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Friday 20 August 2021 04:26:00 PM
सोमनाथ/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से सोमनाथ में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है, इनमें सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। उन्होंने श्रीपार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने केलिए अदम्य इच्छाशक्ति दिखाई थी, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जोड़ा था। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम आजादी के 75वें वर्ष में सोमनाथ मंदिर को नई भव्यता प्रदान करने में सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और गुजरात के कच्छ के परिवर्तन जैसी पहलों को गुजरात ने बहुत नजदीक से देखा है, आधुनिकता को पर्यटन से जोड़ने का परिणाम देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कालखंड की यह मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को खोजें और लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है, उसे और मजबूत करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये शिव ही हैं, जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं, शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है। प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि सोमनाथ मंदिर को बार-बार तोड़ा गया, लेकिन हर हमले के बाद वह फिर उठ खड़ा हुआ। उन्होंने कहा कि यह इस विश्वास का प्रतीक है कि असत्य कभी सत्य को पराजित नहीं कर सकता और आतंक कभी आस्था को कुचल नहीं सकता। उन्होंने कहा कि जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय केलिए भले हावी हो जाए, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। उन्होंने कहा कि यह उस समय भी सत्य था, जब कुछ आक्रमणकारी सोमनाथ के मंदिर को तोड़ रहे थे और आज भी उतना ही सत्य है, जब ऐसी सोच दुनिया के सामने खतरा बनी हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर उसका भव्य जीर्णोद्धार सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता के कारण संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल और केएम मुंशी जैसे महापुरुषों को आजादी के बाद भी इस अभियान केलिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था, लेकिन अंततः 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तंभ के रूपमें स्थापित हो गया, देश कठिन समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर बढ़ रहा है और भगवान श्रीराम मंदिर के रूपमें आधुनिक भारत की महिमा का एक उज्जवल स्तंभ बनकर सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की होनी चाहिए, एक नया भविष्य बनाने की होनी चाहिए। उन्होंने भारत जोड़ो आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है, बल्कि विचारों के संपर्क से भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इतिहास और धर्म का सार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने भारत की एकता को रेखांकित करने में विश्वास और विश्वास प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्रीरामेश्वर तक 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं, इसी तरह हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग-अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना की ही अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री ने पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षमता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने रामायण सर्किट का उदाहरण दिया जो रामभक्तों को भगवान श्रीराम से संबंधित नए स्थानों से अवगत करा रहा है और उन्हें यह महसूस करा रहा है कि कैसे भगवान श्रीराम भारत के राम हैं, इसी तरह बुद्ध सर्किट दुनियाभर के भक्तों को सुविधाएं प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा होंगे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाईटेक बुनियादी ढांचा दूरियां पाट रहे हैं, इसी तरह 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत 40 प्रमुख तीर्थस्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं, गुजरात में 100 करोड़ रुपये से अधिक की तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश न केवल आम नागरिकों को पर्यटन के माध्यम से जोड़ रहा है, बल्कि आगे भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश, यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 2013 के 65वें स्थान से 2019 में 34वें स्थान पर पहुंच गया है। सोमनाथ प्रोमनेड को प्रसाद यानी पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्पिरिचुअल, हेरीटेज ऑगमेंटेशन ड्राइव योजना के तहत 47 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। पर्यटक सुविधा केंद्र के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र, पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागरशैली के मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को प्रदर्शित करता है।
पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्रीसोमनाथ ट्रस्ट ने कुल 3.5 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूरा किया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर के रूपमें भी जाना जाता है, क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने बनवाया था। रानी अहिल्याबाई ने पुराने मंदिर को जीर्ण शीर्ण अवस्था में पाने के बाद नया निर्माण कराया था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और संवर्धित क्षमता केलिए पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूपसे पुनर्विकास किया गया है। श्रीपार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है, इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भगृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, गुजरात के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उपस्थित थे।