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Wednesday 26 July 2023 05:23:03 PM
कटक। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज कटक में ओडिशा उच्च न्यायालय के 75वें वर्ष के समापन समारोह में भाग लिया और संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत देश की रक्षा केलिए कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करके की। उन्होंने कहाकि भारत माता की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वालों में ओडिशा के भी कई सैनिक शामिल हैं, मेजर पद्मपाणि आचार्य को उनके योगदान केलिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहाकि इन सैनिकों की बहादुरी हमारे नागरिकों केलिए सदैव प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। ओडिशा उच्च न्यायालय के 75वें वर्ष समारोह की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि ओडिशा उच्च न्यायालय ने 75 वर्ष की अपनी गौरवशाली यात्रा में कई उच्च मानदंड स्थापित किए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि ओडिशा उच्च न्यायालय के दिग्गजों में बाबू जगन्नाथ दास, रंगनाथ मिश्रा, राधा चरण पटनायक, देबा प्रिया महापात्र, गोपाल बल्लभ पटनायक, अरिजीत पसायत, अनंग कुमार पटनायक और दीपक मिश्रा जैसे न्यायाधीशों की एक लंबी सूची शामिल है, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और उनमें से कुछ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूपमें भी कार्य किया। उन्होंने कहाकि ओडिशा उच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा के पीछे इसके पूर्व और वर्तमान मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और कर्मचारियों का योगदान, निष्ठा, काम केप्रति समर्पण और वृहद ज्ञान है। राष्ट्रपति ने कहाकि जो संस्था समय के बदलाव केसाथ नहीं बदलती, वह पिछड़ जाती है। उन्होंने कहाकि ओडिशा उच्च न्यायालय ने न्याय वितरण प्रणाली में तकनीकी प्रगति को शामिल करने का प्रयास किया है। उन्होंने कई आधुनिक, नवीन और प्रौद्योगिकी संचालित परिवर्तनों के माध्यम से न्याय वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित और तेज करने केलिए ओडिशा उच्च न्यायालय की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहाकि भारत में कानूनी पेशे ने नागरिकों का विश्वास और सम्मान अर्जित किया है, यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूपमें मजबूत है। उन्होंने अदालतों और कानूनी पेशे से जुड़े हर व्यक्ति से त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि यह उन निर्दोषों को मुक्त करा सकती है, जो छोटे-मोटे आरोपों के आधार पर जेल में बंद हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसे उदाहरण हैंकि लोगों को उन अपराधों केलिए निर्धारित सजा से अधिक समय तक जेल में रखा गया, जिनके लिए उनपर आरोप लगाया गया था, इसके कारण निर्दोष व्यक्ति अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय गंवा देते हैं, दूसरी ओर पीड़ित भी उम्मीद खो देते हैं, जब वे दोषियों को कानूनी परिणामों का सामना न करते देखते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि अदालतों में न्याय में देरी चिंता का विषय है। उन्होंने ओडिशा उच्च न्यायालय से जुड़े सभी लोगों से शीघ्र न्याय प्रदान करने और देशभर केलिए एक उदाहरण स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि विगत दो वर्ष में न्यायालय के त्वरित न्याय प्रदान करने के परिणामस्वरूप लम्बित मामलों में एक चौथाई की कमी हुई है, इसके लिए उन्होंने ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ जस्टिस एस मुरलीधर और उनकी टीम की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने समाज के सामाजिक और आर्थिक रूपसे वंचित वर्गों को न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता दी है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि समाज के वंचित वर्ग के लोगों के पास न्याय तक पहुंचने केलिए न तो अधिक ज्ञान है और न ही उनके पास संसाधन हैं, अतः हमारे सामने यह प्रश्न हैकि उन्हें न्याय कैसे मिलेगा? इस प्रश्न पर गहन मंथन की आवश्यकता है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त कीकि वंचित वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने केलिए कदम उठाए गए हैं, अनेक अधिवक्ता भी नि:शुल्क कानूनी सलाह देने केलिए आगे आ रहे हैं, उम्मीद हैकि इससे जन-साधारण को न्याय मिलना और भी सुगम होगा। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर यह भी उल्लेख कियाकि प्राकृतिक आपदाएं मानवता केलिए चुनौती खड़ी करती हैं, प्रकृति केसाथ अनुकूलन कायम करना समय की मांग है। उन्होंने कहाकि कार्यपालिका एवं विधायिका के साथ-साथ न्यायपालिका को भी पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।