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पोर्टब्लेयर में यादगार कवि सम्मेलन

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पोर्टब्लेयर। हिंदी साहित्य कला परिषद की ओर से पोर्टब्लेयर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें नए और पुराने कवियों ने ज्वलंत विषयों को कविता का ऐसा रूप दिया जिसमें मौजूदा व्यवस्था का एक-एक अक्स उभर रहा था। कवियों ने हिंदी और उर्दू के समृद्धशाली शब्दों का गज़ब का प्रयोग और संतुलन स्थापित कर गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस सम्मेलन को यादगार बनाया। दक्षिण अंडमान के उप मंडलीय मजिस्ट्रेट राजीव सिंह परिहार इसमें मुख्य अतिथि थे और साहित्यकार एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। दूरदर्शन केंद्र पोर्टब्लेयर के सहायक निदेशक जी साजन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्वलन से हुआ। कवि सम्मेलन में द्वीप समूह के तमाम कवियों ने अपनी कविताओं से समा बांध दिया। सम्मेलन में नवोदित कवियों को भी कविताएं सुनाने का अवसर दिया गया। देश-भक्ति की लहर और भ्रष्टाचार, महंगाई और अन्य बुराइयों पर एक से बढ़कर एक कविताएं सुनने को मिलीं। कविवर श्रीनिवास शर्मा की देश-भक्ति भरी कविता और द्वीपों के छंदबद्ध इतिहास से कवि सम्मलेन का आग़ाज़ हुआ। जगदीश नारायण राय ने संसद की हालत को कविता बनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। जयबहादुर शर्मा ने महंगाई पर हमला किया तो उभरते हुए कवि ब्रजेश तिवारी ने गणतंत्र की महिमा गाई। डॉ एम अयया राजू ने मौजूदा राजनीति पर कविता के माध्यम से गहरी चोट की। डॉ रामकृपाल तिवारी ने यह सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया कि नेताओं के चलते 'तंत्र' ही बचा और 'गण' गायब हो गया है। डीएम सावित्री ने कविताओं के सौन्दर्य बोध को उकेरा और डॉ व्यासमणि त्रिपाठी ने ग़ज़लों से आनंदित कर दिया। कवि सम्मेलन में बाकी अन्य कवियों संत प्रसाद राय, अनिरूद्ध त्रिपाठी, बीके मिश्र, राजीव कुमार तिवारी, सदानंद राय, एसके सिंह, रामसिद्ध शर्मा, रामसेवक प्रसाद, परशुराम सिंह, डॉ मंजू नायर और रागिनी राय ने अपने काव्य पाठ से काव्य संध्या को यादगार बना दिया। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि राजीव सिंह परिहार ने भी हिंदी कविता की आस्वादन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्वरचित कविताओं का पाठ किया।

युवा साहित्यकार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने सामाजिक परिवर्तन में कविता की क्रांतिकारी भूमिका की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। आज के लेखन में राष्ट्रीय चेतना की कमी और राष्ट्रीयता के विलुप्त होने की प्रवृत्ति के भाव पर रचनाकारों को सचेत करते हुए उन्होंने कविता को प्रभावशाली बनाने पर जोर दिया। यादव ने जोर देकर कहा कि कविता स्वयं की व्याख्या भी करती है एवं बहुत कुछ अनकहा भी छोड़ देती है। इस अनकहे को ढूँढ़ने की अभिलाषा ही एक कवि-मन को अन्य से अलग करती है। ऐसे में साहित्यकारों और कवियों का समाज के प्रति दायित्व और भी बढ़ जाता है। उन्होंने परिषद द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यभूमि से कटे होने के बावजूद भी यहाँ जिस तरह हिंदी सम्बन्धी गतिविधियां चलती रहती हैं, वह प्रशंसनीय है।

कार्यक्रम के शुरू में हिंदी साहित्य कला परिषद के अध्यक्ष आरपी सिंह ने उपस्थिति कवियों और अतिथि श्रोताओं का स्वागत किया, जबकि परिषद के प्रधान सचिव बीके मिश्र ने धन्यवाद दिया। कवि सम्मेलन का संचालन परिषद के साहित्य सचिव डॉ व्यासमणि त्रिपाठी ने किया।

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