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Friday 2 September 2022 05:04:36 PM
कोच्चि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशके पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को समारोहपूर्वक राष्ट्रकी सेवामें समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने औपनिवेशिक अतीत से अलग और समृद्ध भारतीय सामुद्रिक विरासत के अनुरूप नौसेना के नए ध्वज का भी अनावरण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहाकि आज केरल के समुद्री तटपर हर भारतवासी एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है, आईएनएस विक्रांत पर हुआ यह आयोजन विश्व के क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। उन्होंने कहाकि आज हमसब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों को सच होता देख रहे हैं, जिनमें उन्होंने सक्षम और शक्तिशाली भारत की परिकल्पना की थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि 'विक्रांत' विशाल और विहंगम है, विशिष्ट है, विशेष भी है, यह केवल एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम प्रतिभा प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यदि लक्ष्य दूरंत हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का उत्तर है विक्रांत।
स्वदेशी विक्रांत पोत भारत की एक अनुकरणीय उपलब्धि बताकर प्रफुल्लित, गौरवांवित एवं देशकी सेना नौसेना एवं वायुसेना पर उत्साह से लबरेज़ थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। विक्रांत से देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहाकि विक्रांत आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत। राष्ट्र के नए माहौल और चुनौतियों पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आजके भारत केलिए कोईभी चुनौती मुश्किल नहीं रही, आज भारत विश्व के उन देशोंमें शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करते हैं, आईएनएस विक्रांत ने देशको नए विश्वास से भर दिया है, एक नया भरोसा पैदा कर दिया है। प्रधानमंत्री ने नौसेना, कोचीन शिपयार्ड के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और खासतौर से उन कामगारों के योगदान की दिल खोलकर सराहना की, जिन्होंने इस परियोजना पर काम किया है। उन्होंने कहाकि ओणम के आनंददायी और पवित्र अवसर ने आज और भी अधिक आनंददायी बना दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आईएनएस विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है, इसके एयरबेस में जो इस्पात लगा है, वह इस्पात भी स्वदेशी है, जिसे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है तथा भारतीय कंपनियों ने निर्मित किया है। उन्होंने विमान वाहक पोत की विशालता का उल्लेख करते हुए कहाकि यह एक तैरते हुए शहर की तरह है, यह इतनी बिजली पैदा करता है, जो 5000 घरों केलिए पर्याप्त होगी और इसमें जितने तार का इस्तेमाल हुआ है, उसे फैलाया जाए तो वह कोच्चि से काशी पहुंच जाएगा। उन्होंने कहाकि आईएनएस विक्रांत पांच प्रणों की भावना का समुच्चय है, जिसका उद्घोष उन्होंने लालकिले की प्राचीर से किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सामुद्रिक परंपरा और नौसैन्य क्षमताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दमपर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रख देती थी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब अंग्रेज भारत आए तो वे भारतीय जहाजों और उनके जरिए होनेवाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे, इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इतिहास गवाह हैकि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज 2 सितंबर 2022 वह ऐतिहासिक तारीख है, जब भारत ने गुलामी के एक निशान, एक बोझ को सीने से उतार दिया है, आज भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। उन्होंने कहाकि अबतक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन आजसे छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्रकी सुरक्षा केलिए उतरेगा तो उसपर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। उन्होंने कहाकि समंदर की अथाह शक्ति केसाथ असीम महिला शक्ति नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारतीय नौसेना ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं केलिए खोलने का फैसला किया है, जो पाबंदियां थीं, वे अब हट रही हैं, जैसे समर्थ लहरों केलिए कोई दायरे नहीं होते, वैसेही भारत की बेटियों केलिए भी अब कोई दायरा या बंधन नहीं रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बूंद-बूंद जलसे विराट समंदर बन जाता है। उन्होंने उल्लेख कियाकि इसबार स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेशी तोपों से सलामी दी गई थी, इसी तरह भारत का एक-एक नागरिक जब ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा। बदलती भू-रणनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछले समय भारत-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नज़रअंदाज किया जाता रहा है, लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है, इसलिए हम नौसेना केलिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशामें काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि शक्तिशाली भारत शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व का मार्ग प्रशस्त करेगा। गौरतलब हैकि आईएनएस विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है।
विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अबतक का सबसे विशाल निर्मित पोत है। स्वदेशी वायुयान वाहक का नाम उसके विख्यात पूर्ववर्ती और भारत के पहले विमान वाहक पोत के नामपर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्धमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह पोत तमाम स्वदेशी उपकरणों और यंत्रों से लैस है, जिनके निर्माण में देश के प्रमुख औद्योगिक घराने तथा 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संलग्न थे। विक्रांत के लोकार्पण के साथ भारतके पास दो सक्रिय विमान वाहक पोत हो गए हैं, जिनसे देश की समुद्री सुरक्षा को बहुत शक्तिशाली कवच एवं बल मिलेगा। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, बंदरगाह, पोत और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, वी मुरलीधरन, अजय भट्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार और वरिष्ठ सैन्याधिकरी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।