विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। इस पंद्रह अगस्त का राष्ट्र को संबोधन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए चुनौती भरा रहा जिसमें उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर क्रोधित देश को जवाब देना और संतुष्ट करना बेहद मुश्किल रहा। देश के किसी प्रधानमंत्री को लाल किले की प्राचीर से शायद पहली बार, भ्रष्टाचार पर और वह भी देर तक बोलना पड़ा। यही नहीं, उससे निपटने के प्रबंध भी सफाई के तौर पर बताने पड़े जिनसे देशवासी शायद ही संतुष्ट हुए हों। बारिश की बूंदों या पसीने से भीगते हुए प्रधानमंत्री ने अपने सात साल का लेखा-जोखा प्रस्तुत करके यह बताना चाहा कि उनके कार्यकाल में देश ने सबसे ज्यादा प्रगति की है। हालांकि देश में सूचना प्रोद्यौगिकी की क्रांति से विकास के द्वार खोलने का सेहरा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ही सर पर माना जाता है, जिनका कार्यकाल मनमोहन सिंह से भी कम रहा है। राजीव गांधी को उस समय यदि लोकापवादों ने घेरा तो उसके कारण भी मनमोहन सिंह जैसे नौकरशाह या राजनेता ही रहे हैं, जिनकी अकर्मण्यता से उनके ही संरक्षण में फल-फूल रहे भ्रष्टाचार का उन्हें पता ही नहीं चल पाया और आज वे लाल किले की प्राचीर से देश को बता और समझा रहे हैं कि भ्रष्टाचार कितना ख़तरनाक है।
पढ़िए कि हिंदुस्तान की स्वतंत्रता की 64वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को संबोधन कैसे शुरू किया- 'पिछले सात साल से इस ऐतिहासिक लालकिले से 15 अगस्त पर मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, इन सात सालों में हमारे देश ने बहुत कुछ हासिल किया है, इस दौरान हम तेज़ी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़े हैं, कई क्षेत्रों में हमें अच्छी सफलता मिली है, लेकिन मैं यह भी अच्छी तरह जानता हूं कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है, हमें देश से गरीबी और अशिक्षा दूर करनी है, आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करानी हैं और देश के हर नौजवान को रोज़गार के अवसर दिलाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आगे का हमारा यह सफर लंबा और कठिन भी है, खास तौर पर इन दिनों देश के अंदर और बाहर हालात ऐसे हैं कि अगर हम समझदारी और संयम से काम नहीं लेंगे, तो हमारी सुरक्षा और खुशहाली को खतरा पैदा हो सकता है, कुछ लोग देश के अंदर गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं ताकि हमारी प्रगति में रुकावट आए, इन सब हालात का हमारे ऊपर बुरा असर पड़ सकता है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।'
मनमोहन सिंह ने कहा कि हम आधुनिक भारत का निर्माण अपने सैनिकों, अपने किसानों और अपने मज़दूरों की मेहनत और कुर्बानियों की नींव पर कर रहे हैं, हम इस मेहनत और इन कुर्बानियों को बेकार नहीं जाने देंगे, जो सपने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे, हम उनको ज़रूर साकार करेंगे, पिछले सात सालों में हमारी सरकार ने देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक सुधार, और आर्थिक प्रगति लाने की कोशिश की है, हमने देश में धार्मिक सद्भाव का माहौल बनाया है, इन सात साल में हमारी आर्थिक प्रगति की रफ़्तार बहुत अच्छी रही है, यह सफलता हमने वर्ष 2008 में विश्व भर में आई आर्थिक मंदी और विश्व बाज़ार में ऊर्जा और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों के बावजूद हासिल की है, हमने अपने देश में असमानताएं दूर करने की भी कोशिश की है, पिछले सात साल में हमने अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतों का खास ख्याल रखा है, हमने ऐसे कानून बनाए हैं, जिनके ज़रिए हमारी जनता को अपने बुनियादी हक़ हासिल करने में आसानी हो, शिक्षा, रोजग़ार और सूचना के अधिकारों के बाद हम जल्द ही कानून के जरिए देश की जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान करेंगे।
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि हमारी कामयाबियां मामूली नहीं हैं, दुनिया अब मानती है कि भारत में एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में उभरने की काबिलियत है, लेकिन, हमारी प्रगति के रास्ते में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी अड़चन है, पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, कुछ मामलों में केंद्र सरकार के लोगों पर आरोप हैं, अन्य मामलों में विभिन्न राज्य सरकारों के लोगों पर भी आरोप लगे हैं, भ्रष्टाचार के जो भी मामले हमारे सामने आए हैं, उनमें हम कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं, मैं इस विषय पर और कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा क्योंकि इन मामलों पर अदालतें सुनवाई कर रही हैं। उन्होंने कहा- लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगा कि यह ज़रूरी है कि जब हम इन मसलों पर विचार करें तो ऐसा माहौल पैदा न हो जिसमें देश की प्रगति पर ही सवाल उठने लगें, इन मसलों पर विचार करते समय हममें यह आत्मविश्वास झलकना चाहिए कि हम इन तमाम समस्याओं का हल निकाल लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार कई शक्लों में हमारे सामने आता है, कई बार आम आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई योजनाओं का पैसा सरकारी कर्मचारियों की जेब में पहुंच जाता है और कई बार सरकार की शक्तियों का प्रयोग कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है, कुछ मामलों में बड़े-बड़े सरकारी ठेके गलत तरीके से गलत लोगों को दे दिए जाते हैं, हम इस तरह की गतिविधियों को जारी नहीं रहने दे सकते। मेरा मानना है कि किसी एक बड़े कदम से ही भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता बल्कि, इसके लिए हमें कई मोर्चों पर एक साथ काम करना होगा, हमें अपनी न्याय व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाना होगा। सबको यह मालूम होना चाहिए कि बेईमान लोगों के खिलाफ तेजी से कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनको सज़ा दी जाएगी, अगर हमारे यहां कारगर ढंग से इंसाफ होने लगे, तो सरकारी अधिकारी लालच या राजनैतिक दबाव में गलत काम करने से पहले कई बार सोचेंगे।
भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और नेताओं को दंड देने के लिए कड़े कानून की वकालत कर रहे सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ नागरिक अन्ना हज़ारे और उनकी टीम के 16 अगस्त से अनशन करने के इरादे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च पदों पर होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम एक स्वतंत्र और मज़बूत लोकपाल चाहते हैं, इसके लिए हमने हाल ही में संसद में एक बिल पेश किया है, अब केवल संसद ही यह फैसला कर सकती है कि किस तरह का लोकपाल कानून बनाया जाना चाहिए, मैं जानता हूं कि इस बिल को लेकर कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, जो लोग इस बिल से सहमत नहीं हैं, वे अपना नज़रिया पार्लियामेंट और राजनीतिक दलों और बेशक प्रेस को भी बता सकते हैं, लेकिन मेरा यह भी मानना है कि हमें अनशन और भूख हड़ताल का सहारा नहीं लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका को लाना मुनासिब नहीं है, हम समझते हैं कि ऐसा करना न्यायपालिका की आज़ादी के खिलाफ होगा, लेकिन हमें एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे न्यायपालिका जवाबदेह बन सके, इसी मकसद से हमने एक जुडिशियल अकांउटेबिलिटी बिल संसद में पेश किया है, मुझे यकीन है कि इसे जल्द ही पास कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक सावधान प्रेस और जागरूक जनता बहुत मददगार हो सकते हैं, भारतीय प्रेस की आज़ादी और सरगर्मी दुनिया भर में एक मिसाल है, हमने जो सूचना का अधिकार कानून बनाया है, उससे प्रेस और जनता दोनों ही सरकार के काम पर अब कड़ी नज़र रख सकते हैं, आज सरकार के तमाम ऐसे फैसले रौशनी में आ रहे हैं, जो इस कानून के बिना जनता की निगाह से दूर रहते, मैं समझता हूं कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए यह एक बहुत बड़ा कदम है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि जिन संसाधनों की कमी है, उनके आवंटन में, और विभिन्न प्रकार की मंजूरियां देने में कई बार सरकार के विवेकाधिकार का गलत इस्तेमाल होता है, हमने इस विषय की समीक्षा की है, हम इस तरह के अधिकारों को जहां भी संभव होगा, खत्म करेंगे, सरकारें हर साल कई हजार करोड़ रुपयों के ठेके देती हैं, खरीदारी के फैसलों में भी अक्सर बेईमानी की शिकायतें सामने आती हैं, सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार कम करने के उपाय सुझाने के लिए हमने एक समिति गठित की थी, इस समिति की सिफारिश है कि कई दूसरे देशों की तरह हमारे यहां भी एक सार्वजनिक खरीद कानून होना चाहिए, जो सरकारी खरीद के उसूलों और तौर-तरीकों को तय कर सके, हम इसके लिए इस साल के आखिर में संसद में एक बिल पेश करेंगे, पिछले कुछ सालों में कई क्षेत्रों में स्वतंत्र रेगुलेटरी अथॉरिटीज बनाई गई हैं, ये अथॉरिटीज अब बहुत से ऐसे काम कर रही हैं, जो पहले सरकार खुद करती थी, मगर हमारे पास कोई ऐसा कानून नहीं है, जो इन रेगुलेटर्स के काम काज को देखे और उनकी स्वतंत्रता बरकरार रखते हुए उन्हें ज्यादा जवाबदेह बनाए, हम ऐसा कानून बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने भ्रष्टाचार पर इतना कुछ इसलिए कहा है क्योंकि मैं समझता हूं कि यह समस्या आज हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है, लेकिन, यह एक ऐसी मुश्किल है, जिससे निपटने के लिए सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम कई मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि इस लड़ाई में सभी राजनैतिक दल हमारा साथ दें, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण बिल संसद में रखे हैं और रखेंगे, मुझे उम्मीद है कि इन बिल्स को कानून में बदलने के लिए सभी राजनैतिक दल सहयोग करेंगे, इस मामले में, मैं आखिर में यह कहना चाहूंगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है, जब इसमें भारत का हर नागरिक सहयोग करे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा देश आज एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जिसमें महंगाई लगातार ज़्यादा रही है, महंगाई पर काबू पाना किसी भी सरकार की अहम ज़िम्मेदारी होती है, हमारी सरकार इस ज़िम्मेदारी को पूरी तरह समझती है, हमने लगातार ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे महंगाई कम हो सके, कई बार हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़ा है, जिनमें बढ़ती महंगाई की वजह देश के बाहर थी, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोलियम पदार्थों, खाद्यान्नों और खाद्य तेलों की कीमतों में हाल के समय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है, हम इन वस्तुओं का काफी मात्रा में आयात करते हैं और इसीलिए इनकी बढ़ी हुई कीमतों का असर महंगाई पर पड़ता है, कई बार हम महंगाई पर काबू पाने में कामयाब भी हुए हैं, लेकिन यह कामयाबी मुस्तकिल साबित नहीं हो पाई, अभी कुछ दिन पहले बढ़ती महंगाई पर जनता की चिंता संसद में हुई चर्चा में भी नज़र आई, मैं आपको आज भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम लगातार यह समीक्षा कर रहे हैं कि महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या नए कदम उठाए जा सकते हैं, महंगाई की समस्या का हल निकालना अगले कुछ महीनों में हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि उद्योग, बुनियादी ढांचे और शहरीकरण के लिए किए जाने वाले भूमि अधिग्रहण की वजह से देश के कई हिस्सों में पैदा हुए तनाव से मैं पूरी तरह से वाकिफ हूं, इस प्रकार के अधिग्रहण से हमारे किसान विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, लोकहित की योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण बेशक ज़रूरी है, लेकिन, यह काम पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए, जिन लोगों की रोज़ी-रोटी अधिग्रहण की जाने वाली भूमि से जुड़ी हुई है, उनके हितों का पूरी तरह ख़्याल रखा जाना चाहिए, हम चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण के काम में किसी के साथ नाइंसाफी न हो, इसीलिए, हमारी सरकार 117 साल पुराने कानून की जगह भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास का एक ऐसा नया कानून बनाना चाहती है, जो प्रगतिशील और संतुलित हो। इसके लिए हमने एक मसौदा तैयार कर लिया है और उस पर सहमति बनाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है, जल्द ही संसद में हम इस नए कानून के लिए बिल पेश करेंगे।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में पिछले 7 सालों की अपनी उपलब्धियों पर हमें संतोष है, हम एक एजुकेशन कमीशन बनाएंगे, जो शिक्षा के सभी स्तरों पर सुधार के लिए सिफारिशें करेगा, मैंने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना को कई बार शिक्षा योजना कहा है, जितना जोर हमने 11वीं योजना में शिक्षा पर दिया था, उतना ही जोर हम 12वीं योजना में स्वास्थ्य पर देंगे, मैं राष्ट्रीय विकास परिषद में यह प्रस्ताव रखूंगा कि 12वीं योजना स्वास्थ्य पर केंद्रित हो, हम 12वीं योजना में बुनियादी ढांचे में निवेश को और तेज करेंगे, इस काम में हम देश के दूर-दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों का खास ख्याल रखेंगे। इस वर्ष हमने शहरों में रहने वाले अपने गरीब भाई-बहनों की भलाई के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, अभी कुछ दिन पहले हमने राजीव आवास योजना को मंजूरी दी है, इस योजना के ज़रिए हम शहरों से झुग्गी-झोपड़ियों को खत्म करना चाहते हैं, राजीव आवास योजना को हम राज्यों के साथ मिलकर एक नेशनल मिशन के तौर पर लागू करेंगे।
उन्होंने कहा कि जनगणना- 2011 के जो आंकड़े हमें उपलब्ध हुए हैं, वे ज्यादातर क्षेत्रों में सुधार दर्शाते हैं, लेकिन, यह बेहद अफसोस की बात है कि लड़कियों के अनुपात में पिछली जनगणना की तुलना में गिरावट आई है, इस हालत को सुधारने के लिए हमें न सिर्फ मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करना होगा, बल्कि हमारे समाज में लड़कियों और महिलाओं को जिस नज़रिए से देखा जाता है, उसको भी बदलना होगा, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए और समाज में उनको बेहतर दर्जा दिलाने के लिए मैं राज्य सरकारों और समाज सेवी संस्थाओं से विशेष रूप से अपील करना चाहूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले महीने मुंबई में जो दहशतगर्दी की वारदातें हुईं, वे हमें आगाह करती हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए हमारी निगरानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए, यह एक लंबी लड़ाई है, इसको केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और आम जनता को एक साथ मिलकर लड़ना है, हम आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसीज को लगातार मज़बूत करते रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे। नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए भी हम हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, हम यह चाहते हैं कि नक्सलवाद को जन्म देने वाले कारणों को खत्म कर दिया जाए, इसीलिए, चुने हुए 60 पिछड़े और अधिक आदिवासी जनसंख्या वाले जिलों के तेज़ विकास के लिए एक नई योजना शुरू की गई है, इस योजना पर दो साल की अवधि में 3,300 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी।