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Monday 1 May 2017 03:35:50 AM
नई दिल्ली। भारत में भूसम्पदा क्षेत्र का नियमन भूसम्पदा (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 आज से प्रभावी होने के साथ ही एक वास्तविकता बन गया है। इसके अंतर्गत देशभर में 76,000 से अधिक रीयल एस्टेट कंपनियों को अपनी परियोजनाएं पंजीकृत करानी होंगी। अधिनियम की सभी 92 धाराएं आज से लागू हो गई हैं। विकासकों को वे सभी जारी परियोजनाएं और नई परियोजनाएं तीन महीने के भीतर यानी आगामी जुलाई माह के अंत तक नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत करानी होंगी, जिनके लिए अभी तक कम्प्लीशन सर्टिफिकेट यानी निर्माण कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया है। इससे मकान खरीदने वालों को अपने अधिकार हासिल करने और पंजीकरण के बाद अपनी शिकायतों का निवारण करवाने में मदद मिलेगी।
आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इस अवसर पर अपने ट्वीट में कहा कि भूसम्पदा अधिनियम 9 वर्ष के इंतजार के बाद लागू होने जा रहा है, जिससे भवन खरीदार सम्राट बन सकेगा और इससे एक नए युग की शुरुआत होगी, इससे क्रेताओं का बाज़ार में विश्वास बढ़ने से विकासकों को भी लाभ पहुंचेगा। वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत दिलचस्पी के कारण यह अधिनियम एक वास्तविकता बन पाया है, इस अधिनियम की बदौलत रीयल्टी क्षेत्र में वांछित जवाबदेही, पारदर्शिता और सक्षमता आएगी। यह विधेयक सबसे पहले 2013 में राज्यसभा में पेश किया गया था, उसके बाद से आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने कई दौर के विचार-विमर्श के दौरान भूसम्पदा विधेयक में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए और इसे पारित होने से पहले अत्यंत कारगर बनाया गया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि अधिनियम में क्रेताओं और विक्रेताओं दोनों के अधिकार और दायित्व परिभाषित किए गए हैं, मोदी सरकार ने इस कानून को अमलीजामा पहनाने के गंभीर प्रयास किए, जिनकी बदौलत यह कानून अंततः लागू हो पाया है। भूसम्पदा अधिनियम के प्रभावी होने से पहले आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने मॉडल भूसम्पदा विनियम तैयार किए और उन्हें प्रचारित किया, ताकि राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में नियामक प्राधिकरण उन्हें अपना सकें। इन विनियमों के अंतर्गत भवन निर्माताओं को अपनी अनुमोदित योजनाएं और नक्शे कम से कम तीन फुट X दो फुट के कागज पर सभी विपणन कार्यालयों में उपलब्ध कराने होंगे।
परियोजनाओं के पंजीकरण के अलावा अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-भवन निर्माताओं को नई परियोजनाओं के मामले में खरीदारों से प्राप्त निधि का 70 प्रतिशत हिस्सा और पहले से जारी परियोजनाओं के मामले में खर्च न की गई राशि का 70 प्रतिशत पृथक बैंक खाते में जमा कराना होगा। न्यूनतम 500 वर्गमीटर आकार के प्लाट अथवा आठ अपार्टमेंट्स तक के निर्माण कार्यों को नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत कराया जाएगा। विलम्ब के मामले में भवन निर्माता और क्रेता दोनों को भारतीय स्टेट बैंक की मार्जिनल उधारी दर + 2 प्रतिशत दंड ब्याज का भुगतान करना होगा। भवन निर्माता को ढांचागत खराबी के लिए 5 वर्ष की गारंटी देनी होगी और अपील न्यायाधिकरणों और नियामक प्राधिकरणों के आदेशों का उल्लंघन करने की स्थिति में भवन निर्माताओं को 3 वर्ष और एजेंटों तथा क्रेताओं को एक वर्ष तक कारावास की सजा होगी।