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Wednesday 27 December 2023 12:28:31 PM
रोहतक (हरियाणा)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ केसाथ एकदिवसीय दौरे पर रोहतक पहुंचे, जहां उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह का दीप प्रज्जवलित करके उद्घाटन किया। उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में कहाकि भारतीयता हमारी पहचान है, भारत का हित सर्वोपरि है, हमने जो विरासत पाई है, दुनिया के किसी देश ने ऐसी विरासत नहीं पाई है, हमने जो अप्रत्याशित प्रगति हाल के वर्षों में की है और दुनिया उससे अचंभित है। दुनिया में भारत की बढ़ती शाख को का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि आईएमएफ और विश्व बैंक के अनुसार भारत निवेश और अवसर का सबसे पसंदीदा स्थान है। डिग्री पानेवाले विद्यार्थियों से उपराष्ट्रपति ने कहाकि गुरुजनों का आदर, परिजनों की सेवा और देश का सम्मान आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हम उस भारत के नागरिक हैं, जहां बुज़ुर्गों का सम्मान होता है, कोईभी परिस्थिति हो, अपने माता-पिता का हमेशा ध्यान रखें, उनकी सेवा में ही ईश्वर है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत विरोधी नरेटिव चलाने वालों को लक्ष्य करते हुए कहाकि उन्हें पीड़ा होती हैकि जब भारत का कोई नागरिक, भारतीयता में विश्वास करने वाला, अपने ही देश को नीचा दिखाता है, देश की प्रगति को धूमिल करता है, देश की संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करता है, ऐसे लोगों को संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजीराव आंबेडकर की ऋषि वाणी को सुनना चाहिए, जिन्होंने कहा थाकि आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंत में भारतीय और भारतीय के अलावा कुछ नहीं। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि वे सचमुच भाग्यशाली हैंकि वे स्वयं अमृतकाल के पारितंत्र में हैं, अमृतकाल ही हमारा गौरवकाल है, अब आपकी असीम ऊर्जा को उजागर करने, प्रतिभा और क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के दरवाजे खुले हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि देश के युवा नए भारत के अगुआ हैं, भारत में युवा दिमागों की उपलब्धियां असाधारण हैं, युवाओं ने भारत को दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद की है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत के युवाओं ने एक ऐसा पारितंत्र बनाया है, जो हमें 2030 के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बना देगा। उन्होंने कहाकि युवाओं ने कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है और देश-दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारितंत्र बनाया है, उनका योगदान ऐसा हैकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र होगा, भारत विश्वगुरु बनेगा, जिसके बारे में कोई संदेह नहीं है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं, जहां भारत का प्रभाव और क्षमता हमारी सीमाओं के पार भी महसूस किया जाता है, भारत के बाहर भारतीय होना हमारे लिए आज गर्व की बात है, अपने राष्ट्र, अपनी मातृ संस्था और समाज के उत्थान में योगदान देने से बढ़कर जीवन में कोई खुशी नहीं हो सकती। उन्होंने भारत की तकनीकी क्षेत्र में बढ़ती ताकत का जिक्र किया और कहाकि देश ने इसमें दुनिया के अग्रणी देशों में से एक के रूप में बड़ी पहल की है, प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी हैं, यह हमारे कार्यस्थलों, कार्यालयों और घरों में प्रवेश कर चुकी है, हमें व्यापक जनकल्याण केलिए उनका सुरक्षित रूपमें इस्तेमाल करना चाहिए।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि किसीभी विचार को क्रियान्वित करने केलिए साहस और दृढ़ता की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से उदाहरण केसाथ कहाकि हमेशा याद रखें, पैराशूट तभी काम करता है, जब वह खुला हो, पैराशूट की तरह महान मस्तिष्क का होना किसी काम का नहीं है, यदि आप इसे खोलते नहीं हैं और बादमें आपको उसका परिणाम भुगतना पड़ता है, इसलिए अपने दिमाग को खुला रखें और असफलता के डर से मुक्त रहें। जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहाकि भारत तेजगति से विकास यात्रा पर बढ़ रहा है और यह बढ़त अजेय है, भारत दुनिया की सबसे तेजगति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है, देश में अवसरों की कोई कमी नहीं है, भरपूर अवसर उपलब्ध हैं और आप अपनी प्रतिभा का उपयोग कीजिए! उन्होंने कहाकि आप एक दशक पीछे जाएंगे तो आपको पता चलेगाकि सत्ता के गलियारे दलालों से भरे रहते थे, आज उन्हें पूरी तरीके से दलालों से मुक्त कर दिया गया है और आज भारत में भ्रष्टाचार केलिए कोई जगह नहीं है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि पहले कुछ लोग अपने आपको कानून से ऊपर समझते थे, उनको लगता थाकि कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लेकिन कानून ने उनको अपने शिकंजे में जकड़कर यह बता दिया हैकि प्रजातंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं होता है, सभी केलिए एक समान कानून होता है और सबको कानून पालन करना पड़ता है। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में बताते हुए कहाकि उनका जीवन, विचार सादगी और सद्गुण को दर्शाते हैं, जो प्रेरक हैं। अपने पूरे जीवनकाल में स्वामीजी ने प्रचलित सामाजिक अन्यायों का डटकर मुकाबला किया, सामाजिक मान्यताओं को उत्प्रेरित करने और वेदों की शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने केलिए खुदको दिल से समर्पित कर दिया। उन्होंने कहाकि वर्तमान में भारत काफी हदतक स्वामीजी के सपनों का प्रतिरूप है। दीक्षांत समारोह में हरियाणा के राज्यपाल एवं कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय, हरियाणा सरकार के उच्च शिक्षामंत्री मूलचंद्र शर्मा, सांसद डॉ अरविंद कुमार शर्मा, रामचंद्र जांगड़ा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत, कार्यकारिणी परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के प्राचार्य और छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।