स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 3 December 2024 03:13:11 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिव्यांगों को राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार-2024 प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर पुरस्कार विजेता दिव्यांगों को बधाई दी और कहाकि दिव्यांगों के अदम्य उत्साह को देखकर हम सभीको प्रेरणा मिलती है और पुरस्कार विजेता दिव्यांगों की उपलब्धियां जानकर सभीका मनोबल बढ़ा है। उन्होंने कहाकि इन पुरस्कारों का दूरगामी सामाजिक महत्व है, इनका अनुकरण करके अन्य व्यक्ति और संस्थाएं दिव्यांगों को सशक्त बनाने की दिशामें कारगर कार्य कर सकते हैं। इसवर्ष के अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस की थीम 'समावेशी और टिकाऊ भविष्य केलिए दिव्यांगजनों के नेतृत्व को बढ़ावा' के बारेमें राष्ट्रपति ने कहाकि दिव्यांगों केबीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, उनके कौशल का विकास करने, रोज़गार प्रदान करने, उनके उत्पादों की खरीद और विपणन सुविधाएं प्रदान करने से उनकी नेतृत्व क्षमता को बल मिलेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस का आयोजन करना मानव समुदाय में संवेदनशीलता का प्रमाण है, विश्व समुदाय में अपने दिव्यांग साथियों के सशक्तीकरण की भावना का होना बहुत अच्छी बात है, इस भावना केसाथ दिव्यांगों को सहजता और बराबरी का अनुभव कराना पूरी मानवता का कर्तव्य है और उनको हर तरह से बाधामुक्त वातावरण सुलभ कराना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि सही मायनों में वही समाज संवेदनशील कहा जा सकता है, जिसमें दिव्यांगों को समान सुविधाएं और अवसर मिलें। राष्ट्रपति ने कहाकि दिव्यांग होना किसीभी तरह की कमी नहीं है, यह एक विशेष स्थिति है। उन्होंने कहाकि दिव्यांगजनों को समानुभूति की जरूरत है, सहानुभूति की नहीं, संवेदनशीलता की जरूरत है, दया की नहीं, उन्हें स्वाभाविक स्नेह की जरूरत है, विशेष ध्यान की नहीं। उन्होंने कहाकि समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिएकि दिव्यांगजन समाज के दूसरे सदस्यों केसाथ समानता, गरिमा और सम्मान का अनुभव करें। उन्होंने कहाकि दिव्यांगों केहित में विशेषकर उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण के क्षेत्रोंमें सभी सम्बद्ध मंत्रालय एकजुट होकर काम करें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि पहले केवल तीन प्रकार की दिव्यांगताओं को कानूनी मान्यता थी, वर्ष 2016 में नए अधिनियम से 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता दी गई, इससे नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ उन दिव्यांगों तकभी पहुंच रहा है, जो पहले इससे वंचित थे, यह उनके कल्याण और विकास केलिए बहुत बड़ा परिवर्तन सिद्ध हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि किसीभी अन्य व्यक्ति की तरह काम करने का अवसर दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और सार्थक जीवन जीने की भावना पैदा करता है, इस प्रकार रोज़गार, उद्यम और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। राष्ट्रपति ने पुरस्कार समारोह के आयोजन केलिए दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की टीम की सराहना की और विश्वास व्यक्त कियाकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार के कुशल नेतृत्व में इस टीम के सदस्य दिव्यांगजन के सशक्तीकरण के प्रयासों को नित नई ऊर्जा केसाथ आगे बढ़ाते रहेंगे। उन्होंने कहाकि थोड़ा सा प्रोत्साहन मिलने पर दिव्यांगजन अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करते हैं, वर्ष 2012 के पैरालंपिक खेलों में भारत ने केवल एक पदक प्राप्त किया था, बीते दशक में जागरुकता और सहायता बढ़ाने के प्रयासों का स्पष्ट परिणाम यह दिखाई दिया हैकि वर्ष 2024 के पैरालंपिक खेलों में हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने 29 पदक जीते हैं।