स्वतंत्र आवाज़
word map

पासवान दलित फ्रंट के पीएम उम्मीदवार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

पासवान रामविलास-ram vilas paswan

नई दिल्ली। यूपी की मुख्यमंत्री बनने के बाद अब सर्वजन के सहारे देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहीं बसपा अध्‍यक्ष मायावती को चुनौती देने के लिए नवगठित नेशनल दलित फ्रंट केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहा है।
इस मुद्दे पर मायावती को चुनौती देते हुए फ्रंट के घटक इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष उदित राज का कहना है कि केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के पास जहां चालीस साल का लम्बा राजनीतिक अनुभव है,वहीं उनमें सबको साथ लेकर चलने की अदूभुत क्षमता भी है। उन्होंने दलितों, उपेक्षित लोगों और गरीबों के उत्थान के लिए काफी काम किया है। उदित राज कहते हैं कि फ्रंट में शामिल सभी घटक रामविलास पासवान को लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने पर एकमत हैं। इस निर्णय से अब तक हो रहे दलित वोटों का धु्वीकरण भी जहां रूकेगा, वहीं दलितों के नाम पर की जा रही धोखे की राजनीति पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।
उन्होंने बताया कि फ्रंट लोकसभा चुनाव में 300 से 350 सीटों पर प्रत्याशी उतारने पर विचार कर रहा है और जल्दी ही इस पर अंतिम निर्णय कर लिया जाएगा। उदित राज कहते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती दलितों के सहयोग से राजनीति में उभरकर आईं और सत्ता पर भी काबिज हुईं, लेकिन उन्होंने दलितों के हितों के लिए कुछ नहीं किया और अब देश की प्रधानमंत्री बनने के लिए सवर्ण समाज को लुभाने में लगी हैं, जो उनके छद्म दलित प्रेम को उजागर करता है। वास्‍तव में यूपी में अगर सपा नवगठित दलित फ्रंट के साथ जुड़ जाए तो यह समीकरण बहुजन समाज पार्टी को काफी कमजोर कर देगा।
उदित राज कहते हैं कि यूपी में दलित वोटों के धु्वीकरण से मायावती को कमजोर किया जा सकता है। मायावती यदि सचमुच किसी दलित को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहती हैं तो यह बेहतर होगा कि वह भी नवगठित दलित फ्रंट में शामिल होकर राम विलास पासवान को पीएम बनाने में सहयोग करें, इससे देश के सारे दलित और दबे कुचले समाज के लोग एक मंच पर आ जाएंगे। नवगठित नेशनल दलित फ्रंट में रिपब्लिकन पार्टी, गोनवाल गणतंत्र, दलित पैंथर, कर्नाटक की दलित संघर्ष समिति, उड़ीसा मुक्ति मोर्चा, झारखंड पार्टी और इंडियन जस्टिस पार्टी सहित एक दर्जन से ज्यादा संगठन और राजनीतिक दल शामिल हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]