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वंचितों के अधिकार व सम्मान की रक्षा हो-मुर्मु

मानवाधिकार दिवस पर राष्ट्रपति ने की मानवाधिकारों की चर्चा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सक्रिय भूमिका की सराहना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 10 December 2024 05:52:07 PM

discussion on human rights in human rights day celebration

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा हैकि आज जब हम 1948 में इसी दिन अपनाए गए मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में निहित आदर्शों पर विचार करते हैं तो हम एक ऐसे विश्व के निर्माण में योगदान देने के अपने सामूहिक संकल्प की पुष्टि करते हैं, जहां न्याय और मानवीय गरिमा समाज की आधारशिला हो। उन्होंने कहाकि भारत विभिन्न क्षेत्रों में आज एक शानदार उदाहरण के रूपमें खड़ा है, जहां केंद्र सरकार ग़रीबी उन्मूलन, वंचितों को मुफ़्त राशन उपलब्ध कराकर भूख मिटाने और युवाओं को उनके सपनों को साकार करने केलिए समान अवसर प्रदान करने की महान पहल कर रही है। राष्ट्रपति आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नई दिल्ली में आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहाकि भारत ने अपनी पांच हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी सभ्यतागत विरासत केसाथ सहानुभूति, करुणा और समरसतापूर्ण समुदाय में व्यक्तियों के आपसी जुड़ाव के मूल्यों को दीर्घकाल से बनाए रखा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि इन मूल्यों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाएं, नागरिक समाज, मानवाधिकार रक्षकों, विशेष संरक्षकों और निगरानीकर्ताओं केसाथ मिलकर सबके लिए मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने मानवाधिकार उल्लंघनों को दूर करने, इस बारेमें जागरुकता बढ़ाने और वंचित लोगों के अधिकारों की रक्षा केलिए नीतिगत बदलाव की अनुशंसा करने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सक्रिय भूमिका की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार नागरिकों को सामाजिक और राजनीतिक अधिकार सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है, सरकार सबके लिए आवास, स्वच्छ पेयजल, बेहतर स्वच्छता, बिजली, रसोई गैस और वित्तीय सेवाओं से लेकर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा तक कई सामाजिक एवं आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की गारंटी देती है तथा समाज में बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति को अधिकार माना जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भविष्य की ओर बढ़ने केसाथ ही हमें उभरती चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, मानवाधिकारों केलिए साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन नए खतरे हैं, डिजिटल युग परिवर्तनकारी होते हुए भी अपने साथ साइबरबुलिंग, डीपफेक, गोपनीयता संबंधी चिंताएं और गलत सूचना के प्रसार जैसे जटिल मुद्दे लेकर आया है। उन्होंने कहाकि ये चुनौतियां एक सुरक्षित, संरक्षित और न्यायसंगत डिजिटल माहौल को बढ़ावा देने का महत्व रेखांकित करती हैं, जिससे कि प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा हो सके। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हमारे दैनिक जीवन में शामिल हो गया है, यह कई समस्याओं के समाधान केसाथ ही नई समस्याएं भी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहाकि मानवाधिकारों पर अबतक की चर्चा मानव एजेंसी पर केंद्रित रही है, जिसमें उल्लंघनकर्ता को इंसान माना जाता है, जिसमें करुणा और अपराधबोध जैसी कई मानवीय भावनाएं होती हैं, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) केसाथ अपराधी कोई अमानव या बुद्धिमान एजेंट हो सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जलवायु परिवर्तन हमें वैश्विक स्तरपर मानवाधिकार हनन की समीक्षा केलिए मजबूर करता है। उन्होंने कहाकि एक अलग स्थान और एक अलग युग के प्रदूषक दूसरे स्थान और दूसरे काल के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि विकासशील देशों-ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूपमें भारत ने जलवायु कार्रवाई के नेतृत्व को भलीभांति संभाला है, ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक-2022, ग्रीन क्रेडिट पहल और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली या LiFE मूवमेंट जैसी सरकार की पहल भविष्य की पीढ़ियों केलिए स्वच्छ और हरितग्रह के निर्माण की भारत की प्रतिबद्धता दर्शाते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य भी एक अहम मुद्दा बन गया है, यह खासकर हमारे बच्चों और युवाओं को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने आग्रह कियाकि वे बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाले तनाव कम करने के पर्याप्त उपाय करें। उन्होंने व्यापारिक नेताओं से सुनिश्चित करने का आग्रह कियाकि बढ़ती अस्थाई श्रमिकों पर आधारित 'गिग इकॉनमी' व्यवस्था कामगारों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले।
राष्ट्रपति ने कहाकि जैसे-जैसे हम नए आर्थिक मॉडल अपना रहे हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिएकि सभी व्यक्तियों खासकर वंचित वर्गों के कल्याण हमारी प्राथमिकता बनी रहे। उन्होंने कहाकि हम सबको मानसिक अवसाद से जुड़े किसीभी लांछन को दूर करने, इस बारेमें जागरुकता उत्पन्न करने और इससे जूझ रहे लोगों की सहायता करने की दिशामें काम करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि मानवाधिकार दिवस पर हमें न्याय, समानता और गरिमा के मूल्यों केप्रति सामूहिक प्रतिबद्धता फिरसे दोहरानी चाहिए, जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करते हैं। उन्होंने कहाकि हमें समकालीन चुनौतियों का सामना करने में प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिएकि कोईभी इससे वंचित न रहे। उन्होंने कहाकि साथ मिलकर निरंतर प्रयास और एकजुटता से हम एक ऐसा भविष्य निर्मित कर सकते हैं, जिसमें आयु, पृष्ठभूमि या परिस्थिति से परे हर व्यक्ति गरिमा, अवसर और संतुष्टि का जीवन जी सके।

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