध नए अवतार में सामने आ रहे हैं, इनकी एकबार प्रोग्रामिंग कर दी जाए तो उसके बाद ये स्वयं जानकारी ले लेते हैं, सुधार कर लेते हैं और सही समय पर सही निशाने पर जाकर वार करते हैं, इसके पहले बमों के आकार और उनकी विस्फोट क्षमता पर ही सारा जोर दिया जाता है, लेकिन अब उनका चाक-चौबंद होना भी जरूरी हो गया है। स्मार्ट, सटीकता और स्वचालित हथियार प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि ये हथियार केवल इच्छित लक्ष्यों को ही बेधते हैं। उन्होंने कहाकि अगर दुश्मन के ठिकाने को तबाह करना है, तब सटीक आयुध ऐसी स्थिति में लक्ष्य तय करता है, वह नागरिक ठिकानों को निशाना नहीं बनाता, पारंपरिक हथियारों केसाथ ऐसा नहीं है, हम दुश्मन देश की सेना से लड़ते हैं, उसके नागरिकों से नहीं।
रक्षामंत्री ने कहाकि सटीक आयुधों के जरिए नागरिक प्रतिष्ठानों की तबाही से बचा जा सकता है तथा युद्धकाल में भी शांति और मानवता के मूल्यों को बचाया जा सकता है। रक्षामंत्री ने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहाकि देश रक्षा में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करेगा, स्वदेशी उद्योग को क्षमतावान बनाने केलिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, स्वदेशी उद्योग देश मेंही उत्पादित विश्वस्तरीय हथियारों या प्रणालियों से सशस्त्र बलों को लैस कर सकते हैं, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने केलिए बहुत जरूरी है। राजनाथ सिंह ने बतायाकि रक्षा मंत्रालय ने सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को अधिसूचित किया है, जिससे पता चलता हैकि सरकार हथियारों के स्वदेशी निर्माण केलिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहाकि चाहे वह उन्नत हल्का टारपीडो पिनाक केलिए गाइडेड रेंज रॉकेट हो, एंटी-रेडियेशन मिसाइल या लॉयटरिंग म्यूनिशन हो, तीसरी सूची में ऐसे 43 आयुध हैं, इससे पता चलता हैकि हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने केलिए प्रतिबद्ध हैं, इससे हमारे आत्मविश्वास का भी पता चलता हैकि हमारा स्वदेशी रक्षा उद्योग अनुसंधान, विकास और निर्माण में कितना सक्षम है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि मौजूदा आयुध प्रणालियों और हथियारों की इन सूचियों से हमारे उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगाकि वे नई चुनौतियों का मुकाबला कर सकें, इससे उनकी प्रगति भी सुनिश्चित होगी। राजनाथ सिंह ने इस तथ्य की सराहना कीकि सात में से छह नई रक्षा कंपनियां, जिन्हें पूर्व के आयुध फैक्ट्री बोर्ड से निकालकर बनाया गया है, उन कंपनियों ने अपनी शुरूआत के छह महीने मेंही लाभ दर्ज कर लिया है, म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड को 500 करोड़ रुपये के निर्यात आर्डर मिले हैं। उन्होंने कहाकि यह देश के आयुध उद्योग की अपार क्षमता का द्योतक है। रक्षामंत्री ने ऐसे तमाम सुधारों का ब्योरा दिया, जिन्हें रक्षा मंत्रालय ने शुरू किया है, इसमें वित्त वर्ष 2022-23 में स्वदेशी उद्योग को आबंटित बजट के मद्देनज़र 68 प्रतिशत पूंजी प्राप्ति तथा निजी उद्योग, एमएसएमई और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने केलिए स्वदेशी पूंजी प्राप्ति का 25 प्रतिशत आबंटन शामिल है। उन्होंने उस नीति पर भी प्रकाश डाला, जिसके तहत डीआरडीओ-उद्योग विशेष उद्देशीय संस्था की अनुमति दी गई है, ताकि महत्वपूर्ण उन्नत रक्षा उत्पादों को विकसित किया जा सके।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बतायाकि सरकार रक्षा सेक्टर में एमएसएमई और स्टार्ट-अप की भूमिका को समझती है, इसलिए रक्षा नवोन्मेष स्टार्ट-अप चुनौती एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि का विस्तार किया गया है, ताकि इनके लिए ज्यादा अवसर पैदा हो सकें। राजनाथ सिंह ने कहाकि रक्षा मंत्रालय एक तरफ आत्मनिर्भता प्राप्त करने पर ध्यान दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं को प्रोत्साहित कर रहा हैकि वे भारत में निवेश करें, निर्माण करें और यहीं से निर्यात करें। उन्होंने सिंह ने कहाकि सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया के दस देशों में शीर्ष पर है, जो उसे रक्षा के मामले में बहुत आकर्षक बाजार बनाता है। रक्षामंत्री ने कहाकि हम मानते हैंकि आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में स्थानीय प्रयास और विदेशी सहयोग का बेहतर समिश्रण उसका आधार है, शिक्षित श्रम-शक्ति, कम विकास खर्च और खपत क्षमता के मामले में भारत इस प्रयास में अग्रणी है, हमारी आत्मनिर्भरता वैश्विक उद्योगों के साथ सहयोग, समन्यवय और साझीदारी पर आधारित है।
रक्षामंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जहां भारतीय नौसेना, डीपीएसयू और निजी सेक्टर के विकसित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने सम्मेलन में ‘नॉलेज पेपर’ जारी किया। सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ असैन्य और सैन्य अधिकारी तथा उद्योग, अकादमिक जगत, स्टार्ट-अप के प्रतिनिधियों केसाथ नवोन्मेषक भी उपस्थित थे। दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन फिक्की और संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र ने संयुक्त रूपसे किया है, इसके तहत सशस्त्र बलों की आयुध जरूरतों पर विस्तार से विश्लेषण किया जाएगा। सम्मेलन में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों केलिए हथियारों के विषय पर सत्र होगा, जिसमें तोपखाने को भी शामिल किया गया है। सम्मेलन में वायुरक्षा, वायुशस्त्र, ड्रोन तथा ड्रोन-रोधी प्रणालियों केलिए सटीक हमला करने वाले हथियार, नौसेना के हथियार और छोटे हथियारों के आयुध, विस्फोटक तथा बारूदी सुरंगों पर सत्र शामिल हैं। यह उद्योग, उपयोगकर्ता, डीआरडीओ, अकादमिक जगत को एक अनोखा मंच उपलब्ध करा रहा है, जहां वे आयुध निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने केलिए काम कर सकेंगे तथा रक्षा सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होंगे।