स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 31 December 2015 05:45:58 AM
नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण, वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने प्रिंट मीडिया पर 59वीं वार्षिक रिपोर्ट ‘प्रेस इन इंडिया 2014-15’ जारी करते हुए कहा है कि डिज़िटल तथा सूचना युग की चुनौतियों को प्रिंट मीडिया स्वीकार करे। उन्होंने कहा कि इंटरनेट की क्रांति और तेजी से बदलने वाली प्रौद्योगिकी ने पूरी दुनिया के प्रिंट मीडिया के सामने अपनी उपस्थिति बनाए रखने और विकास के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी है। उन्होंने कहा कि बहरहाल भारत में प्रिंट मीडिया लगातार प्रगति कर रहा है, उसकी मांग लगातार बढ़ रही है और क्षेत्रीय समाचारपत्रों का आधार भी बढ़ रहा है। प्रेस इन इंडिया 2014-15 रिपोर्ट को भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक ने तैयार किया है।
अरुण जेटली का कहना है कि प्रिंट मीडिया सूचना के प्रवाह पर आधारित होता है, जो इलेक्ट्रानिक मीडिया से किया जाता है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया की वजह से समाचार और राय के बीच की विभाजक रेखा कमजोर हुई है, इलेक्ट्रानिक मीडिया में होने वाली चर्चाएं और बहसें शोर-शराबे से भरी होती हैं, जबकि प्रिंट मीडिया वस्तुनिष्ठता और समाचार की प्रकृति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि विभिन्न विचार इसलिए उभरते हैं, क्योंकि मीडिया का दायरा बहुत विशाल हो गया है, जहां विभिन्न पहलू सामने आते हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि मैग़जीन पत्रकारिता को अपने आपको पुर्नभाषित करना होगा, क्योंकि पाठकों के सामने डिज़िटल और सोशल मीडिया का विकल्प बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के रुझान बताते हैं कि लोकप्रिय पत्रिकाएं ऑनलाइन डिजिटल संस्करण निकाल रही हैं, क्योंकि तेजी से बदलती दुनिया में समाचारों तथा प्रौद्योगिकी की प्रकृति भी बदल रही है। उन्होंने कहा कि अब पाठकों को तुरंत समाचार की आवश्यकता महसूस होने लगी है, अतः पत्रिकाओं में उपलब्ध समाचार अतीत की बात हो गए हैं। विशेष सचिव जेएस माथुर ने अपने संबोधन में प्रकाशन और प्रेस की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने प्रिंट मीडिया सहित पूरे मीडिया में आए बदलावों की भी चर्चा की।
वार्षिक रिपोर्ट में ‘प्रेस इन इंडिया 2014-15’ को पंजीकृत प्रकाशनों में जारी वार्षिक उल्लेखों और विश्लेषणों के आधार पर तैयार किया गया है। यह वार्षिक उल्लेख हर पंजीकृत प्रकाशन को देना होता है। रिपोर्ट में सर्कुलेशन के आधार पर भारतीय प्रेस के आम रुझानों का विश्लेषण शामिल है। प्रिंट मीडिया ने पिछले वर्ष की तुलना में 5.80 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की और वर्ष 2014-15 के दौरान कुल 5,817 नए प्रकाशन शुरू हुए तथा 34 प्रकाशन बंद हुए। जेएस माथुर ने बताया कि 31 मार्च 2015 तक कुल 1,05,443 पंजीकृत प्रकाशनों में से हिंदी में सबसे अधिक समाचारपत्र और पत्रिकाएं हैं। जेएस माथुर ने बताया कि हिंदी में कुल 42,493 प्रकाशन हैं, जबकि अंग्रेजी में 13,661 पंजीकृत प्रकाशन हैं। कुल 1,05,443 पंजीकृत प्रकाशनों में 14,984 दैनिक और सप्ताह में दो-तीन प्रकाशन हैं, इसके अलावा शेष 90,459 प्रकाशन हैं।
राज्यवार विश्लेषण बताता है कि 2014-15 के समापन पर उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 16,130 प्रकाशन मौजूद हैं। महाराष्ट्र में 14,394 प्रकाशन और दिल्ली में 12,177 प्रकाशन मौजूद हैं। सर्कुलेशन के दावे के आधार पर प्रकाशनों की संख्या 2014-15 में 51,05,21,445 रही, जबकि 2013-14 में कुल 45,05,86,212 प्रतियां प्रकाशित हुईं। भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय (आरएनआई) से प्राप्त वार्षिक उल्लेखों के मद्देनज़र 2014-15 में इनकी तादाद 23,394 रही, जबकि 2013-14 में यह तादाद 19,755 थी। इस तरह इस मद में 18.42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार सर्कुलेशन के आधार पर हिंदी प्रकाशन सबसे आगे रहा और उसने प्रतिदिन 25,77,61,985 प्रतियां छापीं। इसके बाद अंग्रेजी में 6,26,62,670 प्रतियां और उर्दू में 4,12,73,949 प्रतियां छापी गईं। रिपोर्ट में समाचारपत्रों के स्वामित्व, दैनिक अखबारों का विश्लेषण, भाषावार प्रेस का अध्ययन और पंजीकृत समाचारपत्रों का विश्लेषण भी दिया गया है।