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परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक की शर्त छात्र विरोधी - मायावती

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लखनऊ।उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए कम से कम 80 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की शर्त पर तीखी प्रक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने केंद्र सरकार के इस निर्णय को छात्र विरोधी बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की इस तरह की शर्त से लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इस तरह के निर्णय वही सरकार ले सकती है जिसका आम आदमी से कोई लेना- देना नहीं है और वह केवल उच्च वर्गीय लोगों के हितों को साधने में लगी हुईं है।
मायावती ने इस फैसले को तुरंत वापस लिये जाने का अनुरोध किया है और साथ में यह भी कहा है कि शिक्षा के बारे में कोई भी नीति बनाते समय सबसे पहले छात्रों के हितों को केंद्रमें रखा जाना चाहिए क्योंकि शिक्षा विभाग का सबसे बड़ा दायित्व छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाना है और ऐसे मानव संसाधन भी तैयार करना है जो देश को आगे ले जा सकें। उन्होंने कहा कि कोई भी नीति जो छात्रों को आगे बढ़ाने में बाधा डाले ऐसी नीति का कड़ा विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिस्ट्रिक्टिव पॉलिसी बनाकर न तो कभी देश का और न छात्रों का ही हित सुरक्षित रखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कपिल सिब्बल को भेजे पत्र में सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रश्न केवल इस बात का नहीं है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड की इंटर परीक्षा में 80 प्रतिशत से ऊपर अंक पाने वाले छात्रों की संख्या कम होती है बल्कि प्रश्न यह है कि केंद्र सरकार इस प्रकार के अवरोध पैदा करके आखिर किसका भला करना चाह रही है? आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में ज्यादा छात्रों के बैठने का बहाना लेकर इस प्रकार के अविवेकपूर्ण निर्णय को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रणाली में इस प्रकार से सुधार लाया जाये जिससे कि सामान्य छात्र को भी बिना कोचिंग के ही सामान्य बोर्ड की परीक्षाओं की भांति आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में बैठने में कोई कठिनाई न हो। इसके पश्चात् मेरिट के आधार पर छात्रों का चयन आसानी से करके कोचिंग क्लासों की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की इसे अदूरदर्शिता ही कही जायेगी कि वह कोचिंग कक्षाओं का वर्चस्व समाप्त करने के लिए प्रवेश परीक्षाओं में व्याप्त तमाम तरह की कमियों को दूर करने के बजाय छात्रों के हितों से खिलवाड़ करने वाली ऐसी नीतियां लागू करना चाह रही है, जिसका कोई लाभ न तो छात्रों को मिलेगा और न ही ऐसा कोई कदम देश के ही हित में होगा। उन्होंने केंद्र सरकार को ऐसा कदम उठाने से रोकने का आग्रह करते हुए यह भी सलाह दी कि इस बारे में वह इन परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों से भी असलियत की जानकारी कर लें और जमीनी सच्चाई जानकर आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सुधार लाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से साधन सम्पन्न वर्ग के छात्रों को काफी फायदा पहुंचेगा, जब कि समाज का वह तबका जो गरीब और साधनहीन है वह आईआईटी में प्रवेश के अवसरों से वंचित हो जायेगा। उन्होंने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा खास तौर से आईआईटी जैसी परीक्षाओं में बैठने से वंचित किया जा सके। इस फैसले से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार उच्च वर्गीय लोगों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रही है और देश की गरीब जनता और आम लोगों की उसे कोई चिंता नहीं है।

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