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Saturday 19 September 2020 05:37:18 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उच्च शिक्षा में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यांवयन' विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य समावेशी और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करके 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक समतामूलक और जीवंत ज्ञानवान समाज विकसित करने का दृष्टिकोण निर्धारित करती है। राष्ट्रपति ने नई शिक्षा नीति तैयार करने वाले शिक्षा मंत्रालय तथा डॉ कस्तूरीरंगन और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12,500 से अधिक स्थानीय निकायों और लगभग 675 जिलों की व्यापक भागीदारी तथा दो लाख से अधिक सुझावों पर विचार के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है, जोकि जमीनीस्तर की सोच और समझ को दर्शाती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि इन संस्थाओं पर भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की अधिक जिम्मेदारी है, इनके मानदंड़ो के रूपमें निर्धारित गुणवत्ता मानकों का पालन अन्य संस्थानों द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि नई नीति के बुनियादी सिद्धांतों में तार्किक निर्णय लेने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मकता तथा महत्वपूर्ण सोच शामिल है। उन्होंने शिक्षक और छात्र के बीच मुक्त संचार तथा चर्चा की अवधारणा को दोहराते हुए भगवदगीता और कृष्ण-अर्जुन संवाद से प्रेरणा लेने के महत्व को भी रेखांकित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति महत्वपूर्ण सोच और अनुसंधान करने की भावना को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है, इसके प्रभावी क्रियांवयन से तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों के समय पर रहे ऐतिहासिक भारतीय गौरव के एक बार फिरसे पुनर्स्थापित होने की संभावना है।
रामनाथ कोविंद ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि यह अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट प्रणाली को पेश करेगी, इससे विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से अर्जित शैक्षणिक क्रेडिट डिजिटल रूपसे संग्रहीत होगा, ताकि छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट को ध्यान में रखते हुए डिग्री प्रदान की जा सके, इसके अतिरिक्त छात्रों को उपयुक्त निकास और पुन: प्रवेश लेने के लचीलेपन के साथ-साथ उनकी पेशेवर, व्यावसायिक या बौद्धिक आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता भी मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि इस नीति में बीएड, व्यावसायिक और दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों की सख्त निगरानी की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात-जीईआर को वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की ऑनलाइन प्रणाली का उपयोग भी व्यापक स्तर पर किया जा सकता है, ऑनलाइन शिक्षा विशेष रूपसे महिलाओं या फिर उन लोगों को फायदा पंहुचा सकती है, जिनके पास शैक्षिक संस्थानों तक पहुंचने की उपलब्धता नहीं है, इनके अलावा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को भी इसका लाभ मिल सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2018-19 के लिए हुए ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन के अनुसार महिलाओं का सकल नामांकन अनुपात पुरुषों की तुलना में थोड़ा अधिक है, हालांकि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और विशेष रूपसे तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में महिला छात्रों की हिस्सेदारी बेहद कम है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने निष्पक्षता और समावेश पर ध्यान केंद्रित किया है, उच्च शिक्षा में इस तरह की लैंगिक असमानता को दुरुस्त किया जाना चाहिए और इन सबमें उन संस्थानों के प्रमुख की भूमिका रहेगी, जिनका शिक्षकों और छात्रों पर गहरा प्रभाव होता है, इसलिए संगठनों के प्रमुखों को नई शिक्षा नीति को लागू करने में सक्रिय रूपसे रुचि लेनी चाहिए। इससे पहले केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सम्मेलन के प्रारंभिक सत्र को सम्बोधित किया और कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के लिए प्रगति का आधार है, इसलिए एक मजबूत शिक्षा नीति को लागू करना सरकार की सिर्फ संवैधानिक ही नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 हमारी शिक्षा प्रणाली को विकेंद्रीकृत और मजबूत करने में सक्षम होगी।
केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि 7 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मार्गदर्शन में इसी विषय पर राज्यपाल सम्मेलन भी हुआ था। शिक्षामंत्री ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा मानकों की गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य को लेकर नई शिक्षा नीति के कार्यांवयन को रणनीतिक बनाने की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। उन्होंने कहा कि इस नीति ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसरों को खोलने की अनुमति दी है, साथ ही यह भारत को एक महाशक्ति बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। शिक्षामंत्री ने कहा कि इस नीति को लागू करने की प्रक्रिया में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए और हितधारकों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस नीति को लोगों तक लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि कार्यांवयन प्रक्रिया के बारे में विचार-मंथन में सभी वर्गों का समर्थन अनिवार्य है। सम्मेलन में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, आईआईटी, एनआईटी और एसपीए के निदेशकों ने भी हिस्सा लिया।