Tuesday 11 May 2021 06:36:02 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली/ कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी ने शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल विधानसभा सदन में भाजपा विधानमंडल दल का नेता बनाकर विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने सदैव के लिए राजनीतिक घमासान खड़ा कर दिया है। ज्ञातव्य है कि बंगाल विधानसभा में प्रतिपक्ष में भाजपा सबसे बड़ा दल है और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी इस नाते बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। भाजपा के इस राजनीतिक फैसले की सबसे खास बात यह है कि शुभेंदु अधिकारी कभी ममता बनर्जी के लेफ्टिनेंट हुआ करते थे और भाजपा में आने के बाद वे ममता बनर्जी के निशाने पर आ गए। परिणाम यहां तक पहुंचा कि ममता बनर्जी उन्हें चुनौती देते हुए उनके ही निर्वाचन क्षेत्र नंदीग्राम पहुंच गईं और घमासान चुनाव में शुभेंदु अधिकारी से चुनाव भी हार गईं। ममता बनर्जी के सामने दूसरा घमासान यह है कि शुभेंदु अधिकारी उनके सामने नेता प्रतिपक्ष बना दिए गए हैं, जिनसे ममता बनर्जी का हर वक्त मुकाबला होगा और यह मुकाबला ममता बनर्जी के लिए भारी ही रहेगा।
पश्चिम बंगाल की राजनीतिक दिशा बदल देने वाली भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी का आगे का राजनीतिक रास्ता बेहद संकरा बना दिया है। विधानसभा में ममता बनर्जी का मजबूत विपक्ष और वह भी शुभेंदु अधिकारी से सामना बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल मचाए रखेगा तो भारतीय जनता पार्टी बंगाल में चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के लोगों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं, महिलाओं से बलात्कार के हिंसक हालात पर ममता बनर्जी को घेरे रखेगा। केंद्र सरकार पर दबाव है कि बंगाल में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए, लेकिन तुरंत ऐसा करना भाजपा की रणनीति का हिस्सा नहीं है, क्योंकि भाजपा बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लोगों का और हिंसक तांडव देखना चाहेगी, ताकि बंगाल के लोग ही ममता बनर्जी के खिलाफ सड़क पर उतर आएं और सभी के सामने यह स्थिति आ जाए कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन जरूरी हो चुका है। भाजपा को तब इस रणनीति का लाभ होगा, जिसमें फिर कोई भी बंगाल में राष्ट्रपति शासन के लिए केंद्र सरकार या बीजेपी को दोष नहीं दे सकेगा। यह कोई कम बड़ी बात नहीं है कि बंगाल के सियासी इतिहास में पहली बार भाजपा 3 सीट से बढ़कर 77 सीट पर पहुंच गई है और अब वहां मुख्य विपक्षी दल बन गई है।
नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के ममता बनर्जी से जीत जाने और बंगाल में भाजपा को सरकार के लिए बहुमत नहीं मिलने के बाद से ही माना जा रहा था कि भाजपा को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सामने शुभेंदु अधिकारी से बेहतर कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा और वही हुआ। भाजपा ने बंगाल विधानसभा में शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी के सामने खड़ा करके न केवल ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, अपितु यह भी संकेत दे दिया है कि शुभेंदु अधिकारी ही बंगाल भाजपा के शक्तिशाली नेता और भाजपा के भविष्य के मुख्यमंत्री होंगे। शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम में ममता बनर्जी को राजनीतिक धूल चटाने यानी ममता बनर्जी का गुरूर तोड़ने के बाद अब उनकी बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूपमें दूसरी बड़ी परीक्षा शुरु होगी। विधानसभा में अभीसे कहा जा रहा है कि भाजपा ने विधानसभा में भी ममता बनर्जी का सुखचैन छीन लिया है, जिसमें शुभेंदु अधिकारी ताबूत में कील साबित होंगे। ममता बनर्जी को जो बहुमत मिला है, उसके पीछे बंगाल का एकतरफा मुस्लिम वोट माना जाता है और भारतीय जनता पार्टी ने जो वोट हासिल किया है, वह मूल बंगालियों का वोट माना जाता है, इसलिए भाजपा को किसी तुष्टिकरण की जरूरत नहीं है, लेकिन ममता बनर्जी को मुस्लिम तुष्टिकरण के आधार पर ही सरकार चलानी होगी और ऐसा करने पर ममता बनर्जी सदैव हंगामेंदार निशाने पर ही रहेंगी। किसी भी सत्ताधारी राजनेता के लिए लगातार सशक्त विपक्ष का सामना मुमकिन नहीं है और वह भी तब जब ताकतवर बीजेपी और ताकतवर प्रतिपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी उनके सामने रहेंगे।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कहा भी है कि वे बंगाल के लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए काम करेंगे और सरकार को सकारात्मक प्रयासों के लिए मदद करेंगे, लेकिन राज्य में हो रही हिंसा और सरकार के लोगों के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे। पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा ममता सरकार के कारनामों के खिलाफ और बंगाल के लोगों के लिए और भी ज्यादा मुखर होगी। गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नंदीग्राम सीट से 1,956 वोटों से मात दी है। ममता बनर्जी अपनी इस पराजय से बुरी तरह बौखलाई हुई हैं, क्योंकि उन्होंने कहा था कि वे अगर नंदीग्राम से हारीं तो राजनीति से सन्यास ले लेंगी। ममता बनर्जी को यह विश्वास या घमंड था कि वह नंदीग्राम से चुनाव जीत जाएंगी, लेकिन उन्हें शुभेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा। आज नहीं तो कल पश्चिम बंगाल की राजनीति में यह भी बड़ा उलटफेर होकर रहेगा कि बंगाल में ममता बनर्जी के लिए निर्णायक मुस्लिम वोट किसी काम नहीं आएगा, क्योंकि बंगाल की नीयति में बदलाव अपनी जगह ले चुका है, जिसमें भाजपा का एक झटके में 77 सीटों पर जीत दर्ज करना कोई मामूली मतलब या संकेत नहीं हैं।
शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के खास रणनीतिकारों में हुआ करते थे। वे जब टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए तो तभी ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा था। शुभेंदु अधिकारी पूर्व मेदिनीपुर में जन्में हैं और यूपीए सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रहे शिशिर अधिकारी के पुत्र हैं। उन्होंने नंदीग्राम में टीएमसी का झंडा गाड़ा था, जो बंगाल में ममता बनर्जी की विजय का कारक बना। शुभेंदु अधिकारी ने पूर्वी मिदनापुर के नंदीग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2009 और 2014 का टीएमसी से तमलुक सीट से चुनाव भी जीता। वे 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से जीते, जिसके बाद ममता बनर्जी सरकार में मंत्री बने। समय और राजनीति का उलटफेर देखिए कि वही शुभेंदु अधिकारी विधानसभा में ममता बनर्जी के सामने नेता प्रतिपक्ष हो गए हैं।