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Thursday 8 June 2017 04:55:58 AM
गुड़गांव। भारतीय हस्तनिर्मित उत्पादों की बात ही कुछ और है। भारत का हस्तनिर्मित उद्योग सदियों से दुनिया में विख्यात है। इसकी गोल्ड डिज़ाइनिंग, लग्ज़री उत्पाद जैसे चमड़े की वस्तुएं, कॉस्मेटिक्स, मेटल से बने उत्पाद और कुछ ऐसी अनेक श्रेणियां हैं, जिनमें बहुत उच्चकुशलता की आवश्यकता होती है और ये सामान्य हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल उत्पादों से बहुत अधिक भिन्न हैं। भारतीय हस्तनिर्मित उद्योग के बारे में यह जानकर आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि इसका व्यवसाय करीब 70 अरब अमेरिकी डॉलर है और जब उपयुक्त विपणन प्रयासों की बात हो तो यह भी जान लेना चाहिए कि हस्तनिर्मित क्षेत्र अभी भी इससे अछूता है। इस कला में 726 प्रकार हैं, जिनमें से अधिकांश के बारे में लोगों को पता ही नहीं है।
भारतीय हस्तनिर्मित उद्योग में योगदान करने वाले कारीगर या तो इस तथ्य से अनजान हैं या उस बाज़ार तक पहुंचने में असमर्थ हैं, जहां ऐसे उत्पादों की ज़बरदस्त मांग है। इसे ध्यान में रखते हुए डायरेक्ट क्रिएट ने खिलाड़ी कारीगर या निर्माताओं, डिज़ाइनरों और ख़रीदारों के बीच बहुत कारगर संवाद स्थापित करने की पहल की है और ऐसा विश्वास किया जाता है कि इससे इन सभी हितधारकों के बीच ग़ज़ब का सहयोग बढ़ेगा, जो हस्तनिर्मित उद्योग को विकास के साथ आगे बढ़ाने में मदद करेगा। डायरेक्ट क्रिएट के बाज़ार विशेषज्ञों का मत है कि हालांकि इस विचार को पहली बार असंभव माना जा सकता है, लेकिन डायरेक्ट क्रिएट ने इस क्षेत्र में विकास के आसान तरीके लागू करने के लिए जो डिजिटल मंच को तैयार किया है, उसके उत्साहजनक परिणाम सामने आएंगे। डायरेक्ट क्रिएट की रणनीति भारत में 45 करोड़ वे लोग, जो इंटरनेट का उपयोग करते हैं और 73 करोड़ वे लोग, जो कम से कम एक हैंडसेट का इस्तेमाल करते हैं, उनतक आसान पहुंच बनाएगी।
डायरेक्ट क्रिएट ग्रामीण इलाकों में भी स्मार्ट तकनीक को अपनाने में योगदान देने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान में भी शामिल है। डायरेक्ट क्रिएट संगठन स्वदेशी उत्पादों की खरीद के लिए बड़े और छोटे पैमाने पर उपभोक्ताओं से आग्रह कर रहा है और उन्हें प्रोत्साहन दे रहा है। वास्तव में आर्किटेक्ट्स, इंटीरियर डिज़ाइनर्स, ज्वैलर्स और यहां तक कि वेडिंग प्लानर्स जैसे प्रमुख खिलाड़ियों ने हस्तनिर्मित उत्पादों की ख़रीद में अपनी गहरी रुचि दिखाई है और अधिकांश लोग इनकी थोक में खरीदारी करते नज़र आ रहे हैं। डायरेक्ट क्रिएट मंच के जरिए वे सीधे इन उत्पादों के निर्माताओं से संपर्क कर सकते हैं, कलर पैटर्न में बदलाव या तरीके में सुधार का सुझाव दे सकते हैं और आसान तरीके से अपनी जरूरत के हिसाब से उसकी मात्रा भी बता सकते हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि परिणाम स्वयं अपनी बात कहते हैं।
डायरेक्ट क्रिएट के संस्थापक राजीव लुनकड का कहना है कि उनका उद्देश्य ख़रीदारों को सहज महसूस कराना और उन्हें निर्माताओं के साथ जोड़ना है, ताकि शिल्प के क्षेत्र में उत्साही नवाचार के अगले दौर को आगे बढ़ाया जा सके। राजीव लुनकड की प्लानिंग है कि हस्तनिर्मित उत्पादों के बारे में अधिकतम जागरुकता फैलाते हुए हस्तनिर्मित उद्योग का कॉरपोरेट इंडिया के साथ एक गहरा संबंध स्थापित किया जाए, जिससे हस्तनिर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले डिज़ाइनर समुदाय के साथ एक संयुक्त गठबंधन रहे, ताकि मेक इन इंडिया पहल को सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंचाया जा सके।