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Thursday 8 September 2016 04:33:06 AM
अमेठी। समाजवादी सरकार की 108 एंबुलेंस सेवा देखिए और हैरान मत होइए। अमेठी में ही नहीं, बल्कि प्रदेश में और भी जगहों पर एंबुलेंस सेवा अब धड़ल्ले से टैक्सी में बदल गई है। इस फोटो में समाजवादी एंबुलेंस सेवा में बैठने की तैयारी कर रहे ये लोग कोई मरीज नहीं हैं, बल्कि ये सवारियां हैं, जिन्हें एंबुलेंस के ड्राइवर और प्राथमिक सहायक उपचारक उनके गंतव्य पर पहुंचाने के लिए इस एंबुलेंस सेवा में भर रहे हैं। अमेठी में समाजवादी एंबुलेंस सेवा का यह हस्र लगभग सभी अधिकारियों और यात्रियों को मालूम है। चूंकि यह धन कमाती टैक्सी बन गई है, इसलिए इसके दुरुपयोग पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और न कार्रवाई होने की उम्मीद है।
अंदाजा लगाइए कि कितने ऐसे जरूरतमंद होंगे, जो इस एंबुलेंस सेवा से इस बहाने वंचित हुए होंगे कि एंबुलेंस सेवा अभी किसी दूसरे मरीज को अस्पताल पहुंचा रही है। समाजवादी एंबुलेंस टैक्सी के ये मरीज धड़ल्ले से ढोए जा रहे हैं। इस संबंध में कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि यह एंबुलेंस सेवा किसकी हिम्मत पर टैक्सी बना दी गई है। ऐसा ही हाल और जगहों पर भी सुनने को मिलता रहा है, किंतु सरकार इससे इनकार करती रही है। सरकार के मरीजों को एंबुलेंस सेवा तत्काल मिलने के दावों में कितना दम है, अमेठी का उदाहरण सामने है। एंबुलेंस सेवा दिनभर में टैक्सी के रूप में बड़ी कमाई करती है, क्योंकि इसे न तो पुलिस का और न आरटीओ का हफ्ता या महीना देना पड़ता है।
समाजवादी सरकार की इस स्वास्थ्य सेवा के बारे में कहने वाले कहते हैं कि इस एंबुलेंस से टैक्सी के रूप में कमाया हुआ पैसा अस्पताल के अधिकारियों में बांटा जाता है, इसलिए समाजवादी एंबुलेंस सेवा के इस गंभीर दुरुपयोग की अधिकारिक स्तर पर सरेआम अनदेखी हो रही है। अधिकांश जगहों पर समाजवादी एंबुलेंस सेवा का यही हाल है। इस सेवा के दुरुपयोग को लेकर विभिन्न मत हैं, जिनमें कहीं यह टैक्सी के रूप में इस्तेमाल हो रही है तो कहीं निजी अस्पताल इसका मरीज के तीमारदार से मुंह मांगी रकम लेकर लाभ उठा रहे हैं, प्रसव मामलों में तो ऐसा ज्यादा ही सुना जा रहा है। समाजवादी सरकार ने गंभीर रूप से बीमार और हादसों के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर शुरू की थी और इसकी सफलता और सदुपयोग के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने बड़े-बड़े दावे किए थे।
आपातकालीन स्वास्थ्य तकनीक से लैस 108 एंबुलेंस कुछ समय तक तो ठीक-ठाक चली, किंतु बाद में इसका गुपचुप तरीके से टैक्सी के रूप में इस्तेमाल शुरू हो गया और अब तो यह मरीजों की जगह यात्रियों को ढोने का काम ज्यादा कर रही है। गौरतलब है कि अमेठी प्रदेश के अति विशिष्ट जनपदों में शामिल है, जहां से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सांसद हैं। यही नहीं यहां की जनसुविधाओं और सरकारी सुविधाओं की जिले से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय और राहुल गांधी के कार्यालय तक जानकारी ली जाती है। एंबुलेंस सेवा में ड्राईवर और प्राथमिक सहायक उपचारक को किसी का भय भी नहीं है, इसलिए माना जा रहा है कि यह बड़ी मिली भगत का मामला है। अमेठी, जगदीशपुर, रानीगंज, मुसाफिरखाना आदि स्थानों पर वृहद स्तर पर यह खेल खेला जा रहा है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कहीं-कहीं पर एम्बुलेंस के ड्राईवरों और डॉक्टरों ने अपने-अपने इलाकों में निजी अस्पतालों से सांठ-गांठ की हुई है, जो कमीशन लेकर एम्बुलेंस के मरीज को उन अस्पतालों में पहुंचा रहे हैं, यही नहीं वे मरीज के तीमारदार से भी वसूली कर रहे हैं, जबकि यह सेवा निःशुल्क है।