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Thursday 24 January 2013 04:07:00 AM
नई दिल्ली। कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा के समर्थक दो मंत्रियों के इस्तीफा देने और उन समेत 13 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के निर्णय के बाद भाजपा की सरकार संकट में फंस गई है। हाल ही में कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) बनाने वाले येदयुरप्पा ने कहा कि 'शेट्टर सरकार अल्पमत में आ गई है, उन्हें सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है, उन्हें अपनी यात्रा रोककर शहर लौटना चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए।' येदयुरप्पा ने बोपैया को भी निशाना बनाया और कहा कि उन्हें विधायकों के इस्तीफे के बारे में सूचित कर दिया गया था और वह यात्रा पर चले गए।
कर्नाटक के संकट से निपटने की पहली चुनौती नए भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सामने आ गई है। इस साल कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में और अगले साल लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने, यूपी में भाजपा को बेहतर करने और गठबंधन का दायरा फैलाने जैसी चुनौतियों से भी उन्हें दो चार होना पड़ेगा। कर्नाटक में मामला गंभीर है और भाजपा यहां के राजनीतिक हालात से काफी परेशान व चिंतित है।कर्नाटक में बीएस येदयुरप्पा के कारण ही भाजपा सरकार में आई थी। येदयुरप्पा को भ्रष्टाचार के मामले में क्या जेल जाना पड़ा, भाजपा पर वहां संकटों का पहाड़ टूट पड़ा। येदयुरप्पा ने अपने विश्वासपात्र मंत्री को मुख्यमंत्री बनवाया, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही येदयुरप्पा का चेला उनका गुरू हो गया और वह येदयुरप्पा की अवमानना पर उतर आया। कारण यह था कि येदयुरप्पा उससे मनमर्जी का काम लेना चाहते थे, लेकिन वह जेबी मुख्यमंत्री नही बना और एक समय बाद उसने बीजेपी हाई कमान की मर्जी से सरकार चलाई। भाजपा को इस मामले में येदयुरप्पा का दबाव मानना पड़ा और मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। येदयुरप्पा दूसरे मुख्यमंत्री को भी ज्यादा बर्दाश्त नही कर पाए और उन्होंने उसके खिलाफ भी मोर्चा खोलते हुए भाजपा छोड़ दी और कर्नाटक में फिर से चुनाव के लिए कर्नाटक जनता पार्टी बना ली।
कर्नाटक में दोबारा कमल खिलेगा कि नहीं, यह दावा नहीं किया जा सकता, अलबत्ता वहां भाजपा अपनी मौजूदगी के लिए कांग्रेस के खिलाफ संघर्ष में जरूर रहेगी। फिलहाल जो संकट है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं कर्नाटक में भी झारखंड की तरह राष्ट्रपति शासन न हो जाए और यहां के विधान सभा चुनाव राष्ट्रपति शासन में हों। भाजपा के पास सरकार को बचाने के विकल्प नज़र नहीं आते हैं, क्योकि येदयुरप्पा के विधायकों ने ही इस्तीफा दे दिया है और कर्नाटक अब नए मार्ग की ओर ही जाता दिख रहा है। भाजपा के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सामने यह प्रश्न है कि इन हालात में दक्षिण के महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक में भाजपा कैसे वापस आए?