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नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने देश में सुखोई-30 एमकेआई के निर्माण की शुरूआत कर दी है। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षा राज्य मंत्री एमएम पल्लमराजू ने बताया कि 140 एसयू-30 एमकेआई विमान, उसके इंजन के उत्पादन के लिए भारत को लाइसेंस तथा तकनीकी प्रलेखन स्थानांतरित करने के लिए रूसी संघ की सरकारों और भारत के बीच 4 अक्टूबर 2000 को अंतर-सरकारी समझौता हुआ था। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने इस परियोजना के लिए 18 दिसंबर 2000 को मंज़ूरी दी तथा जनवरी 2001 में इस पर सरकारी मंज़ूरी दी गई। मंज़ूरी के अनुसार, उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 12 विमान परिकल्पित की गई थी।
सरकार ने एचएएल से सुखोई-30 लड़ाकू विमान के निर्माण में तेज़ी लाने को कहा है। अठारह दिसंबर 2000 को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से मिली मंज़ूरी के अनुसार इस परियोजना को 2004-05 में शुरू होना था तथा 2017-18 तक इसे पूरा किया जाना था। हालांकि जून 2005 में वायु मुख्यालय ने एचएएल से इस परियोजना को और तीन वर्ष पहले पूरा करने का आग्रह किया था, तदनुसार, एचएएल ने 2014-15 तक 140 विमान बनाने का एक प्रस्ताव रखा। सीसीएस ने 31 मार्च 2006 को इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
हिदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की डिजाइन और विकास परियोजना के तहत 197 एलयूएच (लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर) की खरीदारी का भी प्रस्ताव है। इस परियोजना को फरवरी 2009 में भारत सरकार की मंजूरी मिली थी। यह परियोजना तय समयसीमा के तहत चल रही है।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने यह भी बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) हल्के युद्धक विमान (एलसीए) तेजस एमके-2 के लिए कावेरी एरो इंजन के सह-निर्माण और सह-विकास के लिए फ्रांस के मेसर्स एसएनईसीएमए के साथ वार्ता कर रहा है। भारतीय वायु सेना ने कावेरी इंजन के सह-विकास के लिए हर स्तर पर विचार-विमर्श किया है। भारतीय वायु सेना ने इस इंजन की तकनीकी विशेषताओं की जांच करते हुए इसे स्वीकृति प्रदान कर दी है।