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म्यामां बना एसएएसईसी का सातवां सदस्य

क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग कार्यक्रम का पूरब में विस्तार

म्यामां पन-विद्युत और प्राकृतिक गैस से समृद्ध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 1 April 2017 11:34:43 AM

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नई दिल्ली। इस साल म्यामां के एसएएसईसी का सातवां सदस्य बनने के साथ ही एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी के दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग कार्यक्रम का पूरब में विस्तार हो रहा है। भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि एसएएसईसी उप-क्षेत्र और पूरब तथा दक्षिण एशियाई देशों के बीच अधिक कनेक्टिविटी और सुदृढ़ व्यापार एवं आर्थिक संबंधों में म्यामां की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि म्यामां के एसएएसईसी का सदस्य बनने से इस उप-क्षेत्र में आर्थिक सहयोग से अधिक लाभ उठाने के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं। गौरतलब है कि मालदीव और श्रीलंका 2014 में एसएएसईसी में शामिल हो चुके हैं, जिससे इस उप-क्षेत्र में आर्थिक संबंध बढ़ाने के अवसरों का विस्तार हुआ।
एसएएसईसी देश यह महसूस करते हैं कि इस संगठन के अधिकतर मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी उपायों में म्यामां शामिल है। म्यामां से गुजरने वाले सड़क कॉरीडोर दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच महत्वपूर्ण सम्पर्क प्रदान करते हैं। म्यामां के बंदरगाह भारत में स्थल आच्छादित पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए अतिरिक्त प्रवेश मार्ग उपलब्ध कराएंगे। भारत के पूर्वोत्तर, बांग्लादेश और म्यामां के बीच मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के विकास से इस उप-क्षेत्र में व्यापक आर्थिक क्षमता सामने आएगी। म्यामां के एसएएसईसी में शामिल होने के साथ इस उप-क्षेत्र की ऊर्जा कनेक्टिविटी और ऊर्जा व्यापार की संभावनाएं बढ़ेंगी, क्योंकि म्यामां में पन-विद्युत और प्राकृतिक गैस के महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध हैं। इसके अलावा म्यामां के अन्य दक्षिण एशियाई देशों से जुड़े मार्गों के साथ संभावित समाभिरूपता के चलते एसएएसईसी उप-क्षेत्र में आर्थिक कॉरीडोरों के विकास की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
म्यामां को 2013 में भारत में नोएडा में हुई एशियाई विकास बैंक की वार्षिक बैठक के दौरान एसएएसईसी उप-क्षेत्र के पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा दिया गया था। म्यामां 2014 से एसएएसईसी नोडल अधिकारियों की वार्षिक बैठकों में हिस्सा ले रहा है और 2015 में एसएएसईसी देशों ने म्यामां को पूर्ण सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया। एसएएसईसी कार्यक्रम की स्थापना 2001 में चार दक्षिण एशियाई देशों-बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के एशियाई विकास बैंक से किए गए अनुरोध के संदर्भ में की गई थी, ताकि इन देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने में सहायता की जा सके। ये चार देश मिलकर दक्षिण एशिया विकास चतुर्भुज का निर्माण करते हैं, जिसकी स्थापना 1996 में की गई थी, ताकि क्षेत्रीय सहयोग के जरिए स्थाई आर्थिक विकास में तेजी लाने के माध्यम के रूप में इस चतुर्भुज का इस्तेमाल किया जा सके। परियोजना आधारित भागीदारी के जरिए एसएएसईसी कार्यक्रम क्षेत्रीय समृद्धि बढ़ाने में मदद करता है।

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