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Thursday 18 November 2021 02:39:36 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सिडनी डायलॉग के उद्घाटन पर वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए मुख्य व्याख्यान दिया और भारत की प्रौद्योगिकी के क्रमिक और त्वरित विकास के विषय पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उभरती डिजिटल दुनिया में भारत की केंद्रीय भूमिका को पहचाना गया है, दुनिया समुद्री सतह से लेकर साइबर और अंतरिक्ष तक नए तरह के संघर्षों और जोखिमों का सामना कर रही है। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसका खुलापन है, हालांकि हमें इस खुलेपन का दुरुपयोग करनेवाले कुछ निहित स्वार्थों को अनुमति नहीं देनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने भारत की मजबूती और डिजिटल संप्रभुता पर कहाकि भारत साझा समृद्धि तथा सुरक्षा केलिए साझेदारों केसाथ काम करने केलिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की डिजिटल क्रांति की जड़ें हमारे लोकतंत्र, हमारी जनवादिता और हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था में निहित हैं, जिसे हमारे युवाओं की उद्यमिता और नवाचार से शक्ति मिलती है। उन्होंने कहाकि हम अतीत की चुनौतियों को अवसर के रूपमें बदल रहे हैं, ताकि भविष्य में पदार्पण करने केलिए कमर कस लें। प्रधानमंत्री ने भारत में होनेवाले पांच परिवर्तनों को गिनाया, पहला दुनिया की सबसे विस्तृत जनसूचना अवसंरचना भारत में बनाई जा रही है, एक अरब 30 करोड़ से अधिक भारतीयों केपास विशिष्ट डिजिटल पहचान है, छह लाख गांवों को जल्द ब्रॉडबैंड से जोड़ दिया जाएगा और विश्व की सबसे कारगर भुगतान संरचना यूपीआई भारत के पास है। दूसरा सुशासन, समावेश, अधिकारिता, संपर्कता, लाभों का अंतरण और जनकल्याण केलिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, तीसरा भारत केपास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से विकसित होनेवाला स्टार्टअप इको-सिस्टम है, चौथा भारत के उद्योग और सर्विस सेक्टर यहां तककि कृषि क्षेत्र भी विशाल डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम 5जी और 6जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने केलिए निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि कृत्रिम बौद्धिकता और मशीन लर्निंग खासतौरसे मानव केंद्रित तथा कृत्रिम बौद्धिकता के नैतिक उपयोग के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में शामिल है और हम क्लाउड प्लेटफॉर्म्स और क्लाउड कंप्यूटिंग में मजबूत क्षमताएं विकसित कर रहे हैं। भारत की लचीली और डिजिटल सम्प्रभुता पर प्रधानमंत्री ने कहाकि हम हार्डवेयर पर ध्यान दे रहे हैं, हम प्रेरक तत्वों का एक पैकेज तैयार कर रहें, ताकि सेमी-कंडक्टर के मुख्य निर्माता बन सकें, इलेक्ट्रॉनिकी और दूरसंचार में हमारा उत्पादन प्रेरक योजनाओं से जुड़ा है, भारत में अपना केंद्र बनाने के लिये ये क्षेत्र पहले से ही स्थानीय और विश्वभर में फैली कंपनियां और संस्थायें आकर्षित कर रहे हैं। उन्होंने डेटा सुरक्षा, निजता और सुरक्षा केलिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया, साथ ही हम डेटा का इस्तेमाल लोगों को शक्ति सम्पन्न करने के स्रोत के रूपमें करते हैं, व्यक्तिगत अधिकारों की मजबूत गारंटी केसाथ लोकतांत्रिक संरचना में ऐसा करने का भारत केपास बेमिसाल अनुभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने आरंभिक संबोधन दिया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि वाई2के समस्या के समाधान में भारत का योगदान और को-विन प्लेटफॉर्म का सहज रूप भारत के मूल्यों तथा उसके विजन की मिसाल हैं। उन्होंने कहाकि जनकल्याण, समावेशी विकास और सामाजिक अधिकारिता केलिए प्रौद्योगिकी तथा नीति उपयोग में भारत का अपार अनुभव है, जो विकासशील देशों केलिए बहुत सहायक हो सकता है। उन्होंने कहाकि भावी प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास में निवेश करने, विश्वस्त निर्माण आधार और विश्वस्त आपूर्ति श्रृंखला केविकास, साइबर सुरक्षा क्षेत्र में आसूचना, परिचालन सहयोग को मजबूत करने, लोकमान्यता को तोड़ने-मरोड़ने को रोकने, लोकतांत्रिक मूल्यों के तकाजों पर खरा उतरने वाले तकनीकी और शासन मानकों, नियमों एवं डेटा शासन और आंकड़ों की सुरक्षा केलिए मानकों तथा नियमों के सम्बंध में सहयोगात्मक स्वरूप का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि उभरती संरचना को राष्ट्रीय अधिकारों को मान्य करना चाहिए तथा कारोबार, निवेश और वृहद जनकल्याण को प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्होंने क्रिप्टो-करेंसी का उदाहरण दिया और कहाकि यह जरूरी हैकि सभी लोकतांत्रिक देश क्रिप्टो-करेंसी पर साथ काम करें और सुनिश्चित करेंकि यह गलत हाथों तक न पहुंच पाए, जो हमारे युवाओं को पथभ्रष्ट कर सकते हैं।