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Sunday 25 July 2021 03:30:24 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के जीवन पर केंद्रित प्रदर्शनी 'आजाद की शौर्य गाथा' का उद्घाटन किया। इस दौरान आईजीएनसीए के तीन दिवसीय कलाकोष प्रतिष्ठा दिवस समारोह के दूसरे दिन पुस्तकों और वृत्तचित्रों का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए ट्रस्ट के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने की। इस अवसर पर वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी, कलाकोष विभाग की अध्यक्ष डॉ सुषमा जाटू और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
संस्कृति राज्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को पता चलेगा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कितने लोग शहीद हुए थे, इसमें बड़ी संख्या में कमजोर वर्गों के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी, जिसके बारे इतिहास में कभी नहीं लिखा गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी के 75 साल मनाने केलिए 'आजादी का अमृत महोत्सव' नाम दिया है, उन्होंने सभी मंत्रालयों व विभागों को देशभर में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर अपने-अपने कार्यक्रम तैयार करने को कहा है। रामबहादुर राय ने कहा कि हालांकि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम पर एक महत्वपूर्ण जोर 1857 में दिया गया था, इसलिए ये दोनों वर्ष और बीच की अवधि 'स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव' केलिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने केलिए संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रमों की श्रृंखला के एक भाग के रूपमें आजाद की शौर्यगाथा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह संयोग ही है कि गुरु पूर्णिमा है और इसी दिन कलाकोष विभाग का वार्षिक उत्सव होता है। उन्होंने कहा कि कला तत्वकोष, कला मूलशास्त्र और कला समालोचना के अंतर्गत तैयार किए गए आवश्यक एवं प्रामाणिक ग्रंथों को संक्षिप्त एवं आसान रूपमें लाने का प्रयास किया जा रहा है, जो युवा विद्वानों की सुविधा केलिए सरल भाषा में उपलब्ध होगा। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि इसके लिए हम शास्त्र अमृतम नाम से नई परियोजनाओं की एक श्रृंखला शुरु कर रहे हैं, जिसके तहत हम अपनी साहित्यिक पुस्तकों एवं ग्रंथों के संक्षिप्त और सरल संस्करण प्रस्तुत करेंगे, शुरुआत में हम दस ग्रंथों का कार्य कर रहे हैं और अगले एक वर्ष के भीतर 12 संक्षिप्त संस्करण प्रस्तुत करेंगे। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि ग्रंथों का संक्षिप्त, सरल रूप युवा शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।