स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 5 June 2017 05:35:07 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन के गांधी सभागार में लखनऊ के महापौर रहे डॉ दाऊजी गुप्ता के पुत्र डॉ पद्मेश गुप्ता के कविता संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर लखनऊ के मेयर रहे और इस समय राज्य के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व महापौर डॉ दाऊजी गुप्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह, कविता संग्रह के प्रकाशक अवनीश माहेश्वरी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन चेतना साहित्य परिषद ने किया था। इस अवसर पर राज्यपाल ने डॉ पद्मेश को शाल, पुष्पगुच्छ और अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की हिंदी प्रति देकर सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि डॉ पद्मेश गुप्ता लंदन में रहते हैं तथा उन्होंने लंदन में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए कई हिंदी सम्मेलनों और संगोष्ठियों का आयोजन किया है।
राज्यपाल राम नाईक ने इस मौके पर कहा कि डॉ पद्मेश गुप्ता का कई भाषाओं पर अधिकार है, उनका हाल में ही राष्ट्रपति भवन में भी सम्मान किया गया था, उनके सम्मान से उनके शिक्षण संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय तथा लामार्टिनियर कालेज का भी गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अपने घर में सम्मान मिलता है तो उस खुशी की बात ही कुछ और होती है। राम नाईक ने कहा कि विदेश में रहकर ‘हिंदी क्या है’, बताना बड़ा काम है। डॉ पद्मेश गुप्ता ने कई वर्ष तक कई हिंदी पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। राज्यपाल ने कहा कि विदेश में रहकर हिंदी को प्रोत्साहित करना वास्तव में राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान प्रकट करना है, डॉ पद्मेश गुप्ता ने विदेश में हिंदी के विकास के लिए व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था के रूप में कार्य किया है। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि जीवन में निरंतर चलते रहना ही सफलता का मूल मंत्र है।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि डॉ दाऊजी गुप्ता लखनऊ के महापौर रहे हैं, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है। डॉ पद्मेश गुप्ता, डॉ दाऊजी के पुत्र हैं और जब संतान आगे बढ़ती है तो माता-पिता को खुशी होती है। उन्होंने डॉ पद्मेश द्वारा लंदन में की जा रही हिंदी सेवा की सराहना की। कार्यक्रम में डॉ दाऊजी गुप्ता ने भी विचार रखे। डॉ पद्मेश गुप्ता ने अपने काव्य संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ से दो कविताएं सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। इससे पूर्व डॉ ऊषा ने काव्य संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ पर संक्षिप्त प्रकाश डाला।