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नई दिल्ली। हरित क्रांति का विस्तार करने के लिए पूर्वी भारत के सात राज्यों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 181.35 करोड़ रुपये की राशि जारी की गयी है। इस योजना में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आते हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत एक उप योजना के तौर पर इस वर्ष 400 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं। कार्यक्रम का लक्ष्य चयनित राज्यों में चावल आधारित फसल प्रणाली में सुधार लाना है।
हरित क्रांति के विस्तार के लिए आरकेवीवाई योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष (2010-11) में पूर्वी भारत के लिए 400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। इसका उद्देश्य अनुशंसित कृषि तकनीकों और पद्धतियों के पैकेज के प्रचार के माध्यम से सघन खेती के जरिए क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाना है।
पूर्वी भारत में उत्तर पश्चिमी राज्यों की तुलना में 2-3 गुना अधिक वर्षा होती है। इनके अब तक उपयोग में नहीं लाये गये और अच्छी गुणवत्ता वाले भूमिगत जल भंडार, सामाजिक पूंजी के विशाल संसाधनों का सापेक्ष लाभ चावल, केला एवं गन्ना के सतत उत्पादन और जलीय कृषि के लिए होगा। उच्च उत्पादन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद इस क्षेत्र में कृषि उत्पादकता कम है। पूर्वी भारत के लिए हरित क्रांति के विस्तार की इस योजना का उद्देश्य इस मुद्दे को समझना और उपयुक्त उपायों से क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाना है।