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उल्फा को खालिदा के समर्थन की पोल खुली

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खालिदा जिया-khaleda zia

ढाका। बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर वर्ष 2004 में आतंकी संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम को भेजी जा रही हथियारों की जो खेप जब्त की गई थी, उसके पीछे तत्कालीन खालिदा जिया सरकार के कई वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों और बड़े राजनेताओं का भी हाथ था। इस मामले में दो आरोपियों मोहम्मद हफीज उर रहमान और दीन मोहम्मद ने ढाका की एक अदालत को दिए बयान में यह दावा किया है।
उल्लेखनीय है कि 10 ट्रकों में हथियारों की बड़ी खेप उल्फा को पहुंचाई जानी थी। लेकिन चटगांव बंदरगाह पर तैनात पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ अधिकारियों के संदेश की जानकारी नहीं थी जिससे उन्होंने तस्करी की यह कोशिश नाकाम करते हुए, इन हथियारों की बरामदगी अपने रिकार्ड में दिखा दी। दोनों आरोपियों ने अदालत को दिए 10 पृष्ठों के इकबालिया बयान में कहा है कि हथियारों की तस्करी प्रत्यक्ष रूप से उल्फा प्रमुख परेश बरुआ की देखरेख में हो रही थी जो उस समय ढाका में ही रह रहा था।
हफीज उर रहमान ने अदालत को बताया कि उसने खुद उल्‍फा प्रमुख परेश बरुआ से मुलाकात की थी। इन दोनों आरोपियों की ओर से दिए गए इकबालिया बयान की जो रिपोर्ट न्यायालय में सौंपी गई है उसमें बांग्लादेश के उन बड़े नेताओं का नाम शामिल नहीं है, जो इस मामले में कथित तौर पर शामिल थे। रहमान और दीन मोहम्मद ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद उस्मान गनी के समक्ष बयान में कहा है कि खालिदा सरकार के गृह एवं उद्योग मंत्रालय के कुछ बड़े खुफिया अधिकारी और बांग्लादेशी तटरक्षक बल हथियारों की इस तस्करी से पूरी तरह वाकिफ थे। इससे भारत की वह बात साबितहोती है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्‍यों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को बांग्लादेश की तत्‍कालीन खालिदा सरकार से समर्थन मिल रहा था।

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