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Monday 5 December 2022 04:53:36 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने टिकाऊ खेती केलिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया और कहा हैकि रासायनिक खेती एवं अन्य कारणों से मिट्टी की उर्वरा शक्ति का क्षरण हो रहा है, जलवायु परिवर्तन का दौर भी है और ये परिस्थितियां देश केसाथ ही दुनिया को चिंतित करने वाली हैं। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इससे चिंतित हैं, वे समय-समय पर कार्यक्रमों का सृजन करते हैं, योजनाओं पर काम करते रहते हैं, वे सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए प्रतिबद्ध हैं। यह सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव एवं विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य में नीति आयोग ने फेडरल मिनिस्टर फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट जर्मनी से सम्बद्ध जीआईजेड के सहयोग से आयोजित किया।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहाकि मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी होना बहुत गंभीर बात है, बेहतर मृदा स्वास्थ्य की गंभीर चुनौती से निपटने केलिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा, जो पर्यावरणीय दृष्टि से उपयुक्त है, इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार राज्यों के सहयोग से तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार ने भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति खेती को फिरसे अपनाया है, ये विधा हमारी पुरातनकालीन है और हम प्रकृति केसाथ तालमेल रखते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने केलिए अनेक नवाचार किए हैं, बीते साल में 17 राज्यों में 4.78 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया गया है। उन्होंने बतायाकि केंद्र सरकार ने 1584 करोड़ रुपये के खर्च से प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को पृथक योजना के रूपमें मंजूरी दी है।
कृषिमंत्री ने कहाकि नमामि गंगे कार्यक्रम केतहत गंगा किनारे भी प्राकृतिक खेती का प्रकल्प चल रहा है, वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा सभी कृषि विज्ञान केंद्र केंद्रीय राज्य कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने केलिए चौतरफा कोशिश कर रहे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने बतायाकि भारत सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम सेभी काम कर रही है, दो चरणों में 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड देशभर में किसानों को वितरित किएगए हैं, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना केतहत सरकार अवसंरचना विकास भी कर रही है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने का प्रावधान है। उन्होंने कहाकि अबतक 499 स्थायी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 113 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 8811 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 2395 ग्रामस्तरीय सॉइल टेस्टिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है। उन्होंने कहाकि एक समय था, जब नीतियां उत्पादन केंद्रित थीं एवं रासायनिक खेती के कारण कृषि उपज में वृद्धि हुई।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि अब स्थितियां बदल गई हैं, जलवायु परिवर्तन की चुनौती भी सामने है और मृदा स्वास्थ्य अक्षुण्ण रखना बड़ी चुनौती है, प्रकृति के सिद्धांतों के विपरीत धरती का शोषण करने की कोशिश की गई तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। उन्होंने कहाकि आज रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वराशक्ति का क्षरण हो रहा है, देश-दुनिया को इससे बचकर पयार्वरणीय जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, सीईओ परमेश्वरन अय्यर, वरिष्ठ सलाहकार नीलम पटेल, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ एके सिंह तथा ड्रिक स्टेफिस, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और हितधारक उपस्थित थे। सम्मेलन में विभिन्न तकनीकी सत्रों को विशेषज्ञों ने संबोधित किया।