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स्पेडेक्स मिशन इसरो की अभूतपूर्व उपलब्धि!

अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मिशन को बताया मील का पत्थर

भारत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी क्षेत्रमें विश्व के प्रमुख देशों में शामिल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 January 2025 01:23:25 PM

spadex mission is an unprecedented achievement of isro

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, कार्मिक एवं पेंशन तथा परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि इसरो के अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) ने भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में वैश्विक रूपसे अग्रणी देशों में शामिल कर दिया है, जो देश केलिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 के सफल प्रक्षेपण केबाद नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए स्पेडेक्स मिशन को मील का पत्थर बताया, जो इसरो की एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्षयान समागम, डॉकिंग और अनडॉकिंग केलिए प्रौद्योगिकियों का विकास एवं प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहाकि ये क्षमताएं भविष्य के मिशनों केलिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें उपग्रह सेवा, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अंतर ग्रहीय अन्वेषण शामिल हैं।
अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि स्पेडेक्स के प्राथमिक उद्देश्यों में अंतरिक्षयान के विलय और डॉकिंग केलिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, लक्षित अंतरिक्षयान के जीवन को बढ़ाने केलिए डॉक की गई स्थितियों में नियंत्रण क्षमता का प्रदर्शन और डॉक किएगए उपग्रहों केबीच शक्ति हस्तांतरण का परीक्षण करना शामिल है। उन्होंने बतायाकि मिशन में डॉकिंग केबाद की गतिविधियां भी शामिल हैं, जिसमें अंतरिक्षयान स्वतंत्र माध्यम से पेलोड संचालन करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह के अनुसार डॉकिंग 7 जनवरी 2025 को दोपहर के समय होने की उम्मीद है। उन्होंने अंतरिक्ष में जीव विज्ञान के अनुप्रयोग का पता लगाने केलिए जैवप्रौद्योगिकी विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन केबीच महत्वपूर्ण सहयोग का उल्लेख किया। राज्यमंत्री ने उल्लेख कियाकि भारत अंतरिक्ष अध्ययन करके 'स्पेस बायोलॉजी' में अग्रणी होगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस क्षेत्रको गोपनीयता के पर्दे से मुक्त करने का श्रेय दिया, जिसने दशकों तक संसाधनों एवं नवाचार को सीमित कर रखा था। उन्होंने 2023 की नई अंतरिक्ष नीति की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया, जिसमें इसरो की गतिविधियों में पहलीबार निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति दी गई।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नई अंतरिक्ष नीति के कारण अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में उछाल आया है, जो 2023 में लगभग 300 हो गई, उल्लेखनीय स्टार्टअप्स में अग्निकुल कॉसमॉस शामिल है, जिसने इसरो परिसर में एक निजी लॉंच पैड स्थापित किया और स्काई रूट भी है, जिसने भारत का पहला निजी उपकक्षीय प्रक्षेपण किया। उन्होंने कहाकि ये स्टार्टअप इसरो के बुनियादी ढांचे को सशक्त बना रहे हैं और स्पेसएक्स जैसी वैश्विक कंपनियों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का योगदान वर्ष 2033 तक 44 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, अकेले साल 2023 में इस क्षेत्रमें निवेश 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिससे भारत अंतरिक्ष क्षमताओं में वैश्विक स्तरपर अग्रणी राष्ट्र बन गया है। उन्होंने एक महत्वाकांक्षी समयसीमा की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसके अनुसार जनवरी 2025 में नाविक में प्रगति और फरवरी में मोबाइल संचार केलिए एक अमरीकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा, वर्ष 2025 में व्योममित्र नामक महिला रोबोट गगनयान मिशन केलिए अंतरिक्ष यात्री जैसे कार्य करेगी, वर्ष 2026 में पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन शुरू होगा, वर्ष 2035 में भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन, भारत अंतरिक्ष केंद्र बनेगा और वर्ष 2047 में चंद्रमा पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री उतरेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने 2024 में आदित्य एल 1 सौर मिशन और अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों केलिए उपग्रहों के प्रक्षेपण जैसी उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जक के रूपमें उभरा है, विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से अर्जित 220 मिलियन यूरो में से 187 मिलियन यूरो यानी कुल धनराशि का 85 प्रतिशत पिछले आठ वर्ष में अर्जित किया गया है। इसरो की सेवाओं से लाभांवित होने वाले देशों में अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे और कई देश प्रमुख रूपसे शामिल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कृषि, रक्षा, जल संसाधन प्रबंधन, स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के विविध अनुप्रयोगों पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि मौसम पूर्वानुमान केलिए मिशन मौसम पहल भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं के लाभ को प्रदर्शित करती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र केप्रति आशा व्यक्त की और कहाकि भारत की अंतरिक्ष एवं विज्ञान क्षमताएं अपने चरम पर हैं। उन्होंने कहाकि आनेवाले कई साल वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की अद्वितीय उपलब्धियों और योगदानों के साक्षी बनेंगे।

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